चंपावत: टनकपुर में ब्रह्मदेव के पास नो मेंस लैंड में नेपाल की ओर से फिर अतिक्रमण की कोशिश हुई है. नेपाल की ओर से फिर अतिक्रमण की सुगबुगाहट पर भारतीय अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया और नेपाली अधिकारियों से समक्ष आपत्ति जताते हुए नेपाल प्रशासन को विवादित नो मेंस लैंड से अतिक्रमण हटाने के लिए कहा है. खुली सीमा और कई सीमा स्तंभों के गायब होने के बाद भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है.
सीमा विवाद सुलझाने के लिए गत वर्ष दोनों देशों की संयुक्त टीम ने सीमा का सर्वे शुरू किया था. लेकिन कोरोना महामारी के कारण सर्वे बीच में ही रोकना पड़ा. बीते लॉकडाउन के दौरान नेपाल की ओर से टनकपुर सीमा में ब्रह्मदेव (नेपाल) के पास विवादित नो मेंस लैंड में तारबाड़ लगा अतिक्रमण किए जाने पर खासा विवाद हुआ था.
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इस वर्ष भी ब्रह्मदेव के शुरुआती छोर में पुलिया निर्माण के लिए नेपाल की ओर से की गई खुदाई और शांति पुनर्स्थापना गृह (पीसीआर) का टिनशेड रखने से फिर सीमा विवाद पैदा हो गया है. हालांकि भारतीय प्रशासन की आपत्ति पर नेपाल ने पुलिया निर्माण का कार्य रोककर और पीसीआर का टिनशेड थोड़ा नेपाल की ओर कर लिया है. लेकिन दो दिन पहले फिर उसी विवादित स्थल पर नेपाल की ओर से अतिक्रमण की सुगबुगाहट से भारतीय प्रशासन अलर्ट हो गया है.
सोमवार को एसडीएम हिमांशु कफल्टिया की अगुवाई में पुलिस और एसएसबी के अधिकारियों की टीम ने अतिक्रमण स्थल का निरीक्षण किया. एसडीएम ने बताया कि नेपाल एपीएफ (सशस्त्र पुलिस बल) के अधिकारियों से अतिक्रमण नहीं होने देने और पूर्व में किया गया अतिक्रमण हटाने को कहा गया है. टीम में सीओ अविनाश वर्मा टनकपुर और एसएसबी के अधिकारी शामिल थे.
लंबा चल रहा विवाद
टनकपुर से लगती नेपाल सीमा में सीमा स्तंभ गायब होने से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद बना हुआ है. जुलाई 2020 में नेपाल की वन समिति और नागरिकों की ओर से ब्रह्मदेव बाजार के उत्तरी छोर में विवादित भूमि पर तारबाड़ कर अतिक्रमण किए जाने से खासा विवाद हुआ था. नेपाल इस भूमि को अपनी तो भारतीय प्रशासन इसे नो मेंस लैंड होने का दावा करता रहा है. दोनों देशों के सीमांत जिलों के अधिकारियों के बीच होने वाली बैठकों में भी सीमा विवाद अक्सर उठता रहा है. पिछले वर्ष भारत-नेपाल सीमा का संयुक्त सर्वे शुरू हो चुका था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण सर्वे बीच में ही बंद करना पड़ा.