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पीपलकोटी के जंगल में संदिग्ध हालत में मर रहे जानवर, विभाग बना लापरवाह - मृग प्रजाति के जानवर संदिग्ध हालतों में मृत पड़े हुए

चमोली में पीपलकोटी के जंगल संदिग्ध हालत में जंगली जानवर मर रहे हैं. जिससे वन विभाग लापरवाह बना हुआ है.

पीपलकोटी के जंगल में संदिग्ध हालत में मर रहे जानव
पीपलकोटी के जंगल में संदिग्ध हालत में मर रहे जानव
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Published : May 14, 2021, 6:31 PM IST

चमोली: बदरीनाथ वन प्रभाग के पीपलकोटी क्षेत्र के कम्यार के जंगलों में काफी संख्या में मृग प्रजाति के जानवर संदिग्ध हालतों में मृत पड़े हुए हैं. जिसकी सूचना ग्रामीणों ने वन क्षेत्राधिकारी को भी दी गई है. लेकिन वन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई न किये जाने से ग्रामीणों में आक्रोश है.

कम्यार गांव के ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामीण जब अपने मवेशियों के लिए घास चारा लेने के लिए गांव के उपर जौ उड्यार, पाफलपानी, छाछरपानी के जंगलों में गए तो उन्हें वहां पर काफी संख्या में मृग प्रजाति के कई जानवरों के शव संदिग्ध हालत में पड़े हुए मिले हैं. जिनमें से अधिकांश सड़ी गली अवस्था में है.

पढ़ें: फूलों की घाटी में ट्रैप कैमरे में कैद हुए कई दुर्लभ जीव, वन्यजीव प्रेमी हुए खुश

जिसकी सूचना उन्होंने वन क्षेत्राधिकारी को भी दी है. लेकिन उनकी तरफ से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जिससे ग्रामीणों में रोष है. ग्रामीणों का कहना है कि इतनी भारी संख्या में जंगली जानवरों के मरने के पीछे को अज्ञात बीमारी भी हो सकती है. जिसकी जांच किये जाने की आवश्यकता है, ताकि अन्य जानवरों को बचाया जा सकता है.

चमोली: बदरीनाथ वन प्रभाग के पीपलकोटी क्षेत्र के कम्यार के जंगलों में काफी संख्या में मृग प्रजाति के जानवर संदिग्ध हालतों में मृत पड़े हुए हैं. जिसकी सूचना ग्रामीणों ने वन क्षेत्राधिकारी को भी दी गई है. लेकिन वन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई न किये जाने से ग्रामीणों में आक्रोश है.

कम्यार गांव के ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामीण जब अपने मवेशियों के लिए घास चारा लेने के लिए गांव के उपर जौ उड्यार, पाफलपानी, छाछरपानी के जंगलों में गए तो उन्हें वहां पर काफी संख्या में मृग प्रजाति के कई जानवरों के शव संदिग्ध हालत में पड़े हुए मिले हैं. जिनमें से अधिकांश सड़ी गली अवस्था में है.

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जिसकी सूचना उन्होंने वन क्षेत्राधिकारी को भी दी है. लेकिन उनकी तरफ से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जिससे ग्रामीणों में रोष है. ग्रामीणों का कहना है कि इतनी भारी संख्या में जंगली जानवरों के मरने के पीछे को अज्ञात बीमारी भी हो सकती है. जिसकी जांच किये जाने की आवश्यकता है, ताकि अन्य जानवरों को बचाया जा सकता है.

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