देहरादून: उत्तराखंड में मॉनसून के कहर की ऐसी तस्वीर सामने आ रही है, जिन्हें देखकर रूह काप जाए. प्रदेश में मॉनसून का ये भयावह रूप कोई पहली बार देखने को नहीं मिल रहा है, बल्कि हर साल ये मॉनसून अपने साथ इसी तरह की आपदा लेकर आता है. जिसमें हर साल कई लोगों की जान चली जाती है. इस बार भी प्रलय का ये रौद्र रूप उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में देखने को मिल रहा है. जिसमें 19 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
उत्तराखंड में 15 जून को मॉनसून ने दस्तक दी थी. मॉनसून की दस्तक के साथ पहाड़ों में आसमानी आफत भी बरसनी शुरू हो गई थी. जिसने कई जिंदगियों को अपने काल के गाल में समा लिया है. मंगलवार को भी प्रदेश के पिथौरागढ़ और चमोली जिले में बादल फटने की घटना हुई है. इन दोनों घटनाओं में दो लोगों की मौत हुई है, जबकि एक महिला लापता है. जिसकी तलाश की जारी है.
पढ़ें- पिथौरागढ़: भूस्खलन से काल के मुंह में समाए अब तक 17 लोग, मकान जमींदोज होने से 3 की मौत
मॉनसून किस तरह से उत्तराखंड के सिर मौत बनकर नाच रहा है. इसकी एक बानगी इस साल के आंकड़ों में देखने मिल सकती है. 15 जून से लेकर अभी तक प्रदेश में दैवीय आपदा के कारण 19 लोगों की जान गई है. इस बार बारिश ने सबसे ज्यादा कहर पिथौरागढ़ में बरपाया है.
पढ़ें- आपदा का खौफ: धापा गांव के 47 परिवारों ने छोड़े मकान, प्लास्टिक टेंट का 'सहारा'
15 जून के बाद के आंकड़ों पर एक नजर
- 28 जुलाई को चमोली जिले में भी बादल फटने से एक 36 वर्षीय महिला देवेश्वरी देवी की मौत हो गई थी.
- पिथौरागढ़ में 26 जुलाई को भारी बारिश की चलते हुए एक मकान भूस्खलन की चपेट में आ गया था. इस हादसे में मां-बेटा समेत तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी.
- पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में 19 जुलाई की रात को बादल फटने से बंगापानी के टांगा गांव में 3 मकान और गैला गांव में 2 मकान जमींदोज हो गए थे. इस दोनों घटनाओं में कुल 14 लोग अपने आशियाने के साथ जिंदा दफन हो गए. टांगा गांव में 11 लोग आपदा का शिकार हुए. जिसमें एक ही परिवार के 6 लोग भी शामिल थे. जबकि, इस गांव में मरने वालों में छह महिलाएं, पांच पुरुष शामिल थे. उधर, गैला गांव में भी एक ही परिवार के 3 लोग काल के गाल में समा गए थे.
- देहरादून के चुक्खू मोहल्ले में 15 जुलाई को बारिश के कारण एक मकान की छत गिर गई थी, जिसमें दबकर चार लोगों की मौत हो गई थी.