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चंपावत: गुरु गोरखनाथ के दर्शन कर CM धामी ने फूंका उपचुनाव का बिगुल - धामी ने की गोरखनाथ की पूजा

उत्तराखंड में लंबे समय से उपचुनाव को लेकर चला आ रहा सस्पेंस खत्म हो गया है. कैलाश गहतोड़ी के इस्तीफा देने के बाद सीएम धामी सीधे चंपावत पहुंचे और गुरु गोरखनाथ धाम में दर्शन-पूजन करते हुए उपचुनाव का बिगुल फूंक दिया.

CM Pushkar Singh Dhami
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
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Published : Apr 21, 2022, 4:27 PM IST

Updated : Apr 21, 2022, 7:23 PM IST

चंपावत: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का चंपावत से उपचुनाव (CM Dhami will contest by-election from Champawat Seat) लड़ने का रास्ता साफ हो गया है. चंपावत से विधायक कैलाश गहतोड़ी ने इस्तीफा (Champawat MLA Kailash Gahatodi resign) विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा. कैलाश गहतोड़ी के इस्तीफे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत रवाना हो गए. ऐसा इसीलिए क्योंकि सीएम धामी कोई भी समय गंवाए बगैर ही उपचुनाव की तैयारी में जुट गये हैं.

लगभग 5 किलोमीटर पैदल मार्ग से चलकर पौराणिक गोरखनाथ मंदिर में दर्शन पूजन किया और उपचुनाव का बिगुल फूंक दिया है. इस दौरान स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए सीएम धामी ने कहा कि जब तक प्रदेश के सभी 13 जिले विकास के पथ पर नहीं चल पड़ते हैं, तब तक प्रदेश का विकास संभव नहीं हैं. हम इसके लिए हर संभव कदम उठाएंगे ओर अगर जरूरत पड़ी तो केंद्र सरकार से भी मदद लेंगे. जल्द ही आप देखेंगे कि प्रदेश विकास की राह पर आगे बढ़ रहा होगा, मुख्यमंत्री धामी ने कहा की चंपालत की उत्तराखंड में अलग ही पहचान बनेगी और चंपावत उत्तराखंड के मानचित्र में अलग ही चमकेगा.

गुरु गोरखनाथ के दर्शन कर CM धामी ने फूंका उपचुनाव का बिगुल.

चंपावत सीट को जातिगत समीकरणों के आधार पर धामी के लिए आसान माना जा रहा है. पहाड़ी जिले की इस सीट पर करीब 54 फीसदी ठाकुर मतदाता हैं. सीएम धामी भी ठाकुर हैं. इस सीट पर 24 फीसदी ब्राह्मण हैं. ब्राह्मणों को परंपरागत रूप से बीजेपी का वोटर माना जाता है. चंपावत सीट पर 18 फीसदी दलित और चार फीसदी मुस्लिम वोटर भी हैं. इस तरह वोटों के गुणा-गणित को देखते हुए बीजेपी ने सीएम धामी को चंपावत से उपचुनाव लड़ाना मुफीद समझा.

ये भी है कारण: सीएम धामी खटीमा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में धामी को अपनी परंपरागत सीट खटीमा में हार का सामना करना पड़ा. चंपावत सीट सीएम धामी की परंपरागत खटीमा सीट से सटी हुई है. इसलिए वह यहां के राजनीतिक, जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों से भी परिचित हैं. इस कारण सीएम पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत सीट को चुना होगा.

पढ़ें: चंपावत से उपचुनाव लड़ेंगे CM धामी, जानिए क्यों चुनी यही सीट

बता दें कि, चंपावत में नेपाल सीमा से लगे तल्लादेश क्षेत्र के मंच में स्थित गुरु गोरखनाथ धाम अपनी अनूठी मान्यताओं के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध है. मान्यता है कि धाम में सतयुग से अखंड धूनी जलती आ रही है.

श्रद्धालुओं में बांटा जाता है राख का प्रसाद: इसी अखंड धूनी की राख को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांटा जाता है. मंदिर की अखंड धूनी में जलाई जाने वाली बांज की लकड़ियां पहले धोई जाती हैं. धाम में नाथ संप्रदाय के साधुओं की आवाजाही रहती है. चंपावत से 40 किमी दूर यह स्थान ऊंची चोटी पर है. यहां पहुंचने के लिए मंच तक वाहन से जाया जा सकता है. उसके बाद दो किमी पैदल चलना पड़ता है. कहा जाता है कि सतयुग में गोरख पंथियों ने नेपाल के रास्ते आकर इस स्थान पर धूनी रमाई थी.

सतयुग से धूनी प्रज्ज्वलित है यहां: हालांकि, धूनी का मूल स्थान पर्वत चोटी से नीचे था, लेकिन बाद में उसे वर्तमान स्थान पर लाया गया. मान्यता है कि यहां सतयुग से धूनी प्रज्ज्वलित है. धाम के महंत के अनुसार सतयुग में गुरु गोरखनाथ ने यह धुनी जलाई थी. मंदिर में करीब 400 वर्ष पूर्व चंद राजाओं की ओर से चढ़ाया गया घंटा भी मौजूद है. गुरु गोरखनाथ मंदिर आध्यात्मिक पीठ के रूप में पूरे उत्तर भारत में प्रमुख है. धाम में बड़ी संख्या में निसंतान दंपति पहुंचते हैं. गोरख पंथियों की ओर से स्थापित गुरु गोरखनाथ धाम को गोरक्षक के रूप में भी पूजा जाता है. क्षेत्र की कोई भी उपज हो या दूध, सबसे पहले धाम में चढ़ाया जाता है.

चंपावत: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का चंपावत से उपचुनाव (CM Dhami will contest by-election from Champawat Seat) लड़ने का रास्ता साफ हो गया है. चंपावत से विधायक कैलाश गहतोड़ी ने इस्तीफा (Champawat MLA Kailash Gahatodi resign) विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा. कैलाश गहतोड़ी के इस्तीफे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत रवाना हो गए. ऐसा इसीलिए क्योंकि सीएम धामी कोई भी समय गंवाए बगैर ही उपचुनाव की तैयारी में जुट गये हैं.

लगभग 5 किलोमीटर पैदल मार्ग से चलकर पौराणिक गोरखनाथ मंदिर में दर्शन पूजन किया और उपचुनाव का बिगुल फूंक दिया है. इस दौरान स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए सीएम धामी ने कहा कि जब तक प्रदेश के सभी 13 जिले विकास के पथ पर नहीं चल पड़ते हैं, तब तक प्रदेश का विकास संभव नहीं हैं. हम इसके लिए हर संभव कदम उठाएंगे ओर अगर जरूरत पड़ी तो केंद्र सरकार से भी मदद लेंगे. जल्द ही आप देखेंगे कि प्रदेश विकास की राह पर आगे बढ़ रहा होगा, मुख्यमंत्री धामी ने कहा की चंपालत की उत्तराखंड में अलग ही पहचान बनेगी और चंपावत उत्तराखंड के मानचित्र में अलग ही चमकेगा.

गुरु गोरखनाथ के दर्शन कर CM धामी ने फूंका उपचुनाव का बिगुल.

चंपावत सीट को जातिगत समीकरणों के आधार पर धामी के लिए आसान माना जा रहा है. पहाड़ी जिले की इस सीट पर करीब 54 फीसदी ठाकुर मतदाता हैं. सीएम धामी भी ठाकुर हैं. इस सीट पर 24 फीसदी ब्राह्मण हैं. ब्राह्मणों को परंपरागत रूप से बीजेपी का वोटर माना जाता है. चंपावत सीट पर 18 फीसदी दलित और चार फीसदी मुस्लिम वोटर भी हैं. इस तरह वोटों के गुणा-गणित को देखते हुए बीजेपी ने सीएम धामी को चंपावत से उपचुनाव लड़ाना मुफीद समझा.

ये भी है कारण: सीएम धामी खटीमा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में धामी को अपनी परंपरागत सीट खटीमा में हार का सामना करना पड़ा. चंपावत सीट सीएम धामी की परंपरागत खटीमा सीट से सटी हुई है. इसलिए वह यहां के राजनीतिक, जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों से भी परिचित हैं. इस कारण सीएम पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत सीट को चुना होगा.

पढ़ें: चंपावत से उपचुनाव लड़ेंगे CM धामी, जानिए क्यों चुनी यही सीट

बता दें कि, चंपावत में नेपाल सीमा से लगे तल्लादेश क्षेत्र के मंच में स्थित गुरु गोरखनाथ धाम अपनी अनूठी मान्यताओं के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध है. मान्यता है कि धाम में सतयुग से अखंड धूनी जलती आ रही है.

श्रद्धालुओं में बांटा जाता है राख का प्रसाद: इसी अखंड धूनी की राख को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांटा जाता है. मंदिर की अखंड धूनी में जलाई जाने वाली बांज की लकड़ियां पहले धोई जाती हैं. धाम में नाथ संप्रदाय के साधुओं की आवाजाही रहती है. चंपावत से 40 किमी दूर यह स्थान ऊंची चोटी पर है. यहां पहुंचने के लिए मंच तक वाहन से जाया जा सकता है. उसके बाद दो किमी पैदल चलना पड़ता है. कहा जाता है कि सतयुग में गोरख पंथियों ने नेपाल के रास्ते आकर इस स्थान पर धूनी रमाई थी.

सतयुग से धूनी प्रज्ज्वलित है यहां: हालांकि, धूनी का मूल स्थान पर्वत चोटी से नीचे था, लेकिन बाद में उसे वर्तमान स्थान पर लाया गया. मान्यता है कि यहां सतयुग से धूनी प्रज्ज्वलित है. धाम के महंत के अनुसार सतयुग में गुरु गोरखनाथ ने यह धुनी जलाई थी. मंदिर में करीब 400 वर्ष पूर्व चंद राजाओं की ओर से चढ़ाया गया घंटा भी मौजूद है. गुरु गोरखनाथ मंदिर आध्यात्मिक पीठ के रूप में पूरे उत्तर भारत में प्रमुख है. धाम में बड़ी संख्या में निसंतान दंपति पहुंचते हैं. गोरख पंथियों की ओर से स्थापित गुरु गोरखनाथ धाम को गोरक्षक के रूप में भी पूजा जाता है. क्षेत्र की कोई भी उपज हो या दूध, सबसे पहले धाम में चढ़ाया जाता है.

Last Updated : Apr 21, 2022, 7:23 PM IST
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