ETV Bharat / state

लापरवाही: चमोली में करोड़ों का सचल चिकित्सा वाहन हो गया कबाड़

उत्तराखंड सरकार के द्वारा करोड़ों की लागत से खरीदा गया सचल चिकित्सा वाहन चमोली के जिला अस्पताल के बाहर कई वर्षो से धूल फांक रहा है. उपयोग में न होने के कारण वाहन पर पौधे तक उग आए हैं.

mobile hospital
सचल चिकित्सा वाहन
author img

By

Published : Sep 10, 2020, 2:07 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 2:30 PM IST

चमोली: उत्तराखंड सरकार के द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से खरीदा गया सचल चिकित्सा वाहन चमोली के जिला अस्पताल के बाहर कई वर्षों से धूल फांक रहा है. उपयोग में न होने के कारण वाहन पर पौधे तक उग आए हैं. वाहन संचालन के लिए समय रहते स्वास्थ्य विभाग उत्तराखंड द्वारा टेंडर प्रक्रिया संपन्न न करवाने के कारण वाहन के साथ-साथ वाहन के अंदर रखे स्वास्थ्य परीक्षण के उपकरण भी खराब हो चुके हैं. सीएमओ चमोली का कहना है कि वाहन के संचालन को लेकर लगातार शासन से पत्राचार किया जा रहा है.

करोड़ों का सचल चिकित्सा वाहन हो गया कबाड़.

बता दें कि, उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के मकसद से वर्ष 2009 में उत्तराखंड के 13 जनपदों में सचल चिकित्सा सेवा के नाम से एक बस के अंदर अल्ट्रासाउंड, एक्सरे मशीन, पैथोलॉजी लैब, ईसीजी सहित अन्य उपकरणों से लैस कर एक अस्पताल तैयार किया गया था. साथ ही सचल चिकित्सा वाहन के साथ एक कुशल डॉक्टरों की टीम भी मौजूद रहती थी, जोकि ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करती थी. सरकार की इस सेवा से ग्रामीण क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं सहित अन्य बीमार लोग लाभ मिलने से काफी राहत महसूस कर रहे थे. यह सेवा वर्ष 2012 तक चलने के बाद एकाएक बंद हो गई जो अभी तक शुरू नहीं हुई है. कुछ सालों तक स्वास्थ्य विभाग टेंडर करवाने का हवाला देकर मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश करता रहा. लेकिन कबाड़ में तब्दील होते सचल चिकित्सा वाहन की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता.

अगर सचल चिकित्सा वाहन की सेवा चालू रहती तो कोरोना वायरस के इस दौर में यह सेवा लोगों के लिए संजीवनी का कार्य कर सकती थी. जहां लोग कोरोना के इस दौर में अपने उपचार के लिए अस्पतालों का रुख करने से घबरा रहे हैं वहीं, लोगों के दरवाजों पर अस्पताल खड़ा रहता. साथ ही इस वाहन में अल्ट्रासाउंड की सुविधा होने के कारण यह सेवा गर्भवती महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी.

पढ़ें: BKU तोमर गुट का आरोप, कमिश्नर ने किसानों पर झूठे मुकदमे दर्ज कराए

वहीं, चमोली जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि शासन को इस संबंध में टेंडर प्रक्रिया को लेकर कई बार अवगत कराया जा चुका है. कोरोना संकट के इस दौर में यह वाहन काफी फायदेमंद हो सकता था.

चमोली: उत्तराखंड सरकार के द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से खरीदा गया सचल चिकित्सा वाहन चमोली के जिला अस्पताल के बाहर कई वर्षों से धूल फांक रहा है. उपयोग में न होने के कारण वाहन पर पौधे तक उग आए हैं. वाहन संचालन के लिए समय रहते स्वास्थ्य विभाग उत्तराखंड द्वारा टेंडर प्रक्रिया संपन्न न करवाने के कारण वाहन के साथ-साथ वाहन के अंदर रखे स्वास्थ्य परीक्षण के उपकरण भी खराब हो चुके हैं. सीएमओ चमोली का कहना है कि वाहन के संचालन को लेकर लगातार शासन से पत्राचार किया जा रहा है.

करोड़ों का सचल चिकित्सा वाहन हो गया कबाड़.

बता दें कि, उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के मकसद से वर्ष 2009 में उत्तराखंड के 13 जनपदों में सचल चिकित्सा सेवा के नाम से एक बस के अंदर अल्ट्रासाउंड, एक्सरे मशीन, पैथोलॉजी लैब, ईसीजी सहित अन्य उपकरणों से लैस कर एक अस्पताल तैयार किया गया था. साथ ही सचल चिकित्सा वाहन के साथ एक कुशल डॉक्टरों की टीम भी मौजूद रहती थी, जोकि ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करती थी. सरकार की इस सेवा से ग्रामीण क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं सहित अन्य बीमार लोग लाभ मिलने से काफी राहत महसूस कर रहे थे. यह सेवा वर्ष 2012 तक चलने के बाद एकाएक बंद हो गई जो अभी तक शुरू नहीं हुई है. कुछ सालों तक स्वास्थ्य विभाग टेंडर करवाने का हवाला देकर मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश करता रहा. लेकिन कबाड़ में तब्दील होते सचल चिकित्सा वाहन की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता.

अगर सचल चिकित्सा वाहन की सेवा चालू रहती तो कोरोना वायरस के इस दौर में यह सेवा लोगों के लिए संजीवनी का कार्य कर सकती थी. जहां लोग कोरोना के इस दौर में अपने उपचार के लिए अस्पतालों का रुख करने से घबरा रहे हैं वहीं, लोगों के दरवाजों पर अस्पताल खड़ा रहता. साथ ही इस वाहन में अल्ट्रासाउंड की सुविधा होने के कारण यह सेवा गर्भवती महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी.

पढ़ें: BKU तोमर गुट का आरोप, कमिश्नर ने किसानों पर झूठे मुकदमे दर्ज कराए

वहीं, चमोली जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि शासन को इस संबंध में टेंडर प्रक्रिया को लेकर कई बार अवगत कराया जा चुका है. कोरोना संकट के इस दौर में यह वाहन काफी फायदेमंद हो सकता था.

Last Updated : Sep 10, 2020, 2:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.