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कांजी हाउस में एक महीने में 105 गोवंश की मौत, त्रिवेंद्र सरकार बेखबर

गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है. बावजूद प्रदेश में गोवंश की स्थिति सुधरने की बजाए दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही हैं. केदारपुरम स्थित कांजी हाउस में जुलाई महीन में 105 गोवंश की मौत हो गई और सरकार को इसकी खबर तक नहीं है.

कांजी हाउस में मृत गोवंश
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Published : Jul 31, 2019, 5:16 PM IST

Updated : Aug 2, 2019, 8:04 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार का गोवंश प्रेम किसी से छिपा नहीं है. यही कारण है कि उत्तराखंड विधानसभा में पिछले साल सितंबर में गाय को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा देने वाला प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था. इस प्रस्ताव के पास होने के बाद राज्य सरकार और पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने खूब वाहवाही बटोरी थी. लेकिन हैरानी की बात ये है कि उसी विधानसभा से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर केदारपुरम में स्थित कांजी हाउस में जुलाई महीन में 105 गोवंश की मौत हो गई और सरकार को इसकी खबर तक नहीं है.

पढ़ें- आज हड़ताल पर रहेंगे डॉक्टर, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक का विरोध

उत्तराखंड सरकार गो संरक्षण एवं संवर्धन की बड़ी-बड़ी बातें तो लगातार कर रही है, लेकिन कांजी हाउस में रखे गये इन गोवंश की हालत इतनी बदतर हो गई है कि देख-रेख के अभाव में लगातार इनकी मौत हो रही है. कांजी हाउस में बंद गोवंश की दुर्दशा देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां किस तरह से गोवंश का रख-रखाव किया जा रहा है. देहरादून के केदारपुरम में बने कांजी हाउस की हालत इतनी बदतर है कि मरे हुए गोवंश को कौए खा रहे हैं. बाकी जो हैं वो मरणासन्न हालत में हैं.

त्रिवेंद्र सरकार बेखबर

कांजी हाउस में गोवंश को स्थिति देखकर किसी को भी दया आ जाए. जिन गोवंश की सेवा के लिए डॉक्टर और कर्मचारियों को तैनात किया गया है कि वो तिल-तिल कर दम तोड़ रही हैं. इस वक्त कांजी हाउस में 435 गौवंश मौजूद हैं. जिनके खाने पीने का इंतजाम करने के अलावा अन्य सुविधा मुहैया कराने का जिम्मा पशु विभाग के पास है.

कांजी हाउस में गोवंश को स्थिति को लेकर जब ईटीवी भारत ने मौके पर पहुंचकर वहां काम कर रहे कर्मचारियों से बात करनी चाही तो कोई भी कैमरे पर आने को तैयार नहीं हुआ. हालांकि, एक कर्मचारी ने बात जरूर की लेकिन उसने ज्यादा कुछ नहीं बताया.

पढ़ें- मारपीट मामला: दबंग किन्नर रजनी रावत समेत 40 के खिलाफ मुकदमा दर्ज

ऐसे में राज्य सरकार पर सवाल खड़े होने लाजमी हैं कि जिस प्रदेश की सरकार गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पास कराती है, उसी त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में गोवंश दम तोड़ रहे हैं और सरकार बेखबर है. यहां एक सवाल और महत्वपूर्ण है कि राज्य में गोवंश की देखभाल के लिए जगह-जगह देखे जाने वाले 'गोरक्षकों' की निगाह बीमारी और भुखमरी की शिकार इनपर क्यों नहीं पड़ती?

1 जुलाई से 31 जुलाई तक कुल 105 गोवंश की मौत

  • 1 जुलाई - 3 की मौत
  • 3 जुलाई - 3 की मौत
  • 4 जुलाई - 4 की मौत
  • 5 जुलाई - 1 की मौत
  • 7 जुलाई- 3 की मौत
  • 8 जुलाई - 5 की मौत
  • 10 जुलाई - 10 की मौत
  • 11 जुलाई - 2 की मौत
  • 12 जुलाई - 2 की मौत
  • 15 जुलाई - 5 की मौत
  • 16 जुलाई -1 की मौत
  • 17 जुलाई - 3 की मौत
  • 18 जुलाई - 2 की मौत
  • 19 जुलाई- 6 की मौत
  • 20 जुलाई - 4 की मौत
  • 21 जुलाई - 4 की मौत
  • 22 जुलाई - 4 की मौत
  • 23 जुलाई - 6 की मौत
  • 24 जुलाई - 6 की मौत
  • 25 जुलाई - 2 की मौत
  • 26 जुलाई - 7 की मौत
  • 27 जुलाई - 5 की मौत
  • 28 जुलाई - 3 की मौत
  • 29 जुलाई - 1 की मौत
  • 30 जुलाई - 9 की मौत
  • 31 जुलाई - 4 की मौत

देहरादून: उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार का गोवंश प्रेम किसी से छिपा नहीं है. यही कारण है कि उत्तराखंड विधानसभा में पिछले साल सितंबर में गाय को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा देने वाला प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था. इस प्रस्ताव के पास होने के बाद राज्य सरकार और पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने खूब वाहवाही बटोरी थी. लेकिन हैरानी की बात ये है कि उसी विधानसभा से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर केदारपुरम में स्थित कांजी हाउस में जुलाई महीन में 105 गोवंश की मौत हो गई और सरकार को इसकी खबर तक नहीं है.

पढ़ें- आज हड़ताल पर रहेंगे डॉक्टर, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक का विरोध

उत्तराखंड सरकार गो संरक्षण एवं संवर्धन की बड़ी-बड़ी बातें तो लगातार कर रही है, लेकिन कांजी हाउस में रखे गये इन गोवंश की हालत इतनी बदतर हो गई है कि देख-रेख के अभाव में लगातार इनकी मौत हो रही है. कांजी हाउस में बंद गोवंश की दुर्दशा देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां किस तरह से गोवंश का रख-रखाव किया जा रहा है. देहरादून के केदारपुरम में बने कांजी हाउस की हालत इतनी बदतर है कि मरे हुए गोवंश को कौए खा रहे हैं. बाकी जो हैं वो मरणासन्न हालत में हैं.

त्रिवेंद्र सरकार बेखबर

कांजी हाउस में गोवंश को स्थिति देखकर किसी को भी दया आ जाए. जिन गोवंश की सेवा के लिए डॉक्टर और कर्मचारियों को तैनात किया गया है कि वो तिल-तिल कर दम तोड़ रही हैं. इस वक्त कांजी हाउस में 435 गौवंश मौजूद हैं. जिनके खाने पीने का इंतजाम करने के अलावा अन्य सुविधा मुहैया कराने का जिम्मा पशु विभाग के पास है.

कांजी हाउस में गोवंश को स्थिति को लेकर जब ईटीवी भारत ने मौके पर पहुंचकर वहां काम कर रहे कर्मचारियों से बात करनी चाही तो कोई भी कैमरे पर आने को तैयार नहीं हुआ. हालांकि, एक कर्मचारी ने बात जरूर की लेकिन उसने ज्यादा कुछ नहीं बताया.

पढ़ें- मारपीट मामला: दबंग किन्नर रजनी रावत समेत 40 के खिलाफ मुकदमा दर्ज

ऐसे में राज्य सरकार पर सवाल खड़े होने लाजमी हैं कि जिस प्रदेश की सरकार गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पास कराती है, उसी त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में गोवंश दम तोड़ रहे हैं और सरकार बेखबर है. यहां एक सवाल और महत्वपूर्ण है कि राज्य में गोवंश की देखभाल के लिए जगह-जगह देखे जाने वाले 'गोरक्षकों' की निगाह बीमारी और भुखमरी की शिकार इनपर क्यों नहीं पड़ती?

1 जुलाई से 31 जुलाई तक कुल 105 गोवंश की मौत

  • 1 जुलाई - 3 की मौत
  • 3 जुलाई - 3 की मौत
  • 4 जुलाई - 4 की मौत
  • 5 जुलाई - 1 की मौत
  • 7 जुलाई- 3 की मौत
  • 8 जुलाई - 5 की मौत
  • 10 जुलाई - 10 की मौत
  • 11 जुलाई - 2 की मौत
  • 12 जुलाई - 2 की मौत
  • 15 जुलाई - 5 की मौत
  • 16 जुलाई -1 की मौत
  • 17 जुलाई - 3 की मौत
  • 18 जुलाई - 2 की मौत
  • 19 जुलाई- 6 की मौत
  • 20 जुलाई - 4 की मौत
  • 21 जुलाई - 4 की मौत
  • 22 जुलाई - 4 की मौत
  • 23 जुलाई - 6 की मौत
  • 24 जुलाई - 6 की मौत
  • 25 जुलाई - 2 की मौत
  • 26 जुलाई - 7 की मौत
  • 27 जुलाई - 5 की मौत
  • 28 जुलाई - 3 की मौत
  • 29 जुलाई - 1 की मौत
  • 30 जुलाई - 9 की मौत
  • 31 जुलाई - 4 की मौत
Intro:खुलासा ---उत्तराखंड की जिस विधानसभा में गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिया था उसी के पास मर गयी 102 गाय

feed live u se bheji gayi hai ---cow death

आपको याद होगा कि इसी साल जनवरी महीने में उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने देश में पहली बार अपनी विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित किया कि केंद्र सरकार गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दे इस प्रस्ताव के बाद राज्य सरकार और पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने खूब वाहवाही बटोरी मामला चौकी गाय से जुड़ा था लिहाजा तमाम बीजेपी सरकार उन्हें भी त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले पर जल्द ही प्रस्ताव पारित करके केंद्र को मजबूत कदम उठाने के लिए भी कहा लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित हुआ था उस विधानसभा से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर ही जुलाई महीने में 102 गाय दम तोड़ चुकी है हैरानी की बात यह है कि स्थानीय कर्मचारियों को 1 महीने में 102 मौतें भी भी कम लग रही है
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देहरादून के केदारपुरम में बने कांजी हाउस की हालत इतनी बदतर है कि गाय के गुंडों के बीच में ही अभी भी गाय जहां तहां मरी पड़ी है और मरी हुई गाय के मास को कौए खा रहे है । ईटीवी भारत को जैसे ही इस पूरी घटना की सूचना मिली तुरंत ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची जहां पर मौजूद हालत देखकर किसी को भी दया आ जाए जिन गाय के नाम पर डॉक्टर और कर्मचारियों की तैनाती हुई है वही गाय तिल तिल कर दम तोड़ रही हैं इस वक्त कांजी हाउस में 435 गाय मौजूद हैं जिसके लिए खाने पीने की व्यवस्था के अलावा दूसरी सभी सुविधाओं की दुहाई पशु विभाग दे रहा हैConclusion:
ईटीवी भारत की टीम ने जब कांजी हाउस में पहुंचकर वहां काम कर रहे कर्मचारियों से कैमरे पर बात करनी चाही तो पहले तो कोई बात करने के लिए तैयार नहीं हुआ लिहाजा एक कर्मचारी ने बात की तो उसने भी पल्ला झाड़ते हुए ज्यादा कुछ नहीं बताया अब सवाल उठता है कि हिंदूवादी सरकार का दम भरने वाली त्रिवेंद्र सरकार के राज में आखिरकार यह गाय क्यों हर रोज दम तोड़ रही है ईटीवी भारत का मकसद है कि सरकार जल्द ही इस कांजी हाउस की सुध ले और पल पल दम तोड़ रही गाय के इस घर की हालत सुधरे
Last Updated : Aug 2, 2019, 8:04 PM IST
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