चमोली: यूपी के चर्चित पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के विधायक पुत्र अमनमणि त्रिपाठी पर प्रशासनिक अधिकारियों से अभद्रता करने का आरोप है. वह अपने 10 साथियों के साथ बदरीनाथ जा रहे थे. लेकिन उन्हें पुलिस टीम ने वापस लौटा दिया है. बताया जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने पुलिस और प्रशासन की टीम के साथ बदसलूकी की थी.
मामले में मुनि की रेती थाना क्षेत्र के ब्यासी में अमनमणि त्रिपाठी सहित तमाम लोगों के खिलाफ लॉकडाउन का उल्लंधन करने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था. कुछ ही देर बाद थाने से सभी को जमानत पर रिहा कर दिया गया.
मिली जानकारी के अनुसार, प्रशासन की टीम ने रुद्रप्रयाग की तरफ से आ रही तीन इनोवा गाड़ियों को रुकने का इशारा किया. लेकिन गौचर चेकपोस्ट पर तीनों इनोवा बैरियर को पार कर बदरीनाथ की तरफ के लिए रवाना हुई. ऐसे में गौचर चेकपोस्ट पर तैनात टीम ने इसकी सूचना कर्णप्रयाग पुलिस को दी. जिसके बाद पुलिस ने कर्णप्रयाग में बैरिकेड लगाकर उन्हें रोक दिया. इस दौरान विधायक अमनमणि त्रिपाठी और उनके साथियों ने पुलिस कर्मियों से बदसलूकी की.
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एसडीएम वैभव गुप्ता का कहना है कि दोपहर बाद तीन इनोवा कारों में 10 से अधिक लोग बदरीनाथ जाने की बात कर रहे थे, देहरादून से इन्हें अनुमति मिली हुई थी. अनुमति में उन्हें दो मई से सात मई तक बदरीनाथ व केदारनाथ भ्रमण के दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पित्र कार्य के लिए अनुमति दी गई थी.
एसडीएम ने बताया कि अनुमति के बाद भी दूसरे जिले से आने वाले को प्रशासन क्वारंटीन या होम क्वारंटीन करती है. कर्णप्रयाग में कोतवाल के नेतृत्व में पुलिस ने जब इन वाहनों को रोका तो वे हंगामा कर पुलिस को अपने रुतबे का रौब दिखाने लगे. लेकिन पुलिस ने सख्ती दिखाई तो उन्हें वापस लौटना पड़ा.
अमन मणि त्रिपाठी यूपी के दबंग नेता अमर मणि त्रिपाठी के बेटे हैं. वे महाराजगंज जिले की नौतनवां सीट से निर्दलीय विधायक हैं. लॉकडाउन के दौरान ओरेंज जोन से ग्रीन जोन में जाने को पास जारी करने के सख्त मानक हैं. बावजूद मानकों को ताक पर रख कर अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री ओमप्रकाश के पत्र के आधार पर देहरादून जिला प्रशासन ने यूपी के विधायक अमनमणि त्रिपाठी समेत 10 लोगों को बदरीनाथ, केदारनाथ धाम जाने की मंजूरी दी.
मंजूरी देने के दौरान गृह मंत्रालय की गाइड लाइन को भी ताक पर रखा गया है. गाइड लाइन के अनुसार एक साथ पांच से अधिक लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित है. इसका जिक्र स्वयं जिला प्रशासन स्तर से दी गई मंजूरी में भी किया गया है.