देहरादून: उत्तराखंड में बाघों की संख्या में काफी तेजी से इजाफा हुआ है. इसका एक कारण बाघ संरक्षण की उस मुहिम को माना जा रहा है जिसमें राज्य और केंद्र सरकार मिलकर काम कर रही हैं. लेकिन अब टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में बजट की कमी बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकती है. ऐसा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा फंड कटौती समेत कोरोना के प्रतिकूल असर के कारण हो रहा है.
दरअसल, उत्तराखंड में दो टाइगर रिजर्व है- कॉर्बेट और राजाजी. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इस बार देशभर में टाइगर रिजर्व फंड में भारी कटौती की है, जिससे टाइगर रिजर्व क्षेत्र में दिक्कतें आने की बात कही जा रही है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण यानी एनटीसीए ने करीब 15 प्रतिशत तक का बजट देशभर के टाइगर रिजर्व के लिए कम किया है.
इससे पहले भी पिछले करीब 3 सालों से प्राधिकरण टाइगर रिजर्व के लिए कम बजट ही दे रहा है. लेकिन इस बार इतने बड़ी मात्रा में कटौती वन महकमे के अधिकारियों के लिए परेशानी बन गया है. खास बात यह है कि टाइगर रिजर्व के लिए इसे दोहरी मार के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि कोराना संक्रमण के चलते पहले ही टाइगर रिजर्व क्षेत्रों को बंद करने के आदेश दिए जा चुके हैं, जिससे रिजर्व क्षेत्रों में पर्यटकों से होने वाली आमदनी प्रभावित हो रही है.
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जानकारी के अनुसार, कॉर्बेट रिजर्व से कॉर्बेट प्रशासन को साल भर के करीब 5 से 8 करोड़ की कमाई होती है जबकि राजाजी टाइगर रिजर्व से पर्यटकों के जरिए 50 लाख तक की कमाई को किया जाता है. लेकिन इस बार ये राजस्व का जरिया भी बंद है जबकि यहां पर्यटन के लिए यही महीना महत्वपूर्ण माना जाता है.
अधिकारियों की चिंता है कि बजट में कमी के चलते बाघ संरक्षण को लेकर होने वाले विभिन्न कामों को फिलहाल के लिए रोका जा सकता है. हालांकि, बाघों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग ने पहले ही अलर्ट जारी किया हुआ है.