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महाशिवरात्रि पर शिवालयों में उमड़ी भक्तों की भीड़, बम-बम भोले के जयकारों से गुंजायमान हुए मंदिर - MAHASHIVRATRI 2025

महाशिवरात्रि के मौके पर देशभर भगवान भोले की भक्ति के रंग में रगा हुआ है. शिवालयों में हर-हर महादेव की गूंज सुनाई दे रही है.

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महाशिवरात्रि पर चार पहर में की जाती है भगवान भोलेनाथ की पूजा. (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 26, 2025, 6:20 AM IST

हरिद्वारः आज महाशिवरात्रि का पावन पर्व है. भक्त शिवालियों पर भगवान भोलेनाथ का दुग्धाभिषेक और रुद्राभिषेक कर रहे हैं. जगह-जगह शिवालय बम-बम भोले के जयकारों से गुंजायमान है. धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए इस पर्व को महाशिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है. महाशिवरात्रि पर चार पहर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है.

हरिद्वार के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि,

महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें शिवलिंग के रूप में प्राप्त हुए थे. इसी दिन उन्होंने माता पार्वती को वचन दिया था कि वह उन्हें अपने पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे. उन्होंने पहले माता पार्वती की तपस्या के माध्यम से परीक्षा ली और फिर उन्हें स्वीकार किया. इसलिए शिवरात्रि को शिव और पार्वती के मिलन के रूप में मनाया जाता है.

ज्योतिषाचार्य मनोज त्रिपाठी से जानिए महाशिवरात्रि पर क्यों की जाती है भगवान शिव की पूजा. (VIDEO- ETV Bharat)

ज्योतिषाचार्य मनोज त्रिपाठी ने बताया कि, शिवरात्रि के पर्व का अधिक महत्व है. लेकिन फाल्गुन मास में आने वाली शिवरात्रि बेहद महत्वपूर्ण होती है. इस शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इसी वजह से इस तिथि पर महाशिवरात्रि अधिक उत्साह के साथ मनाई जाती है.

साल में आती है 12 शिवरात्रि: हालांकि, हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है. इसे मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. इस प्रकार से वर्ष में कुल 12 शिवरात्रि पड़ती हैं. इस दिन भगवान महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत किया जाता है.

ऐसे करें भगवान शिव को खुश: भगवान शिव को शिवरात्रि पर किस तरह से प्रसन्न किया जाए? इसके सवाल पर मनोज त्रिपाठी ने बताया कि,

भगवान क्षण में ही रूठ जाते हैं और क्षण में ही मान जाते हैं. भगवान भोलेनाथ को मनाना सबसे आसान है. भगवान भोलेनाथ आपके छोटे से प्रयास करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं. महाशिवरात्रि के पावन मौके पर चार पहर की पूजा अपनी मन की इच्छा प्राप्ति के लिए है. उन्होंने बताया कि इन चार पहर की पूजा में अलग-अलग सामग्री से भगवान का अभिषेक किया जाता है. जो सामग्री सामान्य रुद्राभिषेक में इस्तेमाल होती है, उसे 5 गुना अधिक सामग्री महाशिवरात्रि की पूजा अर्चना के दौरान प्रयोग की जाती है. भगवान भोलेनाथ के 1008 नामों का पाठ किया जाता है. तभी भगवान आपके मन की इच्छा पूरी करते हैं.

वहीं पूरी रात दूध, दही, शहद और गन्ने के रस इत्यादि से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं. इसी के साथ भांग, धतूरा बेलपत्र भगवान भोलेनाथ को प्रिय है, उन सभी वस्तुओं का प्रयोग कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया जाता है.

ये भी पढ़ेंः महाशिवरात्रि पर तय होगी केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि, अभी बर्फ के आगोश में है केदारपुरी

हरिद्वारः आज महाशिवरात्रि का पावन पर्व है. भक्त शिवालियों पर भगवान भोलेनाथ का दुग्धाभिषेक और रुद्राभिषेक कर रहे हैं. जगह-जगह शिवालय बम-बम भोले के जयकारों से गुंजायमान है. धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए इस पर्व को महाशिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है. महाशिवरात्रि पर चार पहर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है.

हरिद्वार के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि,

महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें शिवलिंग के रूप में प्राप्त हुए थे. इसी दिन उन्होंने माता पार्वती को वचन दिया था कि वह उन्हें अपने पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे. उन्होंने पहले माता पार्वती की तपस्या के माध्यम से परीक्षा ली और फिर उन्हें स्वीकार किया. इसलिए शिवरात्रि को शिव और पार्वती के मिलन के रूप में मनाया जाता है.

ज्योतिषाचार्य मनोज त्रिपाठी से जानिए महाशिवरात्रि पर क्यों की जाती है भगवान शिव की पूजा. (VIDEO- ETV Bharat)

ज्योतिषाचार्य मनोज त्रिपाठी ने बताया कि, शिवरात्रि के पर्व का अधिक महत्व है. लेकिन फाल्गुन मास में आने वाली शिवरात्रि बेहद महत्वपूर्ण होती है. इस शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इसी वजह से इस तिथि पर महाशिवरात्रि अधिक उत्साह के साथ मनाई जाती है.

साल में आती है 12 शिवरात्रि: हालांकि, हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है. इसे मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. इस प्रकार से वर्ष में कुल 12 शिवरात्रि पड़ती हैं. इस दिन भगवान महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत किया जाता है.

ऐसे करें भगवान शिव को खुश: भगवान शिव को शिवरात्रि पर किस तरह से प्रसन्न किया जाए? इसके सवाल पर मनोज त्रिपाठी ने बताया कि,

भगवान क्षण में ही रूठ जाते हैं और क्षण में ही मान जाते हैं. भगवान भोलेनाथ को मनाना सबसे आसान है. भगवान भोलेनाथ आपके छोटे से प्रयास करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं. महाशिवरात्रि के पावन मौके पर चार पहर की पूजा अपनी मन की इच्छा प्राप्ति के लिए है. उन्होंने बताया कि इन चार पहर की पूजा में अलग-अलग सामग्री से भगवान का अभिषेक किया जाता है. जो सामग्री सामान्य रुद्राभिषेक में इस्तेमाल होती है, उसे 5 गुना अधिक सामग्री महाशिवरात्रि की पूजा अर्चना के दौरान प्रयोग की जाती है. भगवान भोलेनाथ के 1008 नामों का पाठ किया जाता है. तभी भगवान आपके मन की इच्छा पूरी करते हैं.

वहीं पूरी रात दूध, दही, शहद और गन्ने के रस इत्यादि से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं. इसी के साथ भांग, धतूरा बेलपत्र भगवान भोलेनाथ को प्रिय है, उन सभी वस्तुओं का प्रयोग कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया जाता है.

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