थराली: उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है जहां विधानसभा में गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए विधेयक पास करवाया गया है. उत्तराखंड की सत्ताधारी सरकार की इस पहल की देशभर में जमकर तारीफ भी हुई. संत समाज से लेकर अन्य कई संगठनों ने सरकार के इस कदम की सराहना भी की. मगर इन दिनों जो सड़कों पर बेचारगी के साथ घूमती गायों की स्थिति को देखते हुए कहीं न कहीं सरकार के स्टैंड पर सवाल खड़े होते हैं. सड़कों पर गायों की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि भले ही सरकार गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने में लगी हो, मगर सड़कों पर इसकी गिनती आवारा पशुओं में ही की जा रही है.
काश्तकारों और खेतिहर किसानों ने गौमाता से दूध दही,मक्खन आदि लाभ लेकर इन्हें सड़कों पर छोड़ दिया है. गाय के नाम पर राजनीति करने वाले तथाकथित गौरक्षक भी गायों की स्थिति पर चुप्पी साधे नजर आते हैं. थराली विधानसभा के थराली बाजार में सड़कों पर यहां वहां घूमती ये गायें खाने के लिए संघर्ष करती रहती हैं. इनकी संख्या इतनी है कि बाजार की सड़कों पर इनके निकलने के दुविधा उत्पन्न हो जाती है. कोई भी गौरक्षक या फिर कोई भी संगठन इन गायों के संरक्षण के लिए आगे नहीं आता है. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसे कैसे हम गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिला पाएंगे.
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यहां ये गाये दिन भर बाजारों में भटकती हैं और शाम होते ही आसरा ढूंढने लगती हैं. जिनमें से अधिकांश गायें जंगली जानवरों का शिकार बन जाती हैं. हाईकोर्ट ने भी आवारा पशुओं के संरक्षण को लेकर सख्ती दिखाते हुए सरकारों को समय-समय पर इस ओर ध्यान देने की बात कही थी. मगर गायों को इस तरह सड़कों पर घूमते देखकर लगता है कि सरकार हार्कोर्ट के इस आदेश की पालन करना ही भूल गई.थराली के बाजारो में घूम रहे इन आवारा पशुओं के रख रखाव और संरक्षण के लिए न तो नगर पंचायत की ओर से अभी तक कोई खास काम किया गया है और न ही ब्लॉक स्तर पर किसी भी जनप्रतिनिधि आगे बढ़कर कुछ किया है.
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हालांकि इन सब के बीच थराली के कुछ सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों ने गौरक्षा समिति बनाकर इन आवारा पशुओं के संरक्षण के लिए पहल जरूर की है. समाज सेवियों ने इन भटकती गायों के लिए फिलहाल केदारबगड़ में टैक्सी स्टैंड के पास एक अस्थायी टिन शेड बनाकर इनकी रहने की व्यवस्था की है. मगर इनकी बढ़ती संख्या को देखते हुए अब इन्हें भी सरकार की मदद की दरकार है.
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स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने की पहल जरुर कर रही है, मगर उसका इस ओर कोई ध्यान नहीं है. जिसके कारण गायों की दुर्दशा हो रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को गायों के संरक्षण के लिए गौशालाओं का निर्माण करवाना चाहिए, जहां उनके रहने, खाने से लेकर हर तरह की व्यवस्थाएं हो. तब जाकर ही गौमाता को वाकई में राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने की बात कही जा सकती है.