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देवभूमि की हसीन वादियां बनी बॉलीवुड की पहली पसंद, फिल्म शूटिंग को सरकार दे रही बढ़ावा

पिछले कुछ सालों से उत्तराखंड में शूटिंग का क्रेज बढ़ता जा रहा है. इसलिए पयर्टक हो या फिर फिल्मी दुनिया से जुड़े लोग यहां खींचे चले आते हैं.

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Published : Feb 23, 2021, 10:26 AM IST

Updated : Feb 23, 2021, 10:55 AM IST

Film shooting
फिल्मों की शूटिंग का क्रेज

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड की हसीन वादियों की बात ही कुछ अलग है. इसलिए पयर्टक हो या फिर फिल्मी दुनिया से जुड़े लोग यहां खींचे चले आते हैं. पहाड़ की विहंगम और खूबसूरत वादियों में शूटिंग के लिए फिल्मी सितारे लगातार उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड सरकार भी अपने स्तर से फिल्मी शूटिंग के लिए कई बार आमंत्रण दे चुकी है.

कला और सिनेमा जगत में काम करने वाले पेशेवर हमेशा ऐसी जगहों की तलाश करते रहते हैं, जहां वे प्रकृति से जुड़ सकें और शांत-सुरम्य, वादियों के अनुभवों को पर्दे पर उतार सकें. शहरों की भीड़, शोर और व्यस्तता से सुदूर कुदरत की पनाह में उन्हें यह सुअवसर मिलता है.

सुंदर भव्य पर्वतों, नदियों, खूबसूरत नजारों, वास्तुशिल्प के कारण उत्तराखंड अंग्रेजों के जमाने से लेकर आज तक रचनात्मक स्थलों में सदैव शामिल रहा है. रुडयार्ड किपलिंग, रस्किन बॉन्ड, अरविंद अडिगा, स्टीफन ऑल्टर आदि लेखकों ने खूबसूरत हिमालय की गोद में बैठकर अपनी कहानियों को आकार दिया है. केवल लेखक ही नहीं बल्कि सिनेमा जगत के लोग भी अपनी फिल्मों को अर्थपूर्ण स्पर्श देने के लिए यहां आकर उपयुक्त स्थलों पर शूटिंग कर रहे हैं. इसके साथ ही हिंदी फिल्म उद्योग के कई जाने माने फिल्मकार अपनी कहानियों को अलग अंदाज में पेश करने के इरादे से उत्तराखंड के विभिन्न स्थलों पर आते रहे हैं.

पहले फिल्मकार उत्तराखंड आकर केवल वन अनुसंधान संस्थान, नैनीताल और मसूरी में ही ज्यादातर शूटिंग करना चाहते थे, लेकिन हाल के वर्षों में कम जानीमानी जगहें भी लोगों के ध्यान में आ रही हैं, जो न केवल हिंदी फिल्मों के बल्कि तमिल व तेलूगु फिल्मों के निर्माता निर्देशकों को भी आकर्षित कर रही हैं. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड को दुनिया का पसंदीदा फिल्म डेस्टिनेशन बनाने के लिए वे निरंतर विकासकार्य कर रहे हैं. वर्ष 2021 में उनका फोकस इस पर है कि प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशकों को अपनी लोककथाओं से परिचित कराएं, उन्हें बढ़ावा दें ताकि उन कहानियों पर सिरीज और फिल्में बन सकें. तो वही, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि उत्तराखंड हमेशा से दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है और अब सक्षम फिल्म निर्माताओं को यहां शूटिंग करने के लिए और ज्यादा फिल्म पाॅलिसी लाने की कोशिश की जा रही है.

नीतियों और परियोजनाओं की जानकारी देते हुए उत्तराखंड फिल्म टूरिज्म बोर्ड के नोडल ऑफिसर केएस. चैहान ने कहा कि उत्तराखंड 2015 में फिल्म पाॅलिसी जारी करने के बाद से अभी तक 400 से अधिक फिल्मों, धारावाहिक, सॉन्ग की अनुमति दी गई है. यह आंकड़ा अपने आप मे बहुत बड़ा है. इसका कारण फिल्म नीति में कई सुविधायें, फिल्म शूटिंग की सिंगल विंडो के तहत एक ही दिन में फिल्म शूटिंग की अनुमति, बेस्ट शूटिंग डेस्टिनेशन, जगह-जगह फिल्म सेमिनार में उत्तराखंड फिल्म डेस्टिनेशन के संदर्भ में फिल्म मेकर को अवगत कराना है.

उन्होंने आगे बताया कि फिल्म शूटिंग से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का राजस्व सरकार को टैक्स के रूप में और स्थानीय स्तर पर लोगों को करोड़ों का रोजगार होटल, कार, कैटरिंग आर्टिस्ट के रुप में प्राप्त हो रहा है. यही नहीं, फिल्म निर्माताओं की फीडबैक रिपोर्ट और अन्य कई फिल्म शूटिंग के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए, प्रयास से ही उत्तराखंड को वर्ष 2017 में स्पेशियल मेंशन पुरस्कार, 2018 में मोस्ट फिल्म फ्रेंडली का प्रथम पुरस्कार, 2019 में बेस्ट फिल्म पर्यटन डेस्टिनेशन का पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया गया.

पढ़ें: रामनगर में आमने-सामने आईं बीजेपी-कांग्रेस, दोनों ने निकाली रैली

उत्तराखंड फिल्मकारों के लिए फिल्म नीतियां

1-गढ़वाल मंडल विकास निगम लिमिटेड और कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड के गेस्ट हाउस में फिल्म यूनिटों को शूटिंग के दौरान 50 प्रतिशत डिस्काउंट दिया जाएगा.


2-जिन फिल्मों की उत्तराखंड में 50 प्रतिशत या उससे अधिक आउटडोर शूटिंग होगी, उन्हें राज्य में टैक्स फ्री किया जाएगा.


3-दो करोड़ रुपये की निर्माण लागत से बनने वाली हिंदी फिल्मों के लिए राज्य सरकार 1.5 करोड़ रुपये तक की फाइनेंसिंग पर भी विचार कर सकता है. अगर 75 प्रतिशत शूटिंग उत्तराखंड राज्य में होगी.


4-उत्तराखंड में क्षेत्रीय भाषा में निर्मित फिल्मों की प्रोसेसिंग के खर्च के लिए इंसेंटिव 30 प्रतिशत या फिर 25 लाख (जो भी कम हो) दिया जाएगा. उत्तराखंड में स्थित लैब में प्रोसेसिंग की जाएगी.


5-उत्तराखंड के अलावा क्षेत्रीय फिल्मों की प्रोसेसिंग व्यय पर इंसेंटिव जिनकी 75 प्रतिशत या अधिक शूटिंग उत्तराखंड की बोलियों में होगी. 30 प्रतिशत या फिर 15 लाख (जो भी कम हो) अगर प्रोसेसिंग उत्तराखंड स्थित लैब में होगी.


6-उत्तराखंड सरकार का सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम भी है, जो निवेशकों को सुविधा देती है.

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड की हसीन वादियों की बात ही कुछ अलग है. इसलिए पयर्टक हो या फिर फिल्मी दुनिया से जुड़े लोग यहां खींचे चले आते हैं. पहाड़ की विहंगम और खूबसूरत वादियों में शूटिंग के लिए फिल्मी सितारे लगातार उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड सरकार भी अपने स्तर से फिल्मी शूटिंग के लिए कई बार आमंत्रण दे चुकी है.

कला और सिनेमा जगत में काम करने वाले पेशेवर हमेशा ऐसी जगहों की तलाश करते रहते हैं, जहां वे प्रकृति से जुड़ सकें और शांत-सुरम्य, वादियों के अनुभवों को पर्दे पर उतार सकें. शहरों की भीड़, शोर और व्यस्तता से सुदूर कुदरत की पनाह में उन्हें यह सुअवसर मिलता है.

सुंदर भव्य पर्वतों, नदियों, खूबसूरत नजारों, वास्तुशिल्प के कारण उत्तराखंड अंग्रेजों के जमाने से लेकर आज तक रचनात्मक स्थलों में सदैव शामिल रहा है. रुडयार्ड किपलिंग, रस्किन बॉन्ड, अरविंद अडिगा, स्टीफन ऑल्टर आदि लेखकों ने खूबसूरत हिमालय की गोद में बैठकर अपनी कहानियों को आकार दिया है. केवल लेखक ही नहीं बल्कि सिनेमा जगत के लोग भी अपनी फिल्मों को अर्थपूर्ण स्पर्श देने के लिए यहां आकर उपयुक्त स्थलों पर शूटिंग कर रहे हैं. इसके साथ ही हिंदी फिल्म उद्योग के कई जाने माने फिल्मकार अपनी कहानियों को अलग अंदाज में पेश करने के इरादे से उत्तराखंड के विभिन्न स्थलों पर आते रहे हैं.

पहले फिल्मकार उत्तराखंड आकर केवल वन अनुसंधान संस्थान, नैनीताल और मसूरी में ही ज्यादातर शूटिंग करना चाहते थे, लेकिन हाल के वर्षों में कम जानीमानी जगहें भी लोगों के ध्यान में आ रही हैं, जो न केवल हिंदी फिल्मों के बल्कि तमिल व तेलूगु फिल्मों के निर्माता निर्देशकों को भी आकर्षित कर रही हैं. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड को दुनिया का पसंदीदा फिल्म डेस्टिनेशन बनाने के लिए वे निरंतर विकासकार्य कर रहे हैं. वर्ष 2021 में उनका फोकस इस पर है कि प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशकों को अपनी लोककथाओं से परिचित कराएं, उन्हें बढ़ावा दें ताकि उन कहानियों पर सिरीज और फिल्में बन सकें. तो वही, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि उत्तराखंड हमेशा से दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है और अब सक्षम फिल्म निर्माताओं को यहां शूटिंग करने के लिए और ज्यादा फिल्म पाॅलिसी लाने की कोशिश की जा रही है.

नीतियों और परियोजनाओं की जानकारी देते हुए उत्तराखंड फिल्म टूरिज्म बोर्ड के नोडल ऑफिसर केएस. चैहान ने कहा कि उत्तराखंड 2015 में फिल्म पाॅलिसी जारी करने के बाद से अभी तक 400 से अधिक फिल्मों, धारावाहिक, सॉन्ग की अनुमति दी गई है. यह आंकड़ा अपने आप मे बहुत बड़ा है. इसका कारण फिल्म नीति में कई सुविधायें, फिल्म शूटिंग की सिंगल विंडो के तहत एक ही दिन में फिल्म शूटिंग की अनुमति, बेस्ट शूटिंग डेस्टिनेशन, जगह-जगह फिल्म सेमिनार में उत्तराखंड फिल्म डेस्टिनेशन के संदर्भ में फिल्म मेकर को अवगत कराना है.

उन्होंने आगे बताया कि फिल्म शूटिंग से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का राजस्व सरकार को टैक्स के रूप में और स्थानीय स्तर पर लोगों को करोड़ों का रोजगार होटल, कार, कैटरिंग आर्टिस्ट के रुप में प्राप्त हो रहा है. यही नहीं, फिल्म निर्माताओं की फीडबैक रिपोर्ट और अन्य कई फिल्म शूटिंग के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए, प्रयास से ही उत्तराखंड को वर्ष 2017 में स्पेशियल मेंशन पुरस्कार, 2018 में मोस्ट फिल्म फ्रेंडली का प्रथम पुरस्कार, 2019 में बेस्ट फिल्म पर्यटन डेस्टिनेशन का पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया गया.

पढ़ें: रामनगर में आमने-सामने आईं बीजेपी-कांग्रेस, दोनों ने निकाली रैली

उत्तराखंड फिल्मकारों के लिए फिल्म नीतियां

1-गढ़वाल मंडल विकास निगम लिमिटेड और कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड के गेस्ट हाउस में फिल्म यूनिटों को शूटिंग के दौरान 50 प्रतिशत डिस्काउंट दिया जाएगा.


2-जिन फिल्मों की उत्तराखंड में 50 प्रतिशत या उससे अधिक आउटडोर शूटिंग होगी, उन्हें राज्य में टैक्स फ्री किया जाएगा.


3-दो करोड़ रुपये की निर्माण लागत से बनने वाली हिंदी फिल्मों के लिए राज्य सरकार 1.5 करोड़ रुपये तक की फाइनेंसिंग पर भी विचार कर सकता है. अगर 75 प्रतिशत शूटिंग उत्तराखंड राज्य में होगी.


4-उत्तराखंड में क्षेत्रीय भाषा में निर्मित फिल्मों की प्रोसेसिंग के खर्च के लिए इंसेंटिव 30 प्रतिशत या फिर 25 लाख (जो भी कम हो) दिया जाएगा. उत्तराखंड में स्थित लैब में प्रोसेसिंग की जाएगी.


5-उत्तराखंड के अलावा क्षेत्रीय फिल्मों की प्रोसेसिंग व्यय पर इंसेंटिव जिनकी 75 प्रतिशत या अधिक शूटिंग उत्तराखंड की बोलियों में होगी. 30 प्रतिशत या फिर 15 लाख (जो भी कम हो) अगर प्रोसेसिंग उत्तराखंड स्थित लैब में होगी.


6-उत्तराखंड सरकार का सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम भी है, जो निवेशकों को सुविधा देती है.

Last Updated : Feb 23, 2021, 10:55 AM IST
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