कर्णप्रयाग: राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चे ने कर्णप्रयाग में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाली की मांग को लेकर हुंकार रैली का आयोजन किया. इस दौरान रैली में राष्ट्रीय व प्रांतीय पदाधिकारियों के साथ ही जिले के कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया. संयुक्त मोर्चे ने केंद्र व राज्य सरकार की ओर से मांग पर कार्रवाई न करने पर नाराजगी जताते हुए आंदोलन को देशभर में गति देने की बात कही है.
मोर्चा के अध्यक्ष ने क्या कहा: कर्णप्रयाग में आयोजित रैली के बाद हुई सभा को संबोधित करते हुए मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत ने कहा कि आने वाला समय केंद्र सरकार के लिए निर्णायक समय है. कई राज्यों में पुरानी पेंशन बहाली हो चुकी है. उत्तराखंड में कार्मिक लंबे समय से पुरानी पेंशन बहाली के लिये आंदोलनरत हैं. धामी सरकार को चाहिये कि कर्मचारियों के हित में शीघ्र पुरानी पेंशन बहाल करे. मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश प्रसाद बहुगुणा ने कहा कि जब सरकारी कर्मचारियों के बुढ़ापे की बात आती है, तो कार्मिकों को केवल पेंशन का सहारा ही नजर आता है. नई पेंशन स्कीम शिक्षक कर्मचारी के हित में नहीं है. इसके कई दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं. पेंशन हुंकार रैली के माध्यम से हम राज्य सरकार से जल्द ही पुरानी पेंशन बहाली की मांग करते हैं.
मोर्चे के प्रांतीय महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि 2005 के बाद से इस पुरानी पेंशन योजना को बंद करके बहुत बड़ा अन्याय किया गया है. अब भूल सुधार का समय है. सरकारें सरकारी कार्मिकों की एकता और ताकत को नजरअंदाज नही कर सकती हैं. मोर्चे के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष जयदीप रावत ने कहा कि चमोली जनपद आंदोलन की सदैव अग्रणी भूमिका में रहा है. इस बार पुरानी पेंशन बहाली की मांग में जनपद चमोली से आवाज उठ रही है. जो निश्चित ही पुरानी पेंशन बहाली की दिशा में सकारात्मक कदम है.
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मोर्चे के गढ़वाल मंडल महासचिव नरेश कुमार भट्ट ने कहा कि पेंशन हुंकार रैली के माध्यम से राज्य सरकारों एवं केन्द्र सरकार को चेताया जा रहा है कि जल्दी ही पुरानी पेंशन बहाल की जाये. अन्यथा कर्मचारी उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे. मोर्चे के जनपद चमोली अध्यक्ष पीएस फर्स्वाण ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए आंदोलन की मशाल आज चमोली से जलायी जा चुकी है. राज्य सरकार शीघ्र ही पुरानी पेंशन बहाल करे, अन्यथा यह मशाल राज्य के सभी जनपदों से गुजरते हुए केंद्र तक पहुंचेगी.
क्या थी पुरानी पेंशन योजना: पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme -OPS) को दिसंबर 2003 में दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने खत्म कर दिया था. इसके बाद राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme-NPS) लागू की गई. एनपीएस 1 अप्रैल, 2004 से प्रभावी है. पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन होती थी. इसकी पूरी राशि का भुगतान सरकार करती थी. वहीं, NPS में उन कर्मचारियों लिए है, जो 1 अप्रैल 2004 के बाद सरकारी नौकरी में शामिल हुए. कर्मचारी अपनी सैलरी से 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए योगदान करते हैं. इसके अलावा राज्य सरकार 14 फीसदी योगदान देती है. पेंशन का पूरा पैसा पेंशन रेगुलेटर PFRDA के पास जमा होता है, जो इसे निवेश करता है.
नई पेंशन स्कीम में मिलते हैं कम फायदे: राज्य स्तर पर ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर आंदोलन चल रहे हैं. पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए एक मंच पर सरकारी कर्मचारी एकजुट होने लगे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि विभिन्न विभागों के कर्मचारी संगठनों ने रणनीति बनाई है. इस योजना में पुरानी स्कीम के मुकाबले कर्मचारियों को बहुत कम फायदे मिलते हैं. इससे उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है. सेवानिवृत्त होने के बाद जो पैसा मिलेगा, उस पर टैक्स देना पड़ेगा.
क्या है नई पेंशन योजना-NPS?: साल 2004 में सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन योजना शुरू की थी. NPS सरकारी कर्मचारियों को निवेश की मंजूरी देता है. इसके तहत वो अपने पूरे करियर में पेंशन खाते में नियमित तौर पर योगदान करके अपने पैसे के निवेश को अनुमति दे सकते हैं. रिटायरमेंट के बाद पेंशन राशि का एक हिस्सा एकमुश्त निकालने की छूट है. बाकी रकम के लिए एन्युटी (Annuity) प्लान खरीद सकते हैं. एन्युटी एक तरह का इंश्योरेंस प्रोडक्ट है. इसमें एकमुश्त निवेश करना होता है. इसे मंथली, क्वॉटरली या सालाना विड्रॉल कर सकते हैं. रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु तक उसे नियमित आमदनी मिलती है. वहीं, मृत्यु के बाद पूरा पैसा नॉमिनी को मिल जाता है.