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UKD संस्थापक डॉ. डीडी पंत की 101 वीं जयंती, कार्यकर्ताओं ने दी श्रद्धांजलि

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Published : Aug 14, 2020, 7:20 PM IST

आज यूकेडी कार्यकर्ताओं ने पार्टी के संस्थापक डॉ. डीडी पंत की 101वीं जयंती मनाई. इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी.

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UKD के संस्थापक डॉ. डीडी पंत की 101 वीं जयंती

देहरादून: आज उत्तराखंड क्रांति दल के प्रथम अध्यक्ष और कुमाऊं यूनिवर्सिटी के प्रथम कुलपति स्वर्गीय डॉ. देवी दत्त पंत की 101 वीं पुण्यतिथि है. इस मौके पर यूकेडी कार्यकर्ताओं ने पार्टी के संस्थापक डॉक्टर डीडी पंत को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी. इस दौरान कचहरी रोड स्थित केंद्रीय कार्यालय में एक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया.

UKD के संस्थापक डॉ. डीडी पंत की 101 वीं जयंती
डॉ. डीडी पंत के जीवन पर प्रकाश डालते हुए यूकेडी के संरक्षक त्रिवेंद्र पंवार ने कहा कि वे इतने बड़े व्यक्तित्व के धनी होने के भी सम्मान और प्रतिष्ठा से सैकड़ों दूर रहे. वे उत्तराखंड और पहाड़ के दर्द को बखूबी समझते थे. पहाड़ का सर्वांगीण विकास कैसे होगा, इसी सोच को लेकर उन्होंने 24- 25 जुलाई 1979 को उत्तराखंड क्रांति दल की स्थापना की थी.

पढ़ें- लोकायुक्त पर सरकार और विपक्ष में 'रार', कांग्रेस ने पूछा- वादा क्यों भूली सरकार?

उस दौरान 1938 से लगातार व्यक्तिगत व मंचों के माध्यम से उत्तराखंड राज्य की मांग उठ रही थी, लेकिन राजनीतिक एजेंडे के रूप में सबसे पहले डॉक्टर डीडी पंत की अगुवाई में उत्तराखंड क्रांति दल ने अलग राज्य की मांग उठाई. जिसके बाद उत्तराखंड राज्य आंदोलन की शुरुआत हुई. त्रिवेंद्र पंवार ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने राज्य का पानी और जवानी को बचाने की बात कही थी.

पढ़ें- विधायक की पत्नी ने दर्ज कराया ब्लैकमेलिंग का मुकदमा, लगाए गंभीर आरोप

बता दें कि क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल की स्थापना करने वाले डॉक्टर डीडी पंत का जन्म 14 अगस्त 1919 को पिथौरागढ़ के गंगाली में वैद्य अंबा दत्त पंत के यहां हुआ था. स्वर्गीय डीडी पंत ने अल्मोड़ा से सन 1936 और 1938 में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट किया. उसके बाद उन्होंने हिंदू विश्वविद्यालय बनारस से बीएससी और एमएससी की. जिसके बाद उसी विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर आसुंदी के निर्देशन में पीएचडी की.

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अपने आगे के शोध के लिए वो देश के प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सीवी रमन से जुड़े. डॉ डीडी पंत आगरा यूनिवर्सिटी में प्रवक्ता भी रहे. इसके अलावा 1971- 72 में शिक्षा निदेशक रहने के बाद गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर में डीन पद पर भी रहे. डॉक्टर पंत ही थे जिन्होंने कुमाऊं यूनिवर्सिटी के प्रथम कुलपति का कार्यभार ग्रहण किया था.

देहरादून: आज उत्तराखंड क्रांति दल के प्रथम अध्यक्ष और कुमाऊं यूनिवर्सिटी के प्रथम कुलपति स्वर्गीय डॉ. देवी दत्त पंत की 101 वीं पुण्यतिथि है. इस मौके पर यूकेडी कार्यकर्ताओं ने पार्टी के संस्थापक डॉक्टर डीडी पंत को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी. इस दौरान कचहरी रोड स्थित केंद्रीय कार्यालय में एक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया.

UKD के संस्थापक डॉ. डीडी पंत की 101 वीं जयंती
डॉ. डीडी पंत के जीवन पर प्रकाश डालते हुए यूकेडी के संरक्षक त्रिवेंद्र पंवार ने कहा कि वे इतने बड़े व्यक्तित्व के धनी होने के भी सम्मान और प्रतिष्ठा से सैकड़ों दूर रहे. वे उत्तराखंड और पहाड़ के दर्द को बखूबी समझते थे. पहाड़ का सर्वांगीण विकास कैसे होगा, इसी सोच को लेकर उन्होंने 24- 25 जुलाई 1979 को उत्तराखंड क्रांति दल की स्थापना की थी.

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उस दौरान 1938 से लगातार व्यक्तिगत व मंचों के माध्यम से उत्तराखंड राज्य की मांग उठ रही थी, लेकिन राजनीतिक एजेंडे के रूप में सबसे पहले डॉक्टर डीडी पंत की अगुवाई में उत्तराखंड क्रांति दल ने अलग राज्य की मांग उठाई. जिसके बाद उत्तराखंड राज्य आंदोलन की शुरुआत हुई. त्रिवेंद्र पंवार ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने राज्य का पानी और जवानी को बचाने की बात कही थी.

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बता दें कि क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल की स्थापना करने वाले डॉक्टर डीडी पंत का जन्म 14 अगस्त 1919 को पिथौरागढ़ के गंगाली में वैद्य अंबा दत्त पंत के यहां हुआ था. स्वर्गीय डीडी पंत ने अल्मोड़ा से सन 1936 और 1938 में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट किया. उसके बाद उन्होंने हिंदू विश्वविद्यालय बनारस से बीएससी और एमएससी की. जिसके बाद उसी विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर आसुंदी के निर्देशन में पीएचडी की.

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अपने आगे के शोध के लिए वो देश के प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सीवी रमन से जुड़े. डॉ डीडी पंत आगरा यूनिवर्सिटी में प्रवक्ता भी रहे. इसके अलावा 1971- 72 में शिक्षा निदेशक रहने के बाद गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर में डीन पद पर भी रहे. डॉक्टर पंत ही थे जिन्होंने कुमाऊं यूनिवर्सिटी के प्रथम कुलपति का कार्यभार ग्रहण किया था.

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