ETV Bharat / state

जीने के लिए सड़कों पर संघर्ष करती 'राष्ट्रमाता', सवालों के घेरे में 'सरकार'

author img

By

Published : Jan 28, 2020, 5:33 AM IST

काश्तकारों और खेतिहर किसानों ने गौमाता से दूध दही,मक्खन आदि लाभ लेकर इन्हें सड़कों पर छोड़ दिया है. गाय के नाम पर राजनीति करने वाले तथाकथित गौरक्षक भी गायों की स्थिति पर चुप्पी साधे नजर आते हैं. थराली विधानसभा के थराली बाजार में सड़कों पर यहां वहां घूमती ये गायें खाने के लिए संघर्ष करती रहती हैं.

stray-cow-in-tharali-market
सड़कों पर जीने के लिए संघर्ष करती 'राष्ट्रमा

थराली: उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है जहां विधानसभा में गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए विधेयक पास करवाया गया है. उत्तराखंड की सत्ताधारी सरकार की इस पहल की देशभर में जमकर तारीफ भी हुई. संत समाज से लेकर अन्य कई संगठनों ने सरकार के इस कदम की सराहना भी की. मगर इन दिनों जो सड़कों पर बेचारगी के साथ घूमती गायों की स्थिति को देखते हुए कहीं न कहीं सरकार के स्टैंड पर सवाल खड़े होते हैं. सड़कों पर गायों की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि भले ही सरकार गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने में लगी हो, मगर सड़कों पर इसकी गिनती आवारा पशुओं में ही की जा रही है.

सड़कों पर जीने के लिए संघर्ष करती 'राष्ट्रमाता

काश्तकारों और खेतिहर किसानों ने गौमाता से दूध दही,मक्खन आदि लाभ लेकर इन्हें सड़कों पर छोड़ दिया है. गाय के नाम पर राजनीति करने वाले तथाकथित गौरक्षक भी गायों की स्थिति पर चुप्पी साधे नजर आते हैं. थराली विधानसभा के थराली बाजार में सड़कों पर यहां वहां घूमती ये गायें खाने के लिए संघर्ष करती रहती हैं. इनकी संख्या इतनी है कि बाजार की सड़कों पर इनके निकलने के दुविधा उत्पन्न हो जाती है. कोई भी गौरक्षक या फिर कोई भी संगठन इन गायों के संरक्षण के लिए आगे नहीं आता है. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसे कैसे हम गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिला पाएंगे.

पढ़ें-कोरोना वायरस : हैदराबाद में तीन संदिग्ध मरीज भर्ती, अन्य राज्यों में निगरानी जारी

यहां ये गाये दिन भर बाजारों में भटकती हैं और शाम होते ही आसरा ढूंढने लगती हैं. जिनमें से अधिकांश गायें जंगली जानवरों का शिकार बन जाती हैं. हाईकोर्ट ने भी आवारा पशुओं के संरक्षण को लेकर सख्ती दिखाते हुए सरकारों को समय-समय पर इस ओर ध्यान देने की बात कही थी. मगर गायों को इस तरह सड़कों पर घूमते देखकर लगता है कि सरकार हार्कोर्ट के इस आदेश की पालन करना ही भूल गई.थराली के बाजारो में घूम रहे इन आवारा पशुओं के रख रखाव और संरक्षण के लिए न तो नगर पंचायत की ओर से अभी तक कोई खास काम किया गया है और न ही ब्लॉक स्तर पर किसी भी जनप्रतिनिधि आगे बढ़कर कुछ किया है.

पढ़ें-केंद्रीय गृहमंत्री लेंगे मध्य क्षेत्रीय परिषद की 22वीं बैठक, CM बघेल ने लिया तैयारियों का जायजा

हालांकि इन सब के बीच थराली के कुछ सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों ने गौरक्षा समिति बनाकर इन आवारा पशुओं के संरक्षण के लिए पहल जरूर की है. समाज सेवियों ने इन भटकती गायों के लिए फिलहाल केदारबगड़ में टैक्सी स्टैंड के पास एक अस्थायी टिन शेड बनाकर इनकी रहने की व्यवस्था की है. मगर इनकी बढ़ती संख्या को देखते हुए अब इन्हें भी सरकार की मदद की दरकार है.

पढ़ें-लक्सर: पंजाब नेशनल बैंक में बड़ा घोटाला, कर्मचारियों पर रुपए निकालने का आरोप

स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने की पहल जरुर कर रही है, मगर उसका इस ओर कोई ध्यान नहीं है. जिसके कारण गायों की दुर्दशा हो रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को गायों के संरक्षण के लिए गौशालाओं का निर्माण करवाना चाहिए, जहां उनके रहने, खाने से लेकर हर तरह की व्यवस्थाएं हो. तब जाकर ही गौमाता को वाकई में राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने की बात कही जा सकती है.

थराली: उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है जहां विधानसभा में गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए विधेयक पास करवाया गया है. उत्तराखंड की सत्ताधारी सरकार की इस पहल की देशभर में जमकर तारीफ भी हुई. संत समाज से लेकर अन्य कई संगठनों ने सरकार के इस कदम की सराहना भी की. मगर इन दिनों जो सड़कों पर बेचारगी के साथ घूमती गायों की स्थिति को देखते हुए कहीं न कहीं सरकार के स्टैंड पर सवाल खड़े होते हैं. सड़कों पर गायों की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि भले ही सरकार गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने में लगी हो, मगर सड़कों पर इसकी गिनती आवारा पशुओं में ही की जा रही है.

सड़कों पर जीने के लिए संघर्ष करती 'राष्ट्रमाता

काश्तकारों और खेतिहर किसानों ने गौमाता से दूध दही,मक्खन आदि लाभ लेकर इन्हें सड़कों पर छोड़ दिया है. गाय के नाम पर राजनीति करने वाले तथाकथित गौरक्षक भी गायों की स्थिति पर चुप्पी साधे नजर आते हैं. थराली विधानसभा के थराली बाजार में सड़कों पर यहां वहां घूमती ये गायें खाने के लिए संघर्ष करती रहती हैं. इनकी संख्या इतनी है कि बाजार की सड़कों पर इनके निकलने के दुविधा उत्पन्न हो जाती है. कोई भी गौरक्षक या फिर कोई भी संगठन इन गायों के संरक्षण के लिए आगे नहीं आता है. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसे कैसे हम गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिला पाएंगे.

पढ़ें-कोरोना वायरस : हैदराबाद में तीन संदिग्ध मरीज भर्ती, अन्य राज्यों में निगरानी जारी

यहां ये गाये दिन भर बाजारों में भटकती हैं और शाम होते ही आसरा ढूंढने लगती हैं. जिनमें से अधिकांश गायें जंगली जानवरों का शिकार बन जाती हैं. हाईकोर्ट ने भी आवारा पशुओं के संरक्षण को लेकर सख्ती दिखाते हुए सरकारों को समय-समय पर इस ओर ध्यान देने की बात कही थी. मगर गायों को इस तरह सड़कों पर घूमते देखकर लगता है कि सरकार हार्कोर्ट के इस आदेश की पालन करना ही भूल गई.थराली के बाजारो में घूम रहे इन आवारा पशुओं के रख रखाव और संरक्षण के लिए न तो नगर पंचायत की ओर से अभी तक कोई खास काम किया गया है और न ही ब्लॉक स्तर पर किसी भी जनप्रतिनिधि आगे बढ़कर कुछ किया है.

पढ़ें-केंद्रीय गृहमंत्री लेंगे मध्य क्षेत्रीय परिषद की 22वीं बैठक, CM बघेल ने लिया तैयारियों का जायजा

हालांकि इन सब के बीच थराली के कुछ सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों ने गौरक्षा समिति बनाकर इन आवारा पशुओं के संरक्षण के लिए पहल जरूर की है. समाज सेवियों ने इन भटकती गायों के लिए फिलहाल केदारबगड़ में टैक्सी स्टैंड के पास एक अस्थायी टिन शेड बनाकर इनकी रहने की व्यवस्था की है. मगर इनकी बढ़ती संख्या को देखते हुए अब इन्हें भी सरकार की मदद की दरकार है.

पढ़ें-लक्सर: पंजाब नेशनल बैंक में बड़ा घोटाला, कर्मचारियों पर रुपए निकालने का आरोप

स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने की पहल जरुर कर रही है, मगर उसका इस ओर कोई ध्यान नहीं है. जिसके कारण गायों की दुर्दशा हो रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को गायों के संरक्षण के लिए गौशालाओं का निर्माण करवाना चाहिए, जहां उनके रहने, खाने से लेकर हर तरह की व्यवस्थाएं हो. तब जाकर ही गौमाता को वाकई में राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने की बात कही जा सकती है.

Intro:उत्तराखंड राज्य देश का पहला राज्य बन गया है जिसने गौ माता यानी गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए विधेयक पास करवाया है उत्तराखंड राज्य और उत्तराखंड की सत्ताधारी सरकार को गौ माता को ये दर्जा दिलाने में पहल करने के लिए संत समाज से लेकर गौ रक्षा संगठनों ने सरकार की जमकर तारीफे भी की लेकिन एक बड़ा सवाल अक्सर मन में कौंधता रहता है कि जिस तरह से वर्तमान में गौ माता की स्थिति बनी हुई है उसे देखकर क्या कहा जाय ,शायद हम और आप तो न चाहते हुए भी यही कहेंगे कि गाय बचेगी तो राष्ट्रमाता बनेगी यकीन न आये तो देखिए ये तस्वीरें जो विचलित कर देती हैं और प्रश्नचिन्ह लगा देती है सरकार की मंशा पर जिस गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए सरकार पहल कर रही है वो गौमाता राष्ट्रमाता सड़को पर आवारा पशुओं में गिनी जा रही हैBody:स्थान / थराली
रिपोर्ट / गिरीश चंदोला

स्लग-राष्ट्र माता सड़को पर




एंकर-उत्तराखंड राज्य देश का पहला राज्य बन गया है जिसने गौ माता यानी गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए विधेयक पास करवाया है उत्तराखंड राज्य और उत्तराखंड की सत्ताधारी सरकार को गौ माता को ये दर्जा दिलाने में पहल करने के लिए संत समाज से लेकर गौ रक्षा संगठनों ने सरकार की जमकर तारीफे भी की लेकिन एक बड़ा सवाल अक्सर मन में कौंधता रहता है कि जिस तरह से वर्तमान में गौ माता की स्थिति बनी हुई है उसे देखकर क्या कहा जाय ,शायद हम और आप तो न चाहते हुए भी यही कहेंगे कि गाय बचेगी तो राष्ट्रमाता बनेगी यकीन न आये तो देखिए ये तस्वीरें जो विचलित कर देती हैं और प्रश्नचिन्ह लगा देती है सरकार की मंशा पर जिस गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए सरकार पहल कर रही है वो गौमाता राष्ट्रमाता सड़को पर आवारा पशुओं में गिनी जा रही है ,काश्तकारों ओर खेतिहर किसानों ने गौमाता से दूध दही,मक्खन आदि लाभ लेकर इन्हें सड़को पर विचरण करने के लिए छोड़ दिया है ,गौरक्षक जो आये दिन गाय पर राजनीति करने से बाज नही आते गायों के संरक्षण पर चुप्पी साध लेते हैं भला ऐसे कैसे दिला पाएंगे गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा क्योंकि इन तस्वीरों को देखकर कहा जा सकता है कि इन्हें राष्ट्रमाता का दर्जा दिलानें के साथ साथ संरक्षण की भी आवश्यकता है ये तस्वीरें थराली विधानसभा के थराली बाजार से ली गयी हैं इस तरह आप समझ सकते हैं कि पूरे प्रदेश और देश भर में इस तरह कितनी राष्ट्र माताएं विचरण कर रही होंगी क्योंकि अकेले थराली में ही सैकड़ो की तादात में गौमाता सड़को पर जीने को मजबूर हैं

एंकर-हिन्दू धर्म मे गाय का कितना महत्व है ये शायद बताने की आवश्यकता नही क्योंकि आज भी हर दैविक पूजा,अनुष्ठान में पहले गाय की पूजा की जाती है बिना गाय के गोबर और गोमूत्र के बिना कोई भी अनुष्ठान पूजा पाठ कर्म कांड अधूरे ही माने जाते हैं ,किसी शुभ कार्य से पहले मान्यता है कि उस कार्य को गाय के कानों में दोहराया जाय तो कार्य सफल हो जाता है लेकिन गाय को पूजने वाले ,गाय को मानने वाले ,गाय को राष्ट्रमाता कहने वाले ,गाय से दूध दही मक्खन, घी प्राप्त करने वाले ही गाय से लाभ लेने के बाद इन्हें सड़को पर छोड़ रहे हैं गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए गौरक्षक सड़को पर तो आ जाते हैं लेकिन इनके संरक्षण की बात कोई नही करता है इन्हें आवारा पशुओं की तर्ज पर गिना जाता है दिन भर ये गाये बाज़ारो में भटकती है शाम होते ही आसरा ढूंढने लगती हैं ,जिनमे से अधिकांश गाये जंगली जानवरों का भोजन भी बन जाती है ,हाई कोर्ट ने आवारा पशुओं के संरक्षण को लेकर सख्ती दिखाई सरकारों को समय समय पर निर्देशित भी किया लेकिन सरकारे शायद सुनती कम है यही कारण है कि इस तरह की घटनाओं में कमी आने की बजाय लगातार इजाफा ही होता आया है थराली के बाज़ारो में घूम रहे इन आवारा पशुओं के रख रखाव ओर संरक्षण के लिए न तो नगर पंचायत की ओर से अभी तक कोई खास कार्यवाही हो पाई है न ही इन पशुओं के संरक्षण के लिए ब्लॉक स्तर पर ही कोई जनप्रतिनिधि आगे बढ़कर आगे आया है ,गाय के नाम पर राजनीति तो इस देश मे जमकर की जाती है लेकिन इनके संरक्षण के लिए पहल देखने को नही मिलती नतीजा ये होता है कि हिन्दू धर्म मे विशेष स्थान रखने वाली गौमाता बूचड़खाने में टंगी दिखती है जिस पर देश भर में फैले गौ रक्षा संगठन खूब हो हल्ला मचाते हैं लेकिन जब ये सड़को पर विचरण करते नजर आती हैं तब किसी धार्मिक संगठन और गौ रक्षकों की आवाज़ बुलंद नही होती इसी हम सवाल उठा रहे है हालांकि इन सब के बीच थराली के कुछ सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों ने गौरक्षा समिति बनाकर इन आवारा पशुओं के संरक्षण के लिए पहल जरूर की है ,समाजसेवियों ने इन भटकती गायों के लिए फिलहाल अस्थायी तौर पर टिन शेड की व्यवस्था केदारबगड में टैक्सी स्टैंड के समीप करवाई है लेकिन आवारा पशुओं की बढ़ती तादात को रोकने के लिए जरूरी है कि इस तरह इन मूक पशुओं को उपयोग के बाद यूँ ही भटकने के लिए न छोड़ा जाए और नगर पंचायत भी आगे आकर इनके संरक्षण के कदम उठाए


Vo-स्थानीय निवासियों ने गौमाता की इस दुर्दशा पर बोलते हुए कहा कि सरकार गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने की पहल कर रही है जो सराहनीय है लेकिन वर्तमान में जिस तरह गायों की दुर्दशा हो रही है उससे तो यही कहा जा सकता है कि जब गाय बचेगी तभी राष्ट्रमाता बनेगी ,स्थानीय लोगो ने कहा कि सरकारों का काम सिर्फ राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए पहल करने से ही खत्म नही हो जाता है जरूरत है इन्हें संरक्षण देने की आवश्यकता है गांव गांव में गौशालाएं खुलवाने की जहां इस तरह भटक रही गायों को संरक्षण दिया जा सके
Byte-भूधर नेगी स्थानीय व्यापारी

Byte-महेश उनियाल स्थानीय

Byte-sandeep rawat व्यापार संघ अध्यक्ष थरालीConclusion:Vo-स्थानीय निवासियों ने गौमाता की इस दुर्दशा पर बोलते हुए कहा कि सरकार गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने की पहल कर रही है जो सराहनीय है लेकिन वर्तमान में जिस तरह गायों की दुर्दशा हो रही है उससे तो यही कहा जा सकता है कि जब गाय बचेगी तभी राष्ट्रमाता बनेगी ,स्थानीय लोगो ने कहा कि सरकारों का काम सिर्फ राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए पहल करने से ही खत्म नही हो जाता है जरूरत है इन्हें संरक्षण देने की आवश्यकता है गांव गांव में गौशालाएं खुलवाने की जहां इस तरह भटक रही गायों को संरक्षण दिया जा सके
Byte-भूधर नेगी स्थानीय व्यापारी

Byte-महेश उनियाल स्थानीय

Byte-sandeep rawat व्यापार संघ अध्यक्ष थराली
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.