ETV Bharat / state

चर्चाओं में रुद्रप्रयाग में बन रहा 10 मंजिला भवन, भू विशेषज्ञ और पर्यावरणविदों ने जताई चिंता - TEN STORY BUILDING CONSTRUCTION

रुद्रप्रयाग में दस मंजिला भवन निर्माण पर उठ रहे सवाल, रेलवे फ्रीज जोन में चल रहा निर्माण कार्य, भू विशेषज्ञ और पर्यावरणविद चितिंत

Ten Story Building Construction Rudraprayag
रुद्रप्रयाग में बहुमंजिला भवन निर्माण (फोटो- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 11, 2025, 9:00 PM IST

रुद्रप्रयाग: ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे पर सुमेरपुर के पास निर्माणाधीन दस मंजिला भवन चर्चाओं में है. इस भवन को बनाने की स्वीकृति से लेकर निर्माण कार्य पर सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि अलकनंदा नदी से कुछ दूरी पर ही भवन बनाया जा रहा है. जिसे लेकर भू विज्ञानी और पर्यावरणविद् खासे चिंतित हैं.

जानकारी के मुताबिक, रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से महज 6 किमी की दूरी पर सुमेरपुर में दस मंजिला भवन का निर्माण किया जा रहा है. शासन की ओर से रेलवे निर्माण परिसर की सीमा के बाद चार सौ मीटर तक के क्षेत्र को फ्रीज जोन घोषित किया गया है, जिससे कोई भी निर्माण कार्य या विकास गतिविधियां इस क्षेत्र में नहीं हो सकती हैं. इसकी देखरेख को लेकर जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन यहां पर बहुमंजिला भवन का निर्माण किया जा रहा है.

रुद्रप्रयाग में दस मंजिला भवन निर्माण पर उठे सवाल (वीडियो- ETV Bharat)

बदरीनाथ हाईवे से सटा सुमेरपुर क्षेत्र ग्रामीण में आता है. ऐसे में निर्माण कार्य को लेकर खंड विकास अधिकारी, जिला पंचायत, एनएच से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाना जरूरी है. जबकि, अलकनंदा नदी से दूरी को लेकर सिंचाई विभाग की अनुमति होनी भी जरूरी है. ये सभी प्रमाण पत्र निर्माणकर्ता के पास होने जरूरी हैं. यह भवन का अलकंदा नदी से मात्र कुछ दूरी पर बनाया जा रहा है. पर्यावरणविद से लेकर पर्यावरण विशेषज्ञ चिंतित हैं.

प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र जरूरी: भूगर्भवेत्ता प्रवीन रावत ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में भवन की ऊंचाई 30 मीटर से ज्यादा होने की स्थिति में आईआईटी के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विभाग एवं भूकंप इंजीनियरिंग विभाग और राष्ट्रीय भूगर्भीय संस्थान से परीक्षण कराकर अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी होता है. इस मामले में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण/स्थानीय विकास प्राधिकरण की ओर से आवेदक के व्यय पर अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल किया जाएगा. भूकंप जोन 5 में आने के बाजवूद भी रुद्रप्रयाग जिले में इतना बड़ा निर्माण कार्य किसी बड़े खतरे का संकेत है.

Ten Story Building Construction Rudraprayag
दस मंजिला भवन का निर्माण (फोटो- ETV Bharat)

जमीन के कागज की चल रही जांच: रुद्रप्रयाग जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के सहायक अभियंता शैलेंद्र तोमर ने बताया कि दस मंजिला भवन निर्माण कार्य को लेकर संचालक से स्वीकृति पत्र मांगे गए. इसके निर्माण को लेकर जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण ने कोई अनुमति नहीं दी है. दस मंजिला भवन निर्माण को लेकर आईआईटी के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विभाग एवं भूकंप इंजीनियरिंग विभाग और राष्ट्रीय भूगर्भीय संस्थान से परमिशन जरूरी है.

अभी संचालक की ओर से जमीन के कागजात दिए गए हैं, जिन पर तहसील स्तर से कार्रवाई चल रही है. जबकि, अन्य जरूरी कागजात कुछ भी नहीं दिए गए हैं. पिछले दो महीने से प्राधिकरण की ओर से जरूरी कागजात दिखाने को कहा जा रहा है, लेकिन संचालक की ओर से कागजात पूरे करने की बात कही जा रही है. भवन निर्माण को लेकर पहले जमीन के कागजात स्पष्ट होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं: प्रसिद्ध पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली ने कहा कि पहाड़ी जिलों में इस तरह से दस मंजिला भवन का निर्माण कार्य भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं. यह आने वाली किसी बड़ी आपदा को जन्म दे सकता है. साथ ही भूकंप का खतरा भी पैदा हो सकता है.

शासन-प्रशासन और एनजीटी को इस मामले में संज्ञान लेने की जरूरत है. जिस भूमि पर कार्य हो रहा है, वो इतने बड़े भवन का भार झेल पाएगा या नहीं? यहां से उत्पन्न होने वाली गंदगी को लेकर क्या प्लान बनाए हैं? इन सब चीजों को ध्यान में रखा जाना जरूरी है. खासतौर पर पर्यावरण की दृष्टि से गंभीर होने की जरूरत है.

आपदाओं से ग्रस्त है रुद्रप्रयाग जिला: पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेंद्र बद्री ने कहा कि काफी दिनों से सोशल मीडिया पर यह दस मंजिला भवन चर्चाओं में है. उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला जोन फाइव में आता है. जिला अभी तक कई आपदाएं झेल चुका है. जिस तरह स्लोप में यह भवन बन रहा है. इसकी सहने की क्षमता कितनी है? क्या इसको लेकर कोई अध्ययन किया गया है?

क्या पर्यावरण दृष्टि से भवन का कार्य हो रहा है? एनजीटी, नमामि गंगे, सुप्रीम कोर्ट को इस ओर कार्रवाई करने की जरूरत है. दस मंजिला भवन की परिकल्पना पहाड़ी जिलों में नहीं है. इस मामले में जिला प्रशासन को कार्रवाई करने की जरूरत है. यह दस मंजिला भवन भूकंप की दृष्टि से भी खतरनाक है. वहीं, भवन निर्माण का कार्य देख रहे शख्स से मामले को लेकर सवाल किया गया, लेकिन वे निर्माण से संबंधित कोई भी जानकारी देने में असमर्थ रहे.

ये भी पढ़ें-

रुद्रप्रयाग: ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे पर सुमेरपुर के पास निर्माणाधीन दस मंजिला भवन चर्चाओं में है. इस भवन को बनाने की स्वीकृति से लेकर निर्माण कार्य पर सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि अलकनंदा नदी से कुछ दूरी पर ही भवन बनाया जा रहा है. जिसे लेकर भू विज्ञानी और पर्यावरणविद् खासे चिंतित हैं.

जानकारी के मुताबिक, रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से महज 6 किमी की दूरी पर सुमेरपुर में दस मंजिला भवन का निर्माण किया जा रहा है. शासन की ओर से रेलवे निर्माण परिसर की सीमा के बाद चार सौ मीटर तक के क्षेत्र को फ्रीज जोन घोषित किया गया है, जिससे कोई भी निर्माण कार्य या विकास गतिविधियां इस क्षेत्र में नहीं हो सकती हैं. इसकी देखरेख को लेकर जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन यहां पर बहुमंजिला भवन का निर्माण किया जा रहा है.

रुद्रप्रयाग में दस मंजिला भवन निर्माण पर उठे सवाल (वीडियो- ETV Bharat)

बदरीनाथ हाईवे से सटा सुमेरपुर क्षेत्र ग्रामीण में आता है. ऐसे में निर्माण कार्य को लेकर खंड विकास अधिकारी, जिला पंचायत, एनएच से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाना जरूरी है. जबकि, अलकनंदा नदी से दूरी को लेकर सिंचाई विभाग की अनुमति होनी भी जरूरी है. ये सभी प्रमाण पत्र निर्माणकर्ता के पास होने जरूरी हैं. यह भवन का अलकंदा नदी से मात्र कुछ दूरी पर बनाया जा रहा है. पर्यावरणविद से लेकर पर्यावरण विशेषज्ञ चिंतित हैं.

प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र जरूरी: भूगर्भवेत्ता प्रवीन रावत ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में भवन की ऊंचाई 30 मीटर से ज्यादा होने की स्थिति में आईआईटी के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विभाग एवं भूकंप इंजीनियरिंग विभाग और राष्ट्रीय भूगर्भीय संस्थान से परीक्षण कराकर अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी होता है. इस मामले में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण/स्थानीय विकास प्राधिकरण की ओर से आवेदक के व्यय पर अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल किया जाएगा. भूकंप जोन 5 में आने के बाजवूद भी रुद्रप्रयाग जिले में इतना बड़ा निर्माण कार्य किसी बड़े खतरे का संकेत है.

Ten Story Building Construction Rudraprayag
दस मंजिला भवन का निर्माण (फोटो- ETV Bharat)

जमीन के कागज की चल रही जांच: रुद्रप्रयाग जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के सहायक अभियंता शैलेंद्र तोमर ने बताया कि दस मंजिला भवन निर्माण कार्य को लेकर संचालक से स्वीकृति पत्र मांगे गए. इसके निर्माण को लेकर जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण ने कोई अनुमति नहीं दी है. दस मंजिला भवन निर्माण को लेकर आईआईटी के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विभाग एवं भूकंप इंजीनियरिंग विभाग और राष्ट्रीय भूगर्भीय संस्थान से परमिशन जरूरी है.

अभी संचालक की ओर से जमीन के कागजात दिए गए हैं, जिन पर तहसील स्तर से कार्रवाई चल रही है. जबकि, अन्य जरूरी कागजात कुछ भी नहीं दिए गए हैं. पिछले दो महीने से प्राधिकरण की ओर से जरूरी कागजात दिखाने को कहा जा रहा है, लेकिन संचालक की ओर से कागजात पूरे करने की बात कही जा रही है. भवन निर्माण को लेकर पहले जमीन के कागजात स्पष्ट होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं: प्रसिद्ध पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली ने कहा कि पहाड़ी जिलों में इस तरह से दस मंजिला भवन का निर्माण कार्य भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं. यह आने वाली किसी बड़ी आपदा को जन्म दे सकता है. साथ ही भूकंप का खतरा भी पैदा हो सकता है.

शासन-प्रशासन और एनजीटी को इस मामले में संज्ञान लेने की जरूरत है. जिस भूमि पर कार्य हो रहा है, वो इतने बड़े भवन का भार झेल पाएगा या नहीं? यहां से उत्पन्न होने वाली गंदगी को लेकर क्या प्लान बनाए हैं? इन सब चीजों को ध्यान में रखा जाना जरूरी है. खासतौर पर पर्यावरण की दृष्टि से गंभीर होने की जरूरत है.

आपदाओं से ग्रस्त है रुद्रप्रयाग जिला: पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेंद्र बद्री ने कहा कि काफी दिनों से सोशल मीडिया पर यह दस मंजिला भवन चर्चाओं में है. उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला जोन फाइव में आता है. जिला अभी तक कई आपदाएं झेल चुका है. जिस तरह स्लोप में यह भवन बन रहा है. इसकी सहने की क्षमता कितनी है? क्या इसको लेकर कोई अध्ययन किया गया है?

क्या पर्यावरण दृष्टि से भवन का कार्य हो रहा है? एनजीटी, नमामि गंगे, सुप्रीम कोर्ट को इस ओर कार्रवाई करने की जरूरत है. दस मंजिला भवन की परिकल्पना पहाड़ी जिलों में नहीं है. इस मामले में जिला प्रशासन को कार्रवाई करने की जरूरत है. यह दस मंजिला भवन भूकंप की दृष्टि से भी खतरनाक है. वहीं, भवन निर्माण का कार्य देख रहे शख्स से मामले को लेकर सवाल किया गया, लेकिन वे निर्माण से संबंधित कोई भी जानकारी देने में असमर्थ रहे.

ये भी पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.