थराली: सिद्धपीठ देवराड़ा में 6 माह प्रवास के बाद बधाण की नंदा भगवती का उत्सव डोला घाट विकास खंड से नंदा सिद्धपीठ कुरुड़ के लिए रवाना हो गया है. वहीं, मां भगवती के इस डोले को बधाण के नंदा भक्तों ने अश्रुपूर्ण विदाई दी. पंचांग की गणना के अनुसार पौष मास की शुक्लपक्ष में राज राजेश्वरी नंदा भगवती के उत्सव डोले को देवराड़ा स्थित देवी के सिद्धपीठ के गर्भगृह से निकाल कर घाट विकासखंड के सिद्धपीठ कुरुड़ के लिए विदा करना होता है.
शुक्रवार को करुड़ मंदिर समिति के अध्यक्ष की मौजूदगी में मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित पारेश्वर देवराड़ी ने मंत्रों उच्चारण के साथ मां भगवती के डोले को गर्भगृह से बहार निकालने की प्रक्रिया शुरू की. सुबह करीब 10 बजे डोले को मां नंदा के जयकारों के साथ मंदिर के प्रागंण में लाया गया. इस दौरान मां नंदा के भक्तों ने देवी की पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगी. दोपहर करीब 11 बजे देवडोले को देवराड़ा से यात्रा के प्रथम पड़ाव मालबज्वाड़ के लिए रवाना किया गया.
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वहीं, यात्रा पहले दिन देवराड़ा से दोपहर के भोजन के लिए सुनाऊ मल्ला पहुंची, जहां देवडोले का भव्य स्वागत किया गया. उसके बाद यात्रा देर शाम अपने पहले प्रवास मालबज्वाड़ गांव पहुंची.