थरालीः विकासखंड देवाल के ग्राम पंचायत सरकोट की वन पंचायत क्षेत्र में चीड़ के पेड़ों की कटान का मामला तूल पकड़ने लगा. मामला सामने आने के बाद बदरीनाथ वन प्रभाग जाग गया है. इसी कड़ी में मध्य पिंडर रेंज थराली के रेंजर के नेतृत्व में वन विभाग की टीम सरकोट पहुंची और मौके का स्थलीय निरीक्षण किया. इस दौरान टीम ने काटे गए पेड़ों की संख्या, कटान की अनुमति समेत अन्य कड़ियों को जोड़ते हुए शुरू कर दी है.
दरअसल, ग्वालदम-नंदकेसरी मोटर सड़क पर बसे सरकोट गांव की वन पंचायत में अलकनंदा वन एवं भूमि संरक्षण रेंज थराली के सहयोग से वनीकरण किया गया था. इस दौरान सोडिग तोक के गंगलोड़ 1 वन पंचायत क्षेत्र में 2018-19 से करीब 10 हेक्टेयर भूमि पर वनीकरण का कार्य शुरू किया गया था. जो कि पिछले साल तक जारी था, लेकिन बीते दिनों अचानक दावानल भड़क उठी और सारा वनीकरण स्वाह हो गया.
वहीं, इसी बीच वनीकरण क्षेत्र में पेड़ों को काटने का मामला भी सामने आया. मामला वन विभाग के सामने आने के बाद मध्य पिंडर रेंज थराली के वन क्षेत्राधिकारी हरीश थपलियाल के नेतृत्व में डिप्टी रेंजर माखन लाल और अन्य वनकर्मी सरकोट पहुंचे. जहां पर उन्होंने काटे गए पेड़ों, उसके खूंटों, पेड़ों से बनाई गई लकड़ियों, स्वीकृतियों के संबंध में जानकारी जुटाई.
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रेंजर हरीश थपलियाल ने बताया कि वन पंचायत सरकोट के सरपंच महेश नंद कुनियाल के मुताबिक, इस साल अभी तक वन पंचायत क्षेत्र में पांच पेड़ छापे और काटे गए हैं. नियमानुसार वन विभाग ने इन पेड़ों को काटने की किसी भी तरह की स्वीकृतियां जारी नहीं की हैं. एक तरह से पेड़ अवैध रूप से काटे गए हैं.
उनका मानना है कि काटे गए पेड़ों की कुछ टहनियों हरी मिली है. जिससे प्रतीत हो रहा कि पेड़ अभी हरे थे. उन्होंने वनीकरण क्षेत्र के अंदर काटे गए पेड़ों, एक ही पेड़ पर नियम कानूनों को ताक पर रखकर सड़क किनारे रहस्यमयी तरीके से घन मारे लगाने पर आश्चर्य जताया है. वहीं, रेंज आफिसर ने बताया कि मामला काफी गंभीर है. ऐसे में पूरी गंभीरता से मामले की जांच की जा रही है. किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.