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ACP घोटाले में रोडवेज के 11 अफसर पाए गए दोषी, रिकवरी के आदेश

उत्तराखंड रोडवेज में छह साल पुराने एसीपी (एश्योर्ड कैरियर प्रमोशन) घोटाले में अधिकारियों के विरुद्ध चल रही जांच की फाइल भी ऑडिट विभाग ने तलाश ली है. इस फाइल को अधिकारियों ने पिछले 6 साल से ठंडे बस्ते में डाल रखा था. लिहाजा अब ऑडिट विभाग ने अधिकारियों की फाइल की जांच कर पहले चरण में 11 अधिकारियों को दोषी पाया है.

देहरादून
रोडवेज के 11 अधिकारियों पर गिरी गाज
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Published : Sep 18, 2020, 8:47 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड रोडवेज जहां हर साल लाखों रुपए के घाटे में जाती जा रही है वहीं, रोडवेज मुख्यालय में घोटाले का मामला भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. उत्तराखंड रोडवेज में पहले बसों की खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी का मामला सामने आया था. वहीं, अब रोडवेज में छह साल पहले एसीपी (एश्योर्ड कैरियर प्रमोशन) घोटाले में अधिकारियों के विरुद्ध चल रही जांच की फाइल भी ऑडिट विभाग ने तलाश ली है. इस फाइल को अधिकारियों ने पिछले 6 साल से ठंडे बस्ते में डाल रखा था. लिहाजा अब ऑडिट विभाग ने अधिकारियों की फाइल की जांच कर पहले चरण में 11 अधिकारियों को दोषी पाया है.

आपको बता दे कि यह मामला साल 2013 का है जब उत्तराखंड शासन के आदेश के बाद सभी विभागों में एसीपी दी गई थी. हालांकि, उस दौरान एसीपी देने के लिए टीम भी गठित की गई थी. ताकि सही अधिकारियों और कर्मचारियों को एसीपी का लाभ मिल सके. लेकिन कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने एसीपी देने के लिए गठित की गई टीम के साथ मिलकर गलत तरीके से एसीपी का लाभ ले लिया था. हालांकि, गलत एसीपी का मामला सबसे पहले साल 2014 में सामने आ गया था. लेकिन मुख्यालय स्तर पर यह मामला दबा दिया गया.

यह मामला साल 2018 तक दबा रहा और फिर नवंबर 2018 में ऑडिट के दौरान यह मामला एक बार फिर उछला. इस मामले में प्रबंधक निदेशक ने रिकवरी के आदेश दे दिए थे. हालांकि, कर्मचारियों से जुड़े मामले की रिकवरी तो शुरू हुई, लेकिन एक बार फिर अधिकारियों से जुड़ी फाइलों को दबा दिया गया. वहीं, अब 6 साल बाद अधिकारियों की फाइल खुलने का मामला तब सामने आया, जब पिछले दिनों परिवहन सचिव शैलेश बगोली ने मई महीने के वेतन के लिए 15 करोड़ रुपये जारी करने को मंजूरी दी थी, लेकिन शर्त यह रखी गई थी कि एसीपी घोटाले का स्पेशल ऑडिट करा रिपोर्ट सौंपी जाए.

ये भी पढ़ें: राहतः बिना गोल्डन कार्ड के भी निजी अस्पतालों में होगा कोरोना का फ्री इलाज

इसके बाद स्पेशल ऑडिट शुरू किए गए और ऑडिट के दौरान अधिकारियों से जुड़ी फाइलें अभी बाहर निकलनी शुरू हुई हैं. लिहाजा जब अधिकारियों से जुड़ी फाइल खोली गई तो पहले चरण में ही 11 अधिकारियों को दोषी पाया गया. इसके बाद इन अधिकारियों के वेतन से हर माह दस-दस हजार रुपये की कटौती करने के आदेश दिए गए हैं. इसके साथ ही गलत एसीपी के चलते मिला प्रोन्नत वेतनमान भी वापस करने के आदेश दिए गए हैं. यही नहीं, सेवानिवृत्ति के वक्त प्रमाण पत्र उसी सूरत में दिया जाए जब संपूर्ण रिकवरी हो जाए.

मिली जानकारी के अनुसार, ऑडिट के पहले चरण में अभी फिलहाल गलत एसीपी पाने वाले 11 अधिकारियों के नाम सामने आए हैं. जिनमें उप महाप्रबंधक, मंडलीय प्रबंधक, डिपो के सहायक महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी शामिल हैं. हालांकि, इन अधिकारियों में से एक अधिकारी की मृत्यु हो चुकी है, जबकि दो अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. जांच में आइएसबीटी दिल्ली के तत्कालीन प्रभारी एजीएम दीपक मेहरा, भवाली के तत्कालीन प्रभारी एजीएम अमरनाथ और टनकपुर के तत्कालीन प्रभारी एजीएम मो. नसीर के विरुद्ध भी रिकवरी के आदेश दिए गए हैं. इनमें दीपक मेहरा की मृत्यु हो चुकी है, जबकि अमरनाथ व मो. नसीर सेवानिवृत्त हो चुके हैं. ऐसे में रोडवेज मुख्यालय ने आदेश दिए हैं कि इनके लंबित भुगतान से रिकवरी की जाए.

स्पेशल ऑडिट में दोषी पाए गए अधिकारी

  1. दीपक मेहरा, प्रभारी एजीएम (मृतक) आइएसबीटी दिल्ली
  2. अमरनाथ, प्रभारी एजीएम (सेवानिवृत्त) भवाली
  3. मो. नसीर, एजीएम (सेवानिवृत्त) टनकपुर
  4. संजय गुप्ता, डीजीएम (कार्मिक) मुख्यालय
  5. यशपाल सिंह, आरएम (संचालन) काठगोदाम
  6. केपी सिंह, एजीएम, मुख्यालय
  7. पीके भारती, एजीएम, ऋषिकेश
  8. केएस रावत, एजीएम, देहरादून
  9. टीकाराम, एजीएम, कोटद्वार
  10. सुरेश सिंह चौहान, एजीएम, काठगोदाम
  11. देशराज सिंह, प्रभारी एजीएम, रानीखेत

देहरादून: उत्तराखंड रोडवेज जहां हर साल लाखों रुपए के घाटे में जाती जा रही है वहीं, रोडवेज मुख्यालय में घोटाले का मामला भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. उत्तराखंड रोडवेज में पहले बसों की खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी का मामला सामने आया था. वहीं, अब रोडवेज में छह साल पहले एसीपी (एश्योर्ड कैरियर प्रमोशन) घोटाले में अधिकारियों के विरुद्ध चल रही जांच की फाइल भी ऑडिट विभाग ने तलाश ली है. इस फाइल को अधिकारियों ने पिछले 6 साल से ठंडे बस्ते में डाल रखा था. लिहाजा अब ऑडिट विभाग ने अधिकारियों की फाइल की जांच कर पहले चरण में 11 अधिकारियों को दोषी पाया है.

आपको बता दे कि यह मामला साल 2013 का है जब उत्तराखंड शासन के आदेश के बाद सभी विभागों में एसीपी दी गई थी. हालांकि, उस दौरान एसीपी देने के लिए टीम भी गठित की गई थी. ताकि सही अधिकारियों और कर्मचारियों को एसीपी का लाभ मिल सके. लेकिन कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने एसीपी देने के लिए गठित की गई टीम के साथ मिलकर गलत तरीके से एसीपी का लाभ ले लिया था. हालांकि, गलत एसीपी का मामला सबसे पहले साल 2014 में सामने आ गया था. लेकिन मुख्यालय स्तर पर यह मामला दबा दिया गया.

यह मामला साल 2018 तक दबा रहा और फिर नवंबर 2018 में ऑडिट के दौरान यह मामला एक बार फिर उछला. इस मामले में प्रबंधक निदेशक ने रिकवरी के आदेश दे दिए थे. हालांकि, कर्मचारियों से जुड़े मामले की रिकवरी तो शुरू हुई, लेकिन एक बार फिर अधिकारियों से जुड़ी फाइलों को दबा दिया गया. वहीं, अब 6 साल बाद अधिकारियों की फाइल खुलने का मामला तब सामने आया, जब पिछले दिनों परिवहन सचिव शैलेश बगोली ने मई महीने के वेतन के लिए 15 करोड़ रुपये जारी करने को मंजूरी दी थी, लेकिन शर्त यह रखी गई थी कि एसीपी घोटाले का स्पेशल ऑडिट करा रिपोर्ट सौंपी जाए.

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इसके बाद स्पेशल ऑडिट शुरू किए गए और ऑडिट के दौरान अधिकारियों से जुड़ी फाइलें अभी बाहर निकलनी शुरू हुई हैं. लिहाजा जब अधिकारियों से जुड़ी फाइल खोली गई तो पहले चरण में ही 11 अधिकारियों को दोषी पाया गया. इसके बाद इन अधिकारियों के वेतन से हर माह दस-दस हजार रुपये की कटौती करने के आदेश दिए गए हैं. इसके साथ ही गलत एसीपी के चलते मिला प्रोन्नत वेतनमान भी वापस करने के आदेश दिए गए हैं. यही नहीं, सेवानिवृत्ति के वक्त प्रमाण पत्र उसी सूरत में दिया जाए जब संपूर्ण रिकवरी हो जाए.

मिली जानकारी के अनुसार, ऑडिट के पहले चरण में अभी फिलहाल गलत एसीपी पाने वाले 11 अधिकारियों के नाम सामने आए हैं. जिनमें उप महाप्रबंधक, मंडलीय प्रबंधक, डिपो के सहायक महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी शामिल हैं. हालांकि, इन अधिकारियों में से एक अधिकारी की मृत्यु हो चुकी है, जबकि दो अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. जांच में आइएसबीटी दिल्ली के तत्कालीन प्रभारी एजीएम दीपक मेहरा, भवाली के तत्कालीन प्रभारी एजीएम अमरनाथ और टनकपुर के तत्कालीन प्रभारी एजीएम मो. नसीर के विरुद्ध भी रिकवरी के आदेश दिए गए हैं. इनमें दीपक मेहरा की मृत्यु हो चुकी है, जबकि अमरनाथ व मो. नसीर सेवानिवृत्त हो चुके हैं. ऐसे में रोडवेज मुख्यालय ने आदेश दिए हैं कि इनके लंबित भुगतान से रिकवरी की जाए.

स्पेशल ऑडिट में दोषी पाए गए अधिकारी

  1. दीपक मेहरा, प्रभारी एजीएम (मृतक) आइएसबीटी दिल्ली
  2. अमरनाथ, प्रभारी एजीएम (सेवानिवृत्त) भवाली
  3. मो. नसीर, एजीएम (सेवानिवृत्त) टनकपुर
  4. संजय गुप्ता, डीजीएम (कार्मिक) मुख्यालय
  5. यशपाल सिंह, आरएम (संचालन) काठगोदाम
  6. केपी सिंह, एजीएम, मुख्यालय
  7. पीके भारती, एजीएम, ऋषिकेश
  8. केएस रावत, एजीएम, देहरादून
  9. टीकाराम, एजीएम, कोटद्वार
  10. सुरेश सिंह चौहान, एजीएम, काठगोदाम
  11. देशराज सिंह, प्रभारी एजीएम, रानीखेत
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