चमोली: अभी कुछ ही दिन हुए हैं जब पूरा देश बंद था. उत्तराखंड के पहाड़ों में पर्यटकों को देखने के लिए दुकानदार और स्थानीय लोग तरस रहे थे. हालांकि अभी भी चारधाम यात्रा शुरू नहीं हुई है, लेकिन लोगों किसी तरह अपनी दिनचर्या को पटरी पर ला रहे हैं. चमोली में भी ऐसा ही हो रहा था कि अचानक प्रशासन ने उन दुकानदारों पर नजरें टेढ़ी कर ली हैं, जिन्हें हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राहत के नाम पर प्रतिमाह ₹2000 देने का ऐलान किया है.
भारत और चीन की सीमा से जुड़े चमोली जिले में बदरीनाथ धाम, फूलों की घाटी, हेमकुंड साहिब जैसे धार्मिक और पर्यटक स्थल स्थित हैं. यही यहां के लोगों की आर्थिकी का जरिया भी रहा है लेकिन लॉकडाउन और कर्फ्यू के दौर में जैसे-तैसे यहां के लोग अपना गुजारा कर रहे हैं. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले साल भी यात्रा न के बराबर थी और इस बार तो यात्रा बंद ही है. ऐसी स्थिति में अब स्थानीय प्रशासन ने व्यापारियों की दुकानों पर ताले लगा दिए हैं और स्थानीय लोगों के मकानों पर नोटिस चस्पा कर उनके सामान बाहर रखवाना शुरू कर दिया है.
क्यों हो रही है कार्रवाई: दरअसल, एकाएक नगर निगम ने व्यापारियों की दुकानों और स्थानीय लोगों के मकानों का किराया वसूलने का नोटिस चस्पा किया गया है. इन सभी को न कोई नोटिस दिया गया और न ही कुछ दिनों की मोहलत. शुक्रवार (23 जुलाई) सुबह सीधे प्रशासन के अधिकारियों ने पुलिस फोर्स के साथ दुकानों पर पहुंचकर सामान को बाहर रखवाना और दुकानों पर सील लगना शुरू कर दिया, जिसको लेकर व्यापारियों ने डीएम के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
वहीं, इस दौरान प्रशासन की कार्रवाई का विरोध करने पर गोपेश्वर व्यापार संघ के अध्यक्ष अंकोला पुरोहित सहित 2 महिला व्यापारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया गया.
व्यापारी ने जिलाधिकारी पर लगाए आरोप: स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया हैं. उनके आदेश पर ही यह तमाम कार्रवाई की जा रही है. व्यापारियों का कहना है कि उन्हें कम से कम कुछ दिन की मोहलत दी जाए ताकि जो भी नियमानुसार किराया बनता है वो पूरा जमा करवा सकें. व्यापारी वर्ग का कहना है कि ऐसे में जब पूरे प्रदेश में लॉकडाउन और कर्फ्यू लगा है तो उन लोगों के पास पैसे कहां से आएंगे, यह बात स्थानीय प्रशासन नहीं समझ रहा है. अब व्यापारी मुख्यमंत्री से इस बाबत गुहार लगा रहे हैं कि जब उनका सबकुछ बर्बादी की कगार पर खड़ा है तो कम तो कम से कम उन्हें कुछ दिन की मोहलत तो दी जाए.
स्थानीय पत्रकार और व्यापारियों का कहना है कि बीते दिनों जिलाधिकारी के दफ्तर में जब आपदा पीड़ित लोग अपनी फरियाद लेकर गए थे तो जिलाधिकारी ने महिलाओं के साथ कैमरे के सामने बदसलूकी की थी, जिसके बाद स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने डीएम के खिलाफ प्रदर्शन किया था इसलिए उनके साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा है.
व्यापारियों का आरोप है कि पालिका की ओर से जारी नोटिस में दुकानों को खाली करने को लेकर महज 24 घंटे का समय दिया गया था. वहीं, नगर पालिका का कहना है कि दुकानदारों द्वारा दुकानों का किराया जमा नहीं किया जा रहा है. उधर, पालिका और प्रशासन की कार्रवाई को लेकर व्यापारियो ने अपना विरोध दर्ज कराया है.
जिलाधिकारी का फोन ऑफ: हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम पर जब हमने जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया का पक्ष जानना चाहा तो उनका फोन ऑफ बता रहा है. इस पूरे विवाद को लेकर और डीएम पर लगे आरोपों को लेकर उनका पक्ष जानने की पूरी कोशिश की जा रही है.