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यहां डोली नहीं घोड़ी पर ससुराल जाती है दुल्हन, परंपरा के पीछे है अनोखी कहानी

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Published : Jan 31, 2020, 2:00 PM IST

Updated : Jan 31, 2020, 3:11 PM IST

चमोली के दशोली विकासखंड स्थित पाणा गांव में एक दुल्हन डोली की जगह घोड़ी पर बैठकर विदा हुई. इस शादी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

viral wedding video news
घोड़ी पर ससुराल जाती दुल्हन

चमोली: शादी हर इंसान की जिंदगी की एक नई शुरूआत है. दूल्हा-दुल्हन के लिए शादी के बंधन में बंधना बेहद खास पल होता है. ऐसे मौके पर अगर प्रकृति मेहरबान होकर इस लम्हों को खास बना दे तो बात ही कुछ और है. चमोली में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. जहां बर्फबारी के बीच एक जोड़े ने शादी की रस्में पूरी की. जब दुल्हन घोड़ी पर बैठकर ससुराल के लिए निकली तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा है. वहीं ये वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया.

बीते दिनों हुई बर्फबारी के बाद शादियों के वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहे हैं. ऐसा ही एक वीडियो चमोली जिले से भी वायरल हो रहा है. आपने अक्सर घोड़ी में सवार दुल्हे को बारात ले जाते हुए देखा होगा लेकिन जिले के दशोली विकासखंड स्थित पाणा गांव में बीते बुधवार को जब दूल्हा जितार सिंह पगना गांव में सात फेरे लेने के बाद अपनी दुल्हन कविता को भारी बर्फबारी के बीच घोड़ी में बैठाकर अपने घर ले गए. तो उनका यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया.

दुल्हन का वायरल वीडियो.

बता दें कि पाणा गांव से घोड़ी में सवार दूल्हा जितार सिंह की बारात 4 फीट मोटी बर्फ के बीच 8 किमी पैदल चलकर पगना गांव पहुंची. बर्फबारी के बीच विधि-विधान से दूल्हे जितार सिंह और दुल्हन कविता ने सात फेरे लिए. बारात वापसी के समय पाणा गांव की पौराणिक मान्यता के अनुसार देव ढुंगा नामक स्थान से दुल्हन घोड़ी में सवार होकर अपनी ससुराल गई.

इस पौराणिक मान्यता को लेकर स्थानीय निवासी मोहन सिंह नेगी ने बताया कि पाणा-ईराणी गांव के ऊपरी क्षेत्र में निर्जन बुग्याल क्षेत्र स्थित है. बुग्याल क्षेत्रों में देवी देवताओं का वास बताया जाता है और डोली देवी का वाहन होती है. जिसमें सवार होकर देवी अपने मायके कैलाश पहुंचती है. जिसके चलते इस क्षेत्र में जितनी भी शादियां होती हैं. उनमें दुल्हन डोली में बैठकर ससुराल नहीं जाती है. ऐसे में दुल्हन को भी घोड़ी में बैठाकर ससुराल पहुंचाया जाता है. उन्होंने बताया कि कई वर्ष पूर्व इस क्षेत्र की एक बारात में दुल्हन को डोली से ससुराल पहुंचाया जा रहा था. लेकिन अचानक रास्ते में पहाड़ से एक चट्टान खिसककर डोली पर आ गिरी. हादसे में दुल्हन की मौत हो गई.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंडः देवभूमि में आंखमिचौली खेल रहा मौसम, ऐसा रहेगा मिजाज

इस घटना के कुछ समय बाद एक अन्य शादी में भी दुल्हन डोली में बैठकर अपने ससुराल गई थी, लेकिन एक साल के भीतर वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गई. जिसके बाद से आज तक निजमुला घाटी के गांवों में दुल्हन डोली से ससुराल नहीं जाती है. यहां दुल्हन को भी घोड़ी में बैठाकर ससुराल पहुंचाया जाता है.

चमोली: शादी हर इंसान की जिंदगी की एक नई शुरूआत है. दूल्हा-दुल्हन के लिए शादी के बंधन में बंधना बेहद खास पल होता है. ऐसे मौके पर अगर प्रकृति मेहरबान होकर इस लम्हों को खास बना दे तो बात ही कुछ और है. चमोली में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. जहां बर्फबारी के बीच एक जोड़े ने शादी की रस्में पूरी की. जब दुल्हन घोड़ी पर बैठकर ससुराल के लिए निकली तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा है. वहीं ये वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया.

बीते दिनों हुई बर्फबारी के बाद शादियों के वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहे हैं. ऐसा ही एक वीडियो चमोली जिले से भी वायरल हो रहा है. आपने अक्सर घोड़ी में सवार दुल्हे को बारात ले जाते हुए देखा होगा लेकिन जिले के दशोली विकासखंड स्थित पाणा गांव में बीते बुधवार को जब दूल्हा जितार सिंह पगना गांव में सात फेरे लेने के बाद अपनी दुल्हन कविता को भारी बर्फबारी के बीच घोड़ी में बैठाकर अपने घर ले गए. तो उनका यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया.

दुल्हन का वायरल वीडियो.

बता दें कि पाणा गांव से घोड़ी में सवार दूल्हा जितार सिंह की बारात 4 फीट मोटी बर्फ के बीच 8 किमी पैदल चलकर पगना गांव पहुंची. बर्फबारी के बीच विधि-विधान से दूल्हे जितार सिंह और दुल्हन कविता ने सात फेरे लिए. बारात वापसी के समय पाणा गांव की पौराणिक मान्यता के अनुसार देव ढुंगा नामक स्थान से दुल्हन घोड़ी में सवार होकर अपनी ससुराल गई.

इस पौराणिक मान्यता को लेकर स्थानीय निवासी मोहन सिंह नेगी ने बताया कि पाणा-ईराणी गांव के ऊपरी क्षेत्र में निर्जन बुग्याल क्षेत्र स्थित है. बुग्याल क्षेत्रों में देवी देवताओं का वास बताया जाता है और डोली देवी का वाहन होती है. जिसमें सवार होकर देवी अपने मायके कैलाश पहुंचती है. जिसके चलते इस क्षेत्र में जितनी भी शादियां होती हैं. उनमें दुल्हन डोली में बैठकर ससुराल नहीं जाती है. ऐसे में दुल्हन को भी घोड़ी में बैठाकर ससुराल पहुंचाया जाता है. उन्होंने बताया कि कई वर्ष पूर्व इस क्षेत्र की एक बारात में दुल्हन को डोली से ससुराल पहुंचाया जा रहा था. लेकिन अचानक रास्ते में पहाड़ से एक चट्टान खिसककर डोली पर आ गिरी. हादसे में दुल्हन की मौत हो गई.

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इस घटना के कुछ समय बाद एक अन्य शादी में भी दुल्हन डोली में बैठकर अपने ससुराल गई थी, लेकिन एक साल के भीतर वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गई. जिसके बाद से आज तक निजमुला घाटी के गांवों में दुल्हन डोली से ससुराल नहीं जाती है. यहां दुल्हन को भी घोड़ी में बैठाकर ससुराल पहुंचाया जाता है.

Intro:चमोली में बीते दिनों हुई बर्फवारी के बाद ग्रामीण और उँचाई वाले इलाकों में हुई जबरदस्त बर्फवारी के बाद शादियों के वीडियो सोसल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे है।आपने भले ही शादी में दूल्हा घोड़ी में सवार होकर दुल्हन लेने जाने की परम्परा के बारे में सुना हो ,लेकिन अपने ही देश में उत्तराखंड के चमोली जनपद में एक ऐसा इलाका भी है, जहां सिर्फ दूल्हा ही घोड़ी में चढ़ कर दुल्हन न लेने नहीं जाता ,बल्कि दुल्हन भी डोली के बजाय घोड़े में सवार होकर ससुराल पहुंचती है । Body:चमोली जिले के दशोली विकासखंड स्थित पाणा गांव में बीते बुधवार को जब दूल्हा जितार सिंह पगना गांव से सात फेरे के बाद अपनी दुल्हन कविता को भारी बर्फवारी के बाद अपने घर लेकर आये ,तो दुल्हन भी अलग घोड़ी में सवार होकर ससुराल पहुंची । बुधवार को पाणा गांव से दूल्हा जितार सिंह की बारात 4 फिट मोटी बर्फ के बीच 8 किमी पैदल पगना गांव पहुंचीं। सिर्फ दूल्हा , मामा जी और पंडित जी घोडे़ मे थे । बारात भारी बर्फ बारी के बीच पगना पहुंचीं,बारात के दौरान यहां भी बर्फवारी होती रही इसी बर्फबारी के बीच दूल्हा जितार सिंह और दुल्हन कविता की शादी विधि विधाध से हुयी सात फेरे हुये । जब दुल्हन लेकर बाराती वापस पाणा गांव आये तो गांव की पौराणिक मान्यता के अनुसार देव ढुंगा नामक स्थान के बाद दुल्हन घोड़ी में सवार होकर अपनी ससुराल आईं।Conclusion:गांव के ही स्थानीय निवासी मोहन सिंह नेगी बताते है कि पाणा -ईराणी गांव के ठीक ऊपर निर्जन बुग्याल क्षेत्र स्थित है। बुग्याल क्षेत्रो में देवी देवताओं का वास बताया जाता है,डोली देवी का वाहन होता है,जिसमे कि सवार होकर देवी अपने मायके कैलाश पहुंचती है।इस क्षेत्र में जो भी शादियां होती है ,उसमे दुल्हन अपने ससुराल डोली में बैठकर नही जाती,दुल्हन भी घोड़े में सवार होकर अपने ससुराल पहुंचती है ।उन्होंने बताया कि कई वर्षों पूर्व क्षेत्र की एक बारात में दुल्हन को डोली से ससुराल पहुंचाया जा रहा था,लेकिन अचानक रास्ते मे एक चटटान पर डोली पलट गई और दुल्हन की मौत हो गई ।इसके साथ ही एक अन्य शादी में दुल्हन डोली में अपने ससुराल तक पहुंची थी ,लेकिन करीब 1 साल के भीतर वह भी मानसिक रूप से विक्ष्पित हो गई थी।जिसके बाद से आज तक निजमुला घाटी के गांवो में दुल्हन डोली से ससुराल नही पहुंचती है।दुल्हन भी घोड़े पर सवार होकर ससुराल पहुंचती है।
Last Updated : Jan 31, 2020, 3:11 PM IST
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