रुद्रप्रयाग: चमोली जिले में आई प्राकृतिक आपदा के बाद से रुद्रप्रयाग में एक अजीब सी खामोशी पसरी है. हर दिन यहां शवों का रेस्क्यू ऑपरेशन किया जा रहा है. वहीं, चमोली में हुई इस घटना के बाद से ही इन दोनों जिलों के पर्यटन पर भी गहरा असर पड़ा है.शीतकाल में पर्यटकों से गुलजार रहने वाले मिनी स्वीजरलैंड चोपता-दुगलबिटटा और तुंगनाथ में एकाएक पर्यटकों का आना बंद हो गया है.
रैणी गांव आपदा से पहले जिन पर्यटकों ने चोपता की एडवांस बुकिंग कराई थी, उन्होंने अपनी बुकिंग भी वापस ले ली है. चमोली आपदा से पहले हर दिन एक हजार से अधिक पर्यटक चोपता-दुगलबिट्टा पहुंच रहे थे, लेकिन आपदा के बाद इस पर अचानक ब्रेक लग गया है. पर्यटकों के न पहुंचने से स्थानीय व्यापारियों को भी खासा नुकसान पहुंच रहा है.
पढ़ें- शूटिंग के लिए उत्तराखंड पहुंची नेपाली सिंगर स्मिता दहल, साझा की बातें
पहले कोरोना महामारी के कारण पर्यटन व्यवयाय बंद रहा, अब चमोली आपदा ने पर्यटन कारोबार पर एक बार फिर ब्रेक लगा दिया है. जिससे व्यापारियों के साथ ही स्थानियों लोगों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है. स्थानीय व्यापारी सुबोध मैठाणी का कहना है कि चमोली जिले में आई आपदा के पर्यटक चमोली, रुद्रप्रयाग आने से बच रहे हैं. रैणी गांव में जिस तरह के आपदा आई उसके बाद लोग डरे हुए हैं.जिसके कारण वे अभी यहां आने से बच रहे हैं.
पढ़ें- आईएमए की सरकार से अपील, 27 करोड़ लोगों को मुफ्त दी जाए वैक्सीन
वहीं, दूसरी ओर रविवार को रुद्रप्रयाग अलकनंदा नदी में शवों की ढ़ूंढ़ खोज का सिलसिला जारी रहा. रविवार को एक शव नगर क्षेत्र के सच्चिदानंद नगर में अलकनंदा नदी किनारे दिखाई दिया. स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी. जिसके बाद एसडीआरएफ और डीडीआरएफ की टीम ने मलबे में दबे शव को बाहर निकालकर जिला अस्पताल पहुंचाया.