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हेलंग चारापत्ती विवाद: UKD ने किया DM कार्यालय का घेराव, कर्मचारियों को बाहर खदेड़ा - UKD performance

हेलंग चारापत्ती विवाद मामले में यूकेडी कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव कर नारेबाजी और प्रदर्शन किया. ऐसे में सरकार पर भी कार्रवाई का दबाव बढ़ता जा रहा है.

chamoli
चमोली
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Published : Jul 29, 2022, 12:49 PM IST

Updated : Jul 29, 2022, 1:16 PM IST

चमोली: जोशीमठ स्थित हेलंग में बीते दिनों घास (चारापत्ती) लेकर आ रही महिलाओं से बदसलूकी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. प्रकरण में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार के नेतृत्व में यूकेडी के कार्यकर्ताओ ने जिलाधिकारी कार्यालय पर नारेबाजी और प्रदर्शन किया.

प्रदर्शनकारियों ने कार्यालय में डीएम के न मिलने पर वहां काम कर रहे कर्मचारियों को उनके दफ्तरों से बाहर खदेड़ा. जिसके बाद यूकेडी कार्यकर्ता डीएम दफ्तर के बाहर ही धरने पर बैठ गए. बाद में अपर जिलाधिकारी ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से बात की. तब जाकर यूकेडी कार्यकर्ताओं ने अपना धरना समाप्त किया.

UKD ने किया चमोली DM कार्यालय का घेराव.

वहीं, श्रीनगर गढ़वाल में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान विभिन्न राजनैतिक संगठनों और पर्यावरणविदों ने हेलंग में महिलाओं के साथ हुई इस घटना को लेकर अपना विरोध व्यक्त किया. साथ ही सरकार व प्रशासन पर कई गंभीर आरोप भी लगाए. हिमाचल प्रदेश के पूर्व वन संरक्षक आईएफएस अधिकारी प्रवीण थपलियाल ने कहा कि अगर इस तरह ग्रामीणों के हक-हकूकों को छीना जायेगा, तो ग्रामीणों के पास पलायन ही एकमात्र विकल्प बच जाता है.

अगर सरकार लैंड फिल पालिसी बनाएं तो पहाड़ के लोगों को उनके हक-हकूक मिल सकेंगे. वहीं, भूगोलविद प्रो एमएस पंवार ने कहा कि लॉकडाउन के बाद एकबार फिर पहाड़ के लोग वापस कृषि और पशुपालन पर निर्भर हो गये हैं. ऐसे में इस तरह की घटनायें ग्रामीणों में असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं. साथ ही हिमालयी क्षेत्रों में विकास के ये मॉडल आपदाओं को न्यौता देने का काम कर रही हैं.
पढ़ें- जल-जंगल-जमीन: हेलंग में गर्माया चारा पत्ती विवाद, पहाड़ से लेकर मैदान तक हुआ विरोध

डालियों का दगड़या संगठन के सचिव और भूगोलविद डॉ मोहन पंवार ने कहा कि हिमालय की संवेदनशीलता को दरकिनार कर जो विकास की नीति का मॉडल यहां लागू किया गया है, उसने पहाड़ को आपदाओं का घर बना दिया है. हेलंग में महिलाओं की पीठ से घास को छीनना शर्मनाक कृत्य है, जिसकी पुरजोर निंदा की जानी चाहिए.

हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज से जांच कराने की मांग: पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी, पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ अरविंद दरमोड़ा, हिमालय बचाओ आंदोलन के समीर रतूड़ी, गंगा आरती समिति के अध्यक्ष प्रेम बल्लभ नैथानी और सामाजिक कार्यकर्ता अंशीलाल कोहली ने इस घटना की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज से कराने की मांग की है.

क्या था मामलाः गौर हो कि बीती 15 जुलाई को जोशीमठ के हेलंग गांव में घास लेकर आ रही कुछ घस्यारी महिलाओं से पुलिस और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों ने उनके बोझे को छीनने का प्रयास किया था. जिसका वीडियो जमकर वायरल हुआ. वायरल वीडियो में एक महिला रोती नजर आ रही थी. जबकि, दूसरी महिला से घास का बोझा छीनने का प्रयास किया जा रहा था.

वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ा और प्रदेशभर में पुलिस के इस रवैये को लेकर रोष देखने को मिला. मामला वन पंचायत की भूमि से जुड़ा है. जहां पीपलकोटी विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना के तहत हेलंग में सुरंग बनाने का कार्य कर रही कंपनी खेल मैदान बनाने के नाम पर डंपिंग जोन बना रही है.

चमोली: जोशीमठ स्थित हेलंग में बीते दिनों घास (चारापत्ती) लेकर आ रही महिलाओं से बदसलूकी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. प्रकरण में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार के नेतृत्व में यूकेडी के कार्यकर्ताओ ने जिलाधिकारी कार्यालय पर नारेबाजी और प्रदर्शन किया.

प्रदर्शनकारियों ने कार्यालय में डीएम के न मिलने पर वहां काम कर रहे कर्मचारियों को उनके दफ्तरों से बाहर खदेड़ा. जिसके बाद यूकेडी कार्यकर्ता डीएम दफ्तर के बाहर ही धरने पर बैठ गए. बाद में अपर जिलाधिकारी ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से बात की. तब जाकर यूकेडी कार्यकर्ताओं ने अपना धरना समाप्त किया.

UKD ने किया चमोली DM कार्यालय का घेराव.

वहीं, श्रीनगर गढ़वाल में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान विभिन्न राजनैतिक संगठनों और पर्यावरणविदों ने हेलंग में महिलाओं के साथ हुई इस घटना को लेकर अपना विरोध व्यक्त किया. साथ ही सरकार व प्रशासन पर कई गंभीर आरोप भी लगाए. हिमाचल प्रदेश के पूर्व वन संरक्षक आईएफएस अधिकारी प्रवीण थपलियाल ने कहा कि अगर इस तरह ग्रामीणों के हक-हकूकों को छीना जायेगा, तो ग्रामीणों के पास पलायन ही एकमात्र विकल्प बच जाता है.

अगर सरकार लैंड फिल पालिसी बनाएं तो पहाड़ के लोगों को उनके हक-हकूक मिल सकेंगे. वहीं, भूगोलविद प्रो एमएस पंवार ने कहा कि लॉकडाउन के बाद एकबार फिर पहाड़ के लोग वापस कृषि और पशुपालन पर निर्भर हो गये हैं. ऐसे में इस तरह की घटनायें ग्रामीणों में असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं. साथ ही हिमालयी क्षेत्रों में विकास के ये मॉडल आपदाओं को न्यौता देने का काम कर रही हैं.
पढ़ें- जल-जंगल-जमीन: हेलंग में गर्माया चारा पत्ती विवाद, पहाड़ से लेकर मैदान तक हुआ विरोध

डालियों का दगड़या संगठन के सचिव और भूगोलविद डॉ मोहन पंवार ने कहा कि हिमालय की संवेदनशीलता को दरकिनार कर जो विकास की नीति का मॉडल यहां लागू किया गया है, उसने पहाड़ को आपदाओं का घर बना दिया है. हेलंग में महिलाओं की पीठ से घास को छीनना शर्मनाक कृत्य है, जिसकी पुरजोर निंदा की जानी चाहिए.

हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज से जांच कराने की मांग: पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी, पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ अरविंद दरमोड़ा, हिमालय बचाओ आंदोलन के समीर रतूड़ी, गंगा आरती समिति के अध्यक्ष प्रेम बल्लभ नैथानी और सामाजिक कार्यकर्ता अंशीलाल कोहली ने इस घटना की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज से कराने की मांग की है.

क्या था मामलाः गौर हो कि बीती 15 जुलाई को जोशीमठ के हेलंग गांव में घास लेकर आ रही कुछ घस्यारी महिलाओं से पुलिस और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों ने उनके बोझे को छीनने का प्रयास किया था. जिसका वीडियो जमकर वायरल हुआ. वायरल वीडियो में एक महिला रोती नजर आ रही थी. जबकि, दूसरी महिला से घास का बोझा छीनने का प्रयास किया जा रहा था.

वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ा और प्रदेशभर में पुलिस के इस रवैये को लेकर रोष देखने को मिला. मामला वन पंचायत की भूमि से जुड़ा है. जहां पीपलकोटी विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना के तहत हेलंग में सुरंग बनाने का कार्य कर रही कंपनी खेल मैदान बनाने के नाम पर डंपिंग जोन बना रही है.

Last Updated : Jul 29, 2022, 1:16 PM IST
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