देहरादूनः उत्तराखंड की तमाम नदियों पर करीब 40 नई प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाएं ऐसी हैं, जो लंबे समय से अधर में लटकी हुई है. ऐसे में इन परियोजनाओं को शुरू करने की कवायद समय-समय पर होती रही है. हालांकि, इन 40 परियोजनाओं में से 11 जल विद्युत परियोजनाएं ऐसी हैं, जिस पर कोई विवाद नहीं है. इसके अलावा प्रस्तावित नई 10 जल विद्युत परियोजनाएं ऐसी है जिसको सुप्रीम कोर्ट की एक्सपोर्ट बॉडी-2 ने पहले ही अनुमति दे दी है. बावजूद इसके ये 21 नई जल विद्युत परियोजनाओं का काम शुरू नहीं हो पाया है. क्योंकि इन परियोजनाओं पर जल शक्ति मंत्रालय की स्वीकृति नहीं मिली है.
दरअसल, उत्तराखंड सरकार इन तमाम परियोजनाओं को अनुमति दिए जाने को लेकर जल शक्ति मंत्रालय से अनुरोध कर चुका है. क्योंकि 21 जल विद्युत परियोजनाएं ऐसी हैं, जिन पर फिलहाल कोई विवाद नहीं है. बावजूद इसके जल शक्ति मंत्रालय की ओर से इन परियोजनाओं को स्वीकृति ना मिलने के चलते निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर भारत सरकार से अनुरोध किया है कि उन परियोजनाओं को अनुमति दे दी जाए, जिससे पर्यावरण को बेहद नुकसान नहीं होगा. इसके अलावा राज्य सरकार, केंद्र सरकार से इस बाबत अनुरोध कर रही है कि जो 25 मेगावाट से कम की विद्युत परियोजनाएं हैं. उसकी अनुमति दे दी जाए.
बता दें कि प्रदेश में प्रस्तावित 21 नई जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण की अनुमति को लेकर 7 जुलाई 2023 को प्रधानमंत्री कार्यालय में पीएम के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. इस बैठक में ऊर्जा मंत्रालय, केंद्रीय वन एवं जलवायु पर्यावरण मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों के साथ ही उत्तराखंड के मुख्य सचिव भी शामिल हुए थे. बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने 2123.6 मेगावाट की 21 जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण की अनुमति का प्रजेंटेशन दिया था. उस बैठक के दौरान जहां ऊर्जा मंत्रालय ने सहमति जता दी थी तो वहीं जल शक्ति मंत्रालय ने नदियों पर संबंधी दिक्कतों को लेकर अड़ंगा लगा दिया था.
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25 मेगावाट से कम के प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाएं: प्रदेश में जो 21 नई प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाएं हैं, जिस पर फिलहाल कोई विवाद नहीं है. उसमे से 12 जल विद्युत परियोजनाएं ऐसी हैं जो 25 मेगावाट से कम की है. इसमें भिलंगना नदी पर 24 मेगावाट की भिलंगना 2ए और भिलंगना 2बी, 21 मेगावाट की भिलंगना 2सी परियोजना है. इसी तरह पिंडर नदी पर 24.3 मेगावाट की मेलखेत, नंदाकिनी नदी पर 13 मेगावाट की देवाली, कैलगंगा नदी पर 5 मेगावाट की कैलगंगा, बाल गंगा नदी पर 6 मेगावाट की कोट बूढ़ाकेदार, सुवारी गाड नदी पर 2 मेगावाट की सुवारी गाड, भ्यूंदर गैंग नदी पर 24.3 मेगावाट की भ्यूंदर गैंग, खिराओगंगा नदी पर 4 मेगावाट की खिराओगंगा, धरम गंगा नदी पर 12.5 मेगावाट की झालाकोटि, कल्पगंगा नदी पर 7.5 मेगावाट की उर्गम-2 परियोजना शामिल है.
सीएम धामी ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट और गंगा प्राधिकरण के बीच का है. जिसके चलते भारत सरकार से अनुरोध किया है कि बावला नंदप्रयाग जैसी जो अन्य परियोजनाएं है जिनसे बहुत ज्यादा पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा. ऐसी परियोजनाओं को स्वीकृति दे दी जाए. साथ ही कहा कि 25 मेगावाट से कम की जितनी भी परियोजनाएं हैं, अगर उसकी स्वीकृति मिल जाती है तो काफी प्रोजेक्ट्स पर काम कर सकेंगे. ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही भारत सरकार से स्वीकृति मिलेगी.