देहरादून: राजकीय बालिका इंटर कॉलेज गोपेश्वर के बच्चों की प्रार्थना का शानदार वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इसमें स्कूली बच्चे मां सरस्वती की वंदना लोक भाषा में स्थानीय वाद्ययंत्रों के साथ करते दिखाई दे रही हैं. जो भी इस प्रार्थना को सुन रहा है, वो बच्चों का मुरीद हो जा रहा है. इस वंदना ने पूर्व सीएम हरीश रावत को भी मुरीद कर दिया है. जिसके लिए उन्होंने स्कूल के अध्यापकों और छात्राओं को बधाई दी है.
हरीश रावत को भायी स्कूली बच्चों की वंदना: हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया हैडल में लिखा कि अध्यापकों और छात्राओं को बहुत-बहुत बधाई, भौतै-भौतै भल्यो लागो! भाषा को संविधान की अष्टम सूची में सम्मिलित करने की दिशा में एक और कदम. बता दें कि हरीश रावत उत्तराखंड के उत्पादों के साथ ही यहां की विरासत को आगे बढ़ाने को लेकर लोगों को प्रेरित करते रहते हैं. कई बार वो लोकल उत्पादों के फायदे और पार्टी में फल परोसकर सुर्खियां बटोर चुके हैं. जबकि सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कई मौकों पर डांस करते भी दिखाई दिए हैं.
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गढ़वाली बोली के संरक्षण और संवर्धन की कवायद: गौर हो कि उत्तराखंड में कुमाऊं और गढ़वाली बोली को भाषा का दर्जा दिलाने की कवायद समय-समय पर होती रहती है. लेकिन कभी ये मांग परवान नहीं चढ़ सकी. पर्वतीय अंचलों में अधिक लोग गढ़वाली और कुमाऊंनी बोलते हैं. इसके बावजूद उत्तराखंड की बोली को आठवीं अनुसूची में स्थान मिल पाया है. वहीं संरक्षण और संवर्धन के लिए लोकभाषा अकादमी की स्थापना तक नहीं हो पाई है. जबकि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने के लिए पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं. चुनावी समर में नेता भी वोट बटोरने के लिए भूली-भैजी, कुमाऊंनी में दाज्यू बोलते दिखाई देते हैं जैसे ही चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचते हैं सब कुछ भूल जाते हैं.