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चमोली: जनकल्याणकारी योजनाओं से महरूम आमखेत गांव, आश्वासन के बाद भी 'हाथ' खाली - जनकल्याणकारी योजनाओं का नहीं मिला लाभ

चमोली के आमखेत गांव आज भी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की राह देख रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि सरकारों ने आश्वासन के बाद भी उन्हें मकान नहीं मिला है.

amkhet village
नहीं मिले मकान
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Published : Jul 15, 2021, 7:22 AM IST

चमोली: प्रदेश में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां राज्य सरकारों के द्वारा आम लोगों के लिए चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाएं अपने पैर नहीं पसार पाई है. चमोली जिले में एक ऐसा ही गांव है आमखेत. जहां आज भी गांव के लोग सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की राह ताक रहे हैं.

बता दें कि, दशोली विकासखंड के मुख्यालय के पास स्थित आमखेत गांव में अनुसूचित जाति के कुछ परिवार निवास करते हैं. लेकिन आज भी गांव के ग्रामीण अपने गिरासू भवनों के अंदर रहने को मजबूर हैं. थोड़ी सी भी बारिश होने पर ग्रामीण टीनशेड के अंदर रहने को मजबूर हैं जो 1999 के भूकम्प के दौरान बनाये गए थे.

योजनाओं की राह ताक रहा आमखेत गांव.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड : चुनाव से पहले कांग्रेस संगठन में बड़ा बदलाव, हरीश रावत-गोदियाल-प्रीतम के बीच बंटेंगी जिम्मेदारियां

ग्रामीणों का कहना है कि प्रदेश में सरकार के द्वारा अटल आवास योजना संचालित की जा रही है, साथ ही मनरेगा के तहत गोठ सुधार योजना भी चलाई गई थी. जिसमें कि जरूरतमंद लोगों की गौशालाओं में सरकारी मदद से सुधार कार्य करवाये गए थे. लेकिन आमखेत गांव के लोगों को इन योजनाओं से महरूम रखा गया. जबकि गांव के लोगों की आर्थिकी का जरिया कुछ नहीं है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में रोक और UP में मंजूरी, पढ़ें Timeline के जरिए कांवड़ यात्रा की पूरी स्टोरी

ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार और विपक्ष के नेताओं समेत प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि कई बार इन लोगों ने आश्वासन दिया, लेकिन आज भी ग्रामीण टूटी छतों के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं. प्रदेश सरकार के द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों के लिए कई योजनाएं भी चलाई गईं, लेकिन आमखेत गांव के लोगों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है.

चमोली: प्रदेश में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां राज्य सरकारों के द्वारा आम लोगों के लिए चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाएं अपने पैर नहीं पसार पाई है. चमोली जिले में एक ऐसा ही गांव है आमखेत. जहां आज भी गांव के लोग सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की राह ताक रहे हैं.

बता दें कि, दशोली विकासखंड के मुख्यालय के पास स्थित आमखेत गांव में अनुसूचित जाति के कुछ परिवार निवास करते हैं. लेकिन आज भी गांव के ग्रामीण अपने गिरासू भवनों के अंदर रहने को मजबूर हैं. थोड़ी सी भी बारिश होने पर ग्रामीण टीनशेड के अंदर रहने को मजबूर हैं जो 1999 के भूकम्प के दौरान बनाये गए थे.

योजनाओं की राह ताक रहा आमखेत गांव.

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ग्रामीणों का कहना है कि प्रदेश में सरकार के द्वारा अटल आवास योजना संचालित की जा रही है, साथ ही मनरेगा के तहत गोठ सुधार योजना भी चलाई गई थी. जिसमें कि जरूरतमंद लोगों की गौशालाओं में सरकारी मदद से सुधार कार्य करवाये गए थे. लेकिन आमखेत गांव के लोगों को इन योजनाओं से महरूम रखा गया. जबकि गांव के लोगों की आर्थिकी का जरिया कुछ नहीं है.

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ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार और विपक्ष के नेताओं समेत प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि कई बार इन लोगों ने आश्वासन दिया, लेकिन आज भी ग्रामीण टूटी छतों के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं. प्रदेश सरकार के द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों के लिए कई योजनाएं भी चलाई गईं, लेकिन आमखेत गांव के लोगों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है.

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