चमोली/काशीपुर/श्रीनगरः केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर दो दिवसीय हड़ताल का असर उत्तराखंड में भी देखने को मिला. प्रदेश के तमाम जगहों पर कर्मचारियों, मजदूरों समेत विभिन्न संगठनों से जुटे लोगों ने सरकार के खिलाफ मुठ्ठी तानी. चमोली के थराली में सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के नेतृत्व में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, भोजन माताओं और ग्राम प्रहरियों ने विशाल जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया. उधर, जसपुर में आशा वर्करों का प्रदर्शन देखने को मिला.
थराली में प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार जनहित की बजाय सिर्फ औद्योगिक घरानों को ही लाभ पहुंचाने में जुटी हुई है. उन्होंने 20 सूत्रीय मांगों पर उप जिलाधिकारी थराली के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भी भेजा. जिसमें उन्होंने श्रम कानून, निजीकरण पर रोक, भोजन माताओं को मानदेय वृद्धि समेत ग्राम प्रहरियों और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को राज्य कर्मचारी घोषित करते हुए 24 हजार वेतन देने की मांग की. वहीं, भोजन माताओं ने भी पिछले 3 माह से मानदेय न मिलने पर नाराजगी जाहिर की.
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जसपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आशा वर्करों ने तानी मुठ्ठीः जसपुर में आशा वर्करों ने मुख्यमंत्री की ओर से आश्वासन दिए जाने के बावजूद भी उनकी मांगे पूरी न किए जाने पर अपना विरोध प्रकट किया. साथ ही धरना प्रदर्शन कर कार्य बहिष्कार किया. जिला महामंत्री बबीता कश्यप ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आशाओं का मानदेय दोगुना करने की बात कही थी, जो आज तक पूरी नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाती, तब तक उनका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. उन्होंने चेतावनी दी है कि आशाओं को उत्तराखंड में ही नहीं दिल्ली में भी अपनी मांग को लेकर लड़ाई करनी पड़ी तो वो पीछे नहीं हटेंगी.
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श्रीनगर में रेलवे परियोजना में जुटे मजदूरों का प्रदर्शनः ट्रेंड यूनियनों की हड़ताल के दूसरे दिन श्रीनगर में भी रेलवे निर्माण में जुटे मजदूरों ने भी विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन किया. इस दौरान मजदूरों ने रेलवे विकास निगम और केंद्र सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की. श्रमिकों का कहना है कि श्रम संहिताओं को शीघ्र रद्द किया जाए. ईडीएस (आवश्यक प्रति रक्षा सेवा अधिनियम) को समाप्त किया जाना चाहिए. कृषि कानूनों के निरस्त होने बाद संयुक्त किसान मोर्चा की छह सूत्रीय मांग पत्र को स्वीकृति भी दी जानी चाहिए.