ETV Bharat / state

बारिश में चंपावत की लाइफ लाइन बंद, टनकपुर-चंपावत हाईवे कई जगहों पर बंद - खड़ी फसल भी बर्बाद

उत्तराखंड के सीमांत जिले चंपावत में बारिश ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा रखी है. चंपावत की लाइफ लाइन कहे जाने वाला टनकपुर चंपावत नेशनल हाईवे भी कई जगहों पर बंद पड़ा हुआ है. जिस कारण लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है. वहीं खटीमा में बारिश के कारण खेतों में तैयार खड़ी फसल भी बर्बाद हो गई.

लाइफ लाइन बंद
लाइफ लाइन बंद
author img

By

Published : Oct 12, 2022, 9:52 PM IST

चंपावत: उत्तराखंड में बारिश ने लोगों की मुश्किले बढ़ा रखी है. बारिश के कारण टनकपुर चंपावत नेशनल हाईवे कई जगहों पर बंद पड़ा हुआ है. वहीं, आबादी क्षेत्रों में भी भूस्खलन के चलते काफी नुकसान हुआ है. प्रशासन ने खतरे की जद में आए लोगों को सुरक्षित स्थानों में भेजा है.

चंपावत में बीते चार दिनों से बारिश रूकने का नाम ही नहीं ले रही है. बारिश की वजह से जिले के कई छोटे-बड़े मार्ग बंद पड़े हुए हैं. सबसे ज्यादा समस्या दूरस्थ इलाकों में रसद पहुंचाने की हो रही है. कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कटा हुआ है. वहीं कुछ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कई भवनों की सुरक्षा दीवारें ढहने से लोग खतरे की जद में आ गए हैं. कई लोगों के घरों पर पेड़ गिर गए हैं. एनएच और लोनिवि कर्मी सड़क को खोलने में जुटे हुए हैं.
पढ़ें- पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट की आड़ में काट डाला कॉर्बेट का जंगल, चुप बैठी रही तत्कालीन सरकार

लोहाघाट के तहसीलदार विजय गोस्वामी ने बताया कि खतरे की जद में आ चुके भवनो में रहने वाले परिवारों को सुरक्षित स्थानों में शिफ्ट किया जा चुका है. राजस्व उपनिरीक्षक लगातार अपने-अपने क्षेत्रों में नजरें बनाए हुए हैं. वहीं लगातार हो रही भारी बारिश से क्षेत्र में ठंड का प्रकोप भी काफी बढ़ गया है. लगातार हो रही बारिश से क्षेत्र में बहने वाली महाकाली, सरयू और रामगंगा नदियां उफान मार रही हैं. जिस कारण तराई क्षेत्र के लिए भी खतरा पैदा हो गया है, बारिश के चलते सीमांत क्षेत्रों में लोग काफी दहशत में हैं. चंपावत जिला प्रशासन ने पूरी प्रशासनिक मशीनरी को अलर्ट मोड में रखा है.

फसल हुई बर्बाद: भारी बारिश की वजह से खेतों में तैयार खड़ी किसानों की फसल भी बर्बाद हो गई है. बारिश ने किसान की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया था. वहीं धान में नमी की मात्रा बढ़ने के कारण किसान धान बिक्री में परेशान हो रहे हैं. राज्य किसान आयोग के उपाध्यक्ष ने सरकार से धान बिक्री में नमी की मात्रा 17% से बढ़ाकर 20% करने और जल्द से जल्द सर्वे कराकर किसानों को उनकी खराब हुई फसल का मुआवजा देने की मांग की.
पढ़ें- उत्तराखंड में मानसून बदल रहा ट्रेंड, बारिश की टेढ़ी चाल बन रही 'आफत'

खटीमा क्षेत्र के अधिकांश इलाकों में जमकर बारिश हुई. जिसके चलते खेतों में खड़ा धान पूरी तरह डूब गया. कहीं कहीं पर तो धान पूरा गिर गया है और खेतों में जो धान काटा गया था वह भी भीग गया है. धान की फसल बारिश के कारण खराब हो जाने से क्षेत्र के किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं. क्षेत्र के किसानों की मांग है कि सरकार तत्काल खराब हुई धान की फसल का सर्वे कराए और उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुआवजा दें, ताकि वह अपनी रोजी-रोटी चला सकें.

चंपावत: उत्तराखंड में बारिश ने लोगों की मुश्किले बढ़ा रखी है. बारिश के कारण टनकपुर चंपावत नेशनल हाईवे कई जगहों पर बंद पड़ा हुआ है. वहीं, आबादी क्षेत्रों में भी भूस्खलन के चलते काफी नुकसान हुआ है. प्रशासन ने खतरे की जद में आए लोगों को सुरक्षित स्थानों में भेजा है.

चंपावत में बीते चार दिनों से बारिश रूकने का नाम ही नहीं ले रही है. बारिश की वजह से जिले के कई छोटे-बड़े मार्ग बंद पड़े हुए हैं. सबसे ज्यादा समस्या दूरस्थ इलाकों में रसद पहुंचाने की हो रही है. कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कटा हुआ है. वहीं कुछ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कई भवनों की सुरक्षा दीवारें ढहने से लोग खतरे की जद में आ गए हैं. कई लोगों के घरों पर पेड़ गिर गए हैं. एनएच और लोनिवि कर्मी सड़क को खोलने में जुटे हुए हैं.
पढ़ें- पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट की आड़ में काट डाला कॉर्बेट का जंगल, चुप बैठी रही तत्कालीन सरकार

लोहाघाट के तहसीलदार विजय गोस्वामी ने बताया कि खतरे की जद में आ चुके भवनो में रहने वाले परिवारों को सुरक्षित स्थानों में शिफ्ट किया जा चुका है. राजस्व उपनिरीक्षक लगातार अपने-अपने क्षेत्रों में नजरें बनाए हुए हैं. वहीं लगातार हो रही भारी बारिश से क्षेत्र में ठंड का प्रकोप भी काफी बढ़ गया है. लगातार हो रही बारिश से क्षेत्र में बहने वाली महाकाली, सरयू और रामगंगा नदियां उफान मार रही हैं. जिस कारण तराई क्षेत्र के लिए भी खतरा पैदा हो गया है, बारिश के चलते सीमांत क्षेत्रों में लोग काफी दहशत में हैं. चंपावत जिला प्रशासन ने पूरी प्रशासनिक मशीनरी को अलर्ट मोड में रखा है.

फसल हुई बर्बाद: भारी बारिश की वजह से खेतों में तैयार खड़ी किसानों की फसल भी बर्बाद हो गई है. बारिश ने किसान की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया था. वहीं धान में नमी की मात्रा बढ़ने के कारण किसान धान बिक्री में परेशान हो रहे हैं. राज्य किसान आयोग के उपाध्यक्ष ने सरकार से धान बिक्री में नमी की मात्रा 17% से बढ़ाकर 20% करने और जल्द से जल्द सर्वे कराकर किसानों को उनकी खराब हुई फसल का मुआवजा देने की मांग की.
पढ़ें- उत्तराखंड में मानसून बदल रहा ट्रेंड, बारिश की टेढ़ी चाल बन रही 'आफत'

खटीमा क्षेत्र के अधिकांश इलाकों में जमकर बारिश हुई. जिसके चलते खेतों में खड़ा धान पूरी तरह डूब गया. कहीं कहीं पर तो धान पूरा गिर गया है और खेतों में जो धान काटा गया था वह भी भीग गया है. धान की फसल बारिश के कारण खराब हो जाने से क्षेत्र के किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं. क्षेत्र के किसानों की मांग है कि सरकार तत्काल खराब हुई धान की फसल का सर्वे कराए और उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुआवजा दें, ताकि वह अपनी रोजी-रोटी चला सकें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.