देहरादून: धर्मनगरी हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर मां गंगा को खोई हुई पहचान मिल गई है. हिंदुओं की आस्था का केंद्र गंगा को साल 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार द्वारा स्केप चैनल यानी एक नहर का दर्जा दे दिया गया था, जिसे मौखिक आदेश के 10 दिन बाद अब त्रिवेंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर पुराने शासनादेश को निरस्त कर दिया है.
उत्तराखंड की राजनीति में पिछले 4 सालों से समय-समय पर उठने वाले मां गंगा के नाम को लेकर विवाद पर अब विराम लग गया है. उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने आज साल 2016 के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें हरकी पैड़ी पर मां गंगा को स्कैप चैनल के रूप में दर्शाया गया था.
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2021 में हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ से पहले संत समाज भी इसको लेकर अपनी मांग उठा रहा था और साल 2016 में हुई गलती को सुधारने की भी मांग की जा रही थी. उधर भाजपा चुनाव से पहले इस भूल को सुधारने का वादा भी जनता से करती रही है. ऐसे में भाजपा की सरकार के करीब 3 साल पूरा करने के बाद आखिरकार त्रिवेंद्र सरकार ने स्कैप चैनल के आदेश को निरस्त कर दिया है.
सचिव शैलेश बगोली द्वारा जारी किए गये आदेश में साल 2016 में जारी किये गए शासनादेश को निरस्त करने की राज्यपाल द्वारा सहर्ष स्वीकृति दिए जाने का आदेश जारी किया गया है.बता दें कि बीते 22 नवंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संत समाज के साथ मुख्यमंत्री आवास पर एक बैठक के दौरान 2016 के इस निर्णय को निरस्त करने की मौखिक घोषणा की थी, जिसके बाद से शासन के आदेश का इंतजार किया जा रहा था लेकिन अब इंतजार को खत्म करते हुए सरकार ने पूर्व के शासनादेश के निरस्तीकरण से जुड़ा आदेश जारी कर दिया है.