नैनीताल: उत्तराखंड में यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता लागू हो गई है, लेकिन यूसीसी के विभिन्न प्रावधानों को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. जिसमें याचिकाकर्ता ने खासकर 'लिव-इन रिलेशनशिप' के प्रावधान को चुनौती दी है. जिस पर जिसकी बुधवार यानी 12 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई होने की संभावना है.
'लिव-इन रिलेशनशिप' के प्रावधानों को हाईकोर्ट में चुनौती: दरअसल, भीमताल निवासी सुरेश सिंह नेगी ने समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) के विभिन्न प्रावधानों को जनहित याचिका के रूप में चुनौती दी है. जिसमें मुख्यतः 'लिव-इन रिलेशनशिप' के प्रावधानों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इसके अलावा मुस्लिम, पारसी आदि के वैवाहिक पद्धति की यूसीसी में अनदेखी किए जाने समेत कुछ अन्य प्रावधानों को भी चुनौती दी गई है.
वहीं, सुरेश सिंह नेगी की जनहित याचिका मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में 12 फरवरी को सुनवाई के लिए 21वें नंबर पर सूचीबद्ध है. ऐसे में संभावना है कि मामले में कल हाईकोर्ट में सुनवाई हो सकती है. सुरेश सिंह नेगी डीएसबी परिसर नैनीताल के छात्र नेता भी रहे हैं. जिन्होंने अब 'लिव इन रिलेशनशिप' के प्रावधान को चुनौती दी है.
इसके अलावा देहरादून निवासी एलमसुद्दीन सिद्दीकी ने भी रिट याचिका दायर कर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कई प्रावधानों को चुनौती दी है. जिसमें अल्पसंख्यकों के रीति-रिवाजों की अनदेखी किए जाने का उल्लेख किया है. बता दें कि मुस्लिम सेवा संगठन भी यूसीसी का विरोध कर चुका है. उन्होंने सड़क से कोर्ट तक लड़ाई लड़ने की कही थी.
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए प्रावधान: गौर हो कि बीती 27 जनवरी 2025 से उत्तराखंड में यूसीसी प्रभावी हो गया है. यूसीसी लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पंजीकरण अनिवार्य हो गया है. यदि कोई जोड़ा बिना रजिस्ट्रेशन के लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जिसके तहत 6 माह की जेल या फिर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा जेल और जुर्माना दोनों का प्रावधान भी है.
यूसीसी नियमावली में प्रावधान किया गया है कि पहले से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे लोगों को यूसीसी लागू होने की तिथि से अगले एक महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा. यूसीसी लागू होने के बाद अगर कोई युगल लिव-इन रिलेशनशिप में आता है तो उसे लिव इन में आने की तिथि से 1 महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा.
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यम से करा सकते हैं. वहीं, लिव इन रजिस्ट्रेशन में जनजातीय युगलों को छूट दी गई है. जिसके तहत दो में से एक जनजातीय समुदाय से आता हो तो उसको इसके दायरे से बाहर रखा गया है.
यूसीसी से जुड़ी खबरें पढे़ं-
- उत्तराखंड में शुरू हुआ यूसीसी का विरोध, मुस्लिम संगठनों ने खोला मोर्चा, राज्यपाल को भेजा ज्ञापन
- यूकेडी ने हरिद्वार से शुरू की संस्कृति बचाओ यात्रा, लिव इन रिलेशनशिप को लेकर खोला मोर्चा
- यूसीसी को लेकर नया अपडेट, लिव इन में रहने वाले इन लोगों पर नहीं होगा रजिस्ट्रेशन का दबाव
- उत्तराखंड में दो जोड़ों ने मांगी लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने की परमिशन, यूसीसी पोर्टल पर किया आवदेन
- यूसीसी में हर रजिस्ट्रेशन के लिए धर्म गुरुओं का सर्टिफिकेट जरूरी नहीं, जानिए किन मामलों में होगा अनिवार्य
- उत्तराखंड में मैरिज रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, जानिए यूसीसी पोर्टल पर कैसे करें पंजीकरण, ये है प्रक्रिया और फीस