चमोली: दरारों के कारण जोशीमठ शहर अभी तक ठीक तरह से पटरी पर नहीं आ सका है. इसी बीच जोशीमठ में चल रहे आंदोलन को लेकर दो तरफा राजनीति भी शुरू हो गई है. जोशीमठ में आई दरारों को लेकर आंदोलन कर रहे पीड़ित परिवारों के बीच पर्यावरणविद और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर जोशीमठ पहुंचीं. जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे आंदोलन को अपना समर्थन दिया. इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने मेधा पाटकर को काले झंडे दिखाकर विरोध किया.
उत्तराखंड सरकार पर साधा निशाना: नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि देवभूमि में जितनी भी जल विद्युत परियोजनाएं कार्य कर रही हैं, वह देवभूमि के हित में नहीं है. सरकार को जोशीमठ के पीड़ित परिवारों की सुध लेकर उनको उचित विस्थापन और पुनर्वास देना चाहिए. साथ ही जोशीमठ के लोगों की सरकार के साथ, जो सहमति बनी है, उस पर सरकार को खरा उतरना चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लिए सरकार का विकास मॉडल विनाश मॉडल है.
भाजपाइयों ने लगाए विरोधी नारे: भाजपाइयों ने जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के नेता अतुल सती को आंदोलन जीवी बताते हुए कहा कि यह आंदोलन को भड़का कर जोशीमठ के व्यापार को तबाह करना चाहते हैं. जोशीमठ में बेवजह चल रहे इस आंदोलन के कारण जोशीमठ का व्यापार पटरी से उतर गया है और तीर्थ यात्रियों के मन में भय का माहौल पैदा हो गया है. जिससे तीर्थयात्री रुकने को तैयार नहीं हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता ऋषि प्रसाद सती ने मेधा पाटकर पर आरोप लगाया कि ये एनजीओ चलाने के नाम पर कई घोटाले कर चुकी हैं और जोशीमठ आकर अपनी राजनीति की तलवार को धार दे रही हैं.
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जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के नेता अतुल सती ने कहा कि जोशीमठ के लोगों ने पिछले 107 दिन तक तहसील में बैठकर धरना दिया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आश्वासन के बाद धरना स्थगित किया गया था, लेकिन धामी के साथ जिन सभी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर सहमति बनी थी, उनमें से एक भी मांग पूरी नहीं की गई है. उन्होंने जिलाधिकारी चमोली पर आरोप लगाते हुए कहा कि जोशीमठ आपदा प्रभावितों की तरफ जिला अधिकारी का कोई ध्यान नहीं है.
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