चंपावत: स्वर्णिम विजय मशाल के पहुंचने पर चंपावत सैनिक कल्याण बोर्ड में जिला प्रशासन, आर्मी, आइटीबीपी, एसएसबी के पूर्व सैनिकों ने भव्य स्वागत किया. कुमाऊं रेजीमेंट के बैंड की धुन में सैनिक कल्याण बोर्ड मैदान में अमर जवान शहीद स्मारक में मशाल को रखा गया. सेवानिवृत्त स्कॉर्डरन लीडर एमसी शर्मा ने 1971 के जवानों की याद में जलाई गई मशाल को सलामी दी. इसके बाद एसपी लॉकेश्वर सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल आशीष रंजन, एडीएम त्रिलोक सिंह मर्तोलिया ने भी शहीदों को श्रद्धाजंलि दी. इस मौके पर 1971 के शदीहों के आश्रितों और पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया.
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1971 में पाकिस्तान के साथ हुए बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में चंपावत जिले के जवानों का भी अहम योगदान रहा है. इस जंग में जिले के 13 जांबाज शहीद हुए थे, इसके अलावा कई लोगों ने बहादुरी से लड़ते हुए दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया था. कैप्टन पीएस देव की आंखों में पूर्व की युद्ध स्मृतियां तरोताजा हैं. उनकी पलटन 6 कुमाऊं को पश्चिमी सेक्टर में भेजा गया था. पाकिस्तान की सीमा पर पहुंच आरसीएल में तैनाती मिली. उनकी पलटन को दुश्मन के टैंकों को नष्ट करने का आदेश मिला. पाक सैनिकों के बंकर में उनकी फायरिंग से सात पाकिस्तानी सैनिक हताहत हो गए. वहीं कैप्टन एनके पुनेठा ने भी युद्ध में अदम्य साहस दिखाया. नागा रेजीमेंट में रहते हुए कृष्णा नदी के किनारे धर्मादा में मोर्चा संभाला, जहां से ढाका पहुंच पुनेठा ने अन्य साथियों के साथ 11 दिनों तक युद्ध में बहादुरी से मोर्चा संभाला, बाद में पाकिस्तानी सेना ने हथियार डाल दिए.
1971 के जंग में शहीद हुए चंपावत के 13 फौजी
कैप्टन उमेद सिंह माहरा.
चामी चौमेल के सिपाही जोध सिंह.
कलीगांव के सिपाही प्रताप सिंह.
छंदा रेगडू के सिपाही शिवराज सिंह.
कमैला के सिपाही केशव दत्त.
कमैला के सिपाही ज्वाला दत्त.
मल्लाकोट के नायक मान सिंह.
मल्लाढेक के सिपाही ज्ञान सिंह.
भाटीगांव के पायनियर रेवाधर.
बुंगली के सिपाही हीरा चंद.
रमैला के सिपाही हयात सिंह.
सौंज के सिपाही केदार दत्त.
मुड़ियानी के सिपाही प्रहलाद सिंह.