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आज होगा मां पूर्णागिरि मेले का आगाज, धाम की ये है रोचक पौराणिक कथा - उत्तराखंड पूर्णागिरि मेला

चंपावत स्थित मां पूर्णागिरि धाम में आज 97 दिवसीय मेले का उद्घाटन होने जा रहा है. यह मेला 15 जून तक चलेगा, मां पूर्णागिरि धाम 51 शक्तिपीठों में से एक है. यह मेला उत्तरभारत का सुप्रसिद्ध मेला है.

Champawat Purnagiri Fair
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Published : Mar 11, 2020, 8:24 AM IST

Updated : Mar 11, 2020, 2:51 PM IST

चंपावत: मां पूर्णागिरि धाम में लगने वाला मेला उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध मेला है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु शीष नवाने आते हैं. पूर्णागिरि मेला इस बार 11 मार्च यानी आज से शुरू होगा और 15 जून तक चलेगा. इस बार मेला 97 दिनों तक चलेगा. मेले का उद्घाटन चम्पावत विधायक कैलाश गहतोड़ी व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय करेंगे. वहीं बताया जा रहा है कि मेले के उद्घाटन समारोह में बीजेपी अध्यक्ष बंशीधर भगत भी शिरकत कर सकते हैं.

मां पूर्णागिरि मेले का आगाज.

मां पूर्मागिरि का मंदिर टनकपुर से मात्र 25 किमी की दूरी पर स्थित है. मां के दरबार की गणना भारत की 51 शक्तिपीठों में की जाती है. मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि दक्ष प्रजापति ने एक बार यज्ञ का आयोजन किया और उसमें महादेव को छोड़कर सारे देवताओं को आमंत्रित किया गया था.

मां उमा पिता द्वारा पति महादेव का ये अपमान सहन नहीं कर सकी और यज्ञ कुंड में कूदकर प्राणों की आहूति दे दी थी. जैसे ही भगवान शिव को इस बात का पता चला वे काफी क्रोधित हुए और अपने गणों से दक्ष प्रजापति के यज्ञ को तहस-नहस करने का आदेश दिया. वहीं माता सती के शव को देखकर विलाप करने लगे.

जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने चक्र से महादेव के क्रोध को शांत करने के लिए माता सती पार्वती के शरीर के 64 टुकडे कर दिये और वहीं पर शक्ति पीठ स्थापित हुआ. इसी क्रम में पूर्णागिरि शक्ति पीठ स्थल पर सती पार्वती की नाभि गिरी थी.

तब से मां के इस धाम में प्रदेश ही नहीं अन्य प्रान्तों से भी लोग दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. मान्यता है मां की सच्चे मन से उपासना करने से हर मुराद पूरी होती है. वहीं पूर्णागिरी मंदिर से एक किमी की दूरी पर है झूठे का मंदिर स्थित है. जिसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं.

पढ़ें- MP की सियासत: ज्योतिरादित्य सिंधिया पर बोले हरदा, सिर्फ कांग्रेस में मिल सकता था उचित सम्मान

मेले में सुरक्षा व्यवस्था

इस बार मेले में यातायात व्यवस्था पर नियंत्रण के लिए नियमों में कुछ बदलाव किया गया है, जिसके अनुसार बड़े वाहनों से आने वाले यात्रियों को इस बार तीन घंटे तक टनकपुर में रुकना होगा. यात्रियों से वाहनों का पार्किंग शुल्क अब एक ही जगह पर लिया जाएगा. प्रशासन ने इस बार निजी पार्किंग बनाने की भी छूट दी है.

इसके अलावा शहर के गांधी मैदान, बैराज मार्ग और उचौलीगगोठ के बूम में वाहन पार्किंग की जाएगी. वहीं, मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के लिए जिले में उपलब्ध पुलिस फोर्स के अलावा बाहरी जिलों से भी पुलिस फोर्स मंगवाई जाएगी. वहीं, इस दौरान पूरे मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों से पैनी नजर रखी जाएगी.

चंपावत: मां पूर्णागिरि धाम में लगने वाला मेला उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध मेला है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु शीष नवाने आते हैं. पूर्णागिरि मेला इस बार 11 मार्च यानी आज से शुरू होगा और 15 जून तक चलेगा. इस बार मेला 97 दिनों तक चलेगा. मेले का उद्घाटन चम्पावत विधायक कैलाश गहतोड़ी व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय करेंगे. वहीं बताया जा रहा है कि मेले के उद्घाटन समारोह में बीजेपी अध्यक्ष बंशीधर भगत भी शिरकत कर सकते हैं.

मां पूर्णागिरि मेले का आगाज.

मां पूर्मागिरि का मंदिर टनकपुर से मात्र 25 किमी की दूरी पर स्थित है. मां के दरबार की गणना भारत की 51 शक्तिपीठों में की जाती है. मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि दक्ष प्रजापति ने एक बार यज्ञ का आयोजन किया और उसमें महादेव को छोड़कर सारे देवताओं को आमंत्रित किया गया था.

मां उमा पिता द्वारा पति महादेव का ये अपमान सहन नहीं कर सकी और यज्ञ कुंड में कूदकर प्राणों की आहूति दे दी थी. जैसे ही भगवान शिव को इस बात का पता चला वे काफी क्रोधित हुए और अपने गणों से दक्ष प्रजापति के यज्ञ को तहस-नहस करने का आदेश दिया. वहीं माता सती के शव को देखकर विलाप करने लगे.

जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने चक्र से महादेव के क्रोध को शांत करने के लिए माता सती पार्वती के शरीर के 64 टुकडे कर दिये और वहीं पर शक्ति पीठ स्थापित हुआ. इसी क्रम में पूर्णागिरि शक्ति पीठ स्थल पर सती पार्वती की नाभि गिरी थी.

तब से मां के इस धाम में प्रदेश ही नहीं अन्य प्रान्तों से भी लोग दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. मान्यता है मां की सच्चे मन से उपासना करने से हर मुराद पूरी होती है. वहीं पूर्णागिरी मंदिर से एक किमी की दूरी पर है झूठे का मंदिर स्थित है. जिसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं.

पढ़ें- MP की सियासत: ज्योतिरादित्य सिंधिया पर बोले हरदा, सिर्फ कांग्रेस में मिल सकता था उचित सम्मान

मेले में सुरक्षा व्यवस्था

इस बार मेले में यातायात व्यवस्था पर नियंत्रण के लिए नियमों में कुछ बदलाव किया गया है, जिसके अनुसार बड़े वाहनों से आने वाले यात्रियों को इस बार तीन घंटे तक टनकपुर में रुकना होगा. यात्रियों से वाहनों का पार्किंग शुल्क अब एक ही जगह पर लिया जाएगा. प्रशासन ने इस बार निजी पार्किंग बनाने की भी छूट दी है.

इसके अलावा शहर के गांधी मैदान, बैराज मार्ग और उचौलीगगोठ के बूम में वाहन पार्किंग की जाएगी. वहीं, मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के लिए जिले में उपलब्ध पुलिस फोर्स के अलावा बाहरी जिलों से भी पुलिस फोर्स मंगवाई जाएगी. वहीं, इस दौरान पूरे मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों से पैनी नजर रखी जाएगी.

Last Updated : Mar 11, 2020, 2:51 PM IST
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