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उत्तराखंडः याद किए गए पंडित दीनदयाल उपाध्याय, मनाई गई 103वीं जयंती

भारतीय राजनीति के पुरोधा, वैचारिक मार्गदर्शक एवं नैतिक प्रेरणा के स्रोत, उत्कर्ष संगठनकर्ता और सत्यनिष्ठ महान विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का आज जन्मदिवस है. पूरे देश में उनकी जयंती धुमधाम से मनाई जा रही है.

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 103 वीं जयंती.
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Published : Sep 25, 2019, 5:59 PM IST

Updated : Sep 25, 2019, 11:31 PM IST

कालाढूंगी/हल्द्वानी/पिथौरागढ़/मसूरी: भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष और आरएसएस एस के शुभचिंतक रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 103वीं जयंती देशभर में मनाई जा रही है. इसी क्रम में कालाढूंगी, हल्द्वानी, पिथौरागढ़, और मसूरी में भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती धूमधाम से मनाई गई.

धूमधाम से मनाई गई पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 103वीं जयंती.

बता दें कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपना संपुर्ण जीवन देश और समाज के उद्धार में लगाया था. उनका का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान ग्राम में हुआ था. उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय और माता का नाम रामप्यारी था. 1937 के दौरान दीनदयाल उपाध्याय कानपुर से बी०ए० की पढ़ाई कर रहे थे. तभी अपने सहपाठी बालूजी महाशब्दे की प्रेरणा से वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आये. इसी दौरान उन्हें संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का सान्निध्य मिला. पढ़ाई पूरी होने के बाद उपाध्याय जी ने संघ का द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण पूर्ण किया और तब से वो संघ के जीवनव्रती प्रचारक हो गये, और आजीवन संघ के प्रचारक रहे.

संघ के माध्यम से ही उपाध्याय जी राजनीति में आये. 21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में 'भारतीय जनसंघ' की स्थापना हुई. उपाध्याय जी साल 1967 तक इस दल के महामंत्री रहे. इस अधिवेशन में पारित 15 प्रस्तावों में से 7 उपाध्याय जी ने ही प्रस्तुत किये थे. तभी डॉ० मुखर्जी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की कार्यकुशलता और क्षमता से प्रभावित होकर कहा था, कि यदि मुझे दो दीनदयाल मिल जाएं, तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा ही बदल दूं.

1967 में कालीकट अधिवेशन में दीन दयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए. जिसके बाद साल 1968 में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई. जिसके बाद पूरा देश शोक में डूब गया.

वहीं, आज कालाढूंगी के दीनदयाल पार्क में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाई गई. इस मौके पर भाजपा नेता विनोद बुडलकोटी ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय उनके आदर्श रहे हैं, और उनके पदचिह्रों पर चलना उनका उद्देश्य है.

उधर, हल्द्वानी में भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर खुशी राम पार्क में सफाई अभियान चलाया गया. साथ ही वृक्षारोपण कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. इस मौके पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक मजबूत और सशक्त भारत बनाना चाहते थे. राजनीति में उनकी गहरी रुचि थी. साथ ही बताया कि उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषा में कई पुस्तकें लिखी हैं और उनके योगदान को देश भुला नहीं सकता है. उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा की समयानुकूल अवधारणा प्रस्तुत करते हुए एकात्म मानववाद का चिंतन दिया था. साथ ही भाजपा के पंचशील सिद्धांत भी पंडित दीन दयाल उपाध्याय की ही देन है. दीन दयाल उपाध्याय ने उस दौर में ही अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का संकल्प लिया था.

ये भी पढ़े: काशीपुरः देश विरोधी नारे लगाने का वीडियो वायरल, हिंदूवादी संगठनों ने पुलिस को दी तहरीर

वहीं, मसूरी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपना पूरा जीवन समाज को समर्पित किया था. उन्होंने देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए एकात्म मानववाद का नारा देकर समाज को जोड़ने का प्रयास किया. साथ ही बताया कि भाजपा पंडित दीनदयाल के बताए रास्ते पर चलकर आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और देश के विकास में अपनी अहम भूमिका निभा रही है.

कालाढूंगी/हल्द्वानी/पिथौरागढ़/मसूरी: भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष और आरएसएस एस के शुभचिंतक रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 103वीं जयंती देशभर में मनाई जा रही है. इसी क्रम में कालाढूंगी, हल्द्वानी, पिथौरागढ़, और मसूरी में भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती धूमधाम से मनाई गई.

धूमधाम से मनाई गई पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 103वीं जयंती.

बता दें कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपना संपुर्ण जीवन देश और समाज के उद्धार में लगाया था. उनका का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान ग्राम में हुआ था. उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय और माता का नाम रामप्यारी था. 1937 के दौरान दीनदयाल उपाध्याय कानपुर से बी०ए० की पढ़ाई कर रहे थे. तभी अपने सहपाठी बालूजी महाशब्दे की प्रेरणा से वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आये. इसी दौरान उन्हें संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का सान्निध्य मिला. पढ़ाई पूरी होने के बाद उपाध्याय जी ने संघ का द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण पूर्ण किया और तब से वो संघ के जीवनव्रती प्रचारक हो गये, और आजीवन संघ के प्रचारक रहे.

संघ के माध्यम से ही उपाध्याय जी राजनीति में आये. 21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में 'भारतीय जनसंघ' की स्थापना हुई. उपाध्याय जी साल 1967 तक इस दल के महामंत्री रहे. इस अधिवेशन में पारित 15 प्रस्तावों में से 7 उपाध्याय जी ने ही प्रस्तुत किये थे. तभी डॉ० मुखर्जी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की कार्यकुशलता और क्षमता से प्रभावित होकर कहा था, कि यदि मुझे दो दीनदयाल मिल जाएं, तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा ही बदल दूं.

1967 में कालीकट अधिवेशन में दीन दयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए. जिसके बाद साल 1968 में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई. जिसके बाद पूरा देश शोक में डूब गया.

वहीं, आज कालाढूंगी के दीनदयाल पार्क में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाई गई. इस मौके पर भाजपा नेता विनोद बुडलकोटी ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय उनके आदर्श रहे हैं, और उनके पदचिह्रों पर चलना उनका उद्देश्य है.

उधर, हल्द्वानी में भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर खुशी राम पार्क में सफाई अभियान चलाया गया. साथ ही वृक्षारोपण कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. इस मौके पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक मजबूत और सशक्त भारत बनाना चाहते थे. राजनीति में उनकी गहरी रुचि थी. साथ ही बताया कि उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषा में कई पुस्तकें लिखी हैं और उनके योगदान को देश भुला नहीं सकता है. उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा की समयानुकूल अवधारणा प्रस्तुत करते हुए एकात्म मानववाद का चिंतन दिया था. साथ ही भाजपा के पंचशील सिद्धांत भी पंडित दीन दयाल उपाध्याय की ही देन है. दीन दयाल उपाध्याय ने उस दौर में ही अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का संकल्प लिया था.

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वहीं, मसूरी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपना पूरा जीवन समाज को समर्पित किया था. उन्होंने देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए एकात्म मानववाद का नारा देकर समाज को जोड़ने का प्रयास किया. साथ ही बताया कि भाजपा पंडित दीनदयाल के बताए रास्ते पर चलकर आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और देश के विकास में अपनी अहम भूमिका निभा रही है.

Intro:भारतीय राजनीति के पुरोधा, वैचारिक मार्गदर्शक एवं नैतिक प्रेरणा के स्रोत, उत्कर्ष संगठनकर्ता, सत्यनिष्ठ महान विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिवस कालाढुंगी मैं भाजपा कार्यकर्ताओं ने मिष्ठान वितरण कर मनाया।Body:कालाढुंगी मैं मनाया गया पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिवस, भाजपा कार्यकर्ताओं ने मिष्ठान वितरण कर मनाया जन्मदिवस।
पण्डित दीनदयाल उपाध्याय  जी का जन्म 25 सितम्बर 1916 मैं हुआ था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे।राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।Conclusion:कालाढुंगी मैं पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया। जन्मदिवस का कार्यक्रम कालाढुंगी के दीनदयाल पार्क मैं मनाया गया जहाँ भाजपा नेता विनोद बुडलकोटी ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय उनके आदर्श रहे है और उनके पदचिन्हों पर चलना उनका उद्देश्य है।
Last Updated : Sep 25, 2019, 11:31 PM IST
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