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भारत-चीन सीमांत क्षेत्र में धौली गंगा पर बन रही झील, बड़े खतरे का संकेत - A lake being built in the India-China frontier area

इस झील क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर लौटे हिमालयी पारिस्थितिकी के जानकार अतुल सती ने बताया कि यह कृतिम झील लगभग 20 से 30 मीटर लंबी व 15 से 20 मीटर चौड़ी है.

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Published : Dec 3, 2021, 9:05 AM IST

Updated : Dec 3, 2021, 9:14 AM IST

चमोली: जोशीमठ से करीब 80 किलोमीटर आगे नीती मलारी सीमा की तरफ नीती गांव से डेढ़ किलोमीटर पहले धौली नदी पर एक झील बनने की खबर से निचले इलाकों में रहने वाले लोग एक बार फिर खौफजदा हैं. झील क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर लौटे हिमालयी पारिस्थितिकी के जानकार अतुल सती ने बताया कि यह कृतिम झील लगभग 20 से 30 मीटर लंबी व 15 से 20 मीटर चौड़ी है.

उच्च हिमालय क्षेत्र में होने वाली प्राकृतिक हलचल को लेकर जानकार अतुल सती कहते हैं उच्च हिमालय क्षेत्र में इस तरह की झील का बनना कोई खास अचरज की बात नहीं है. किन्तु यह झील नदी के बहाव के विपरीत बनी है. अगर झील बड़ा रूप लेती है तो टूटने पर बड़ा खतरा पैदा हो सकता है.

सती ने बताया कि भारत चीन सीमा पर भारत के सीमान्त गांव नीति में झील बनने का कारण यह है कि सड़क निर्माण का मलब निर्धारित डंपिंग जोन में डाले जाने के बजाय सीधे धौली गंगा नदी के हवाले किया जा रहा है. इस झील के आगे नदी के रास्ते में जगह जगह बड़े-बड़े बोल्डरों व मलबे का ढेर लगा है. जो लगातार नदी के पूरे बहाव को रोक रहा है. जोकि थोड़ी सी बरसात में भी बड़े खतरे का कारण बन सकता है.

पढ़ें- प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर राजधानी में रूट रहेगा डायवर्ट, ये रहा ट्रैफिक प्लान

वहीं, नन्दादेवी बायोस्फीयर के प्रभागीय वनाधिकारी एनबी शर्मा ने बताया सड़क निर्माण का मलबा डम्पिंग जोन में डालने के बजाय नदी में डालने का मामला संज्ञान में आते हुए सड़क निर्माण एजेंसी पर ढाई लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया है. साथ ही नदी में डाले जाने पर एक बार फिर से संबंधित विभाग को नोटिस भी भेजा गया है.

चमोली: जोशीमठ से करीब 80 किलोमीटर आगे नीती मलारी सीमा की तरफ नीती गांव से डेढ़ किलोमीटर पहले धौली नदी पर एक झील बनने की खबर से निचले इलाकों में रहने वाले लोग एक बार फिर खौफजदा हैं. झील क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर लौटे हिमालयी पारिस्थितिकी के जानकार अतुल सती ने बताया कि यह कृतिम झील लगभग 20 से 30 मीटर लंबी व 15 से 20 मीटर चौड़ी है.

उच्च हिमालय क्षेत्र में होने वाली प्राकृतिक हलचल को लेकर जानकार अतुल सती कहते हैं उच्च हिमालय क्षेत्र में इस तरह की झील का बनना कोई खास अचरज की बात नहीं है. किन्तु यह झील नदी के बहाव के विपरीत बनी है. अगर झील बड़ा रूप लेती है तो टूटने पर बड़ा खतरा पैदा हो सकता है.

सती ने बताया कि भारत चीन सीमा पर भारत के सीमान्त गांव नीति में झील बनने का कारण यह है कि सड़क निर्माण का मलब निर्धारित डंपिंग जोन में डाले जाने के बजाय सीधे धौली गंगा नदी के हवाले किया जा रहा है. इस झील के आगे नदी के रास्ते में जगह जगह बड़े-बड़े बोल्डरों व मलबे का ढेर लगा है. जो लगातार नदी के पूरे बहाव को रोक रहा है. जोकि थोड़ी सी बरसात में भी बड़े खतरे का कारण बन सकता है.

पढ़ें- प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर राजधानी में रूट रहेगा डायवर्ट, ये रहा ट्रैफिक प्लान

वहीं, नन्दादेवी बायोस्फीयर के प्रभागीय वनाधिकारी एनबी शर्मा ने बताया सड़क निर्माण का मलबा डम्पिंग जोन में डालने के बजाय नदी में डालने का मामला संज्ञान में आते हुए सड़क निर्माण एजेंसी पर ढाई लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया है. साथ ही नदी में डाले जाने पर एक बार फिर से संबंधित विभाग को नोटिस भी भेजा गया है.

Last Updated : Dec 3, 2021, 9:14 AM IST
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