सावन के आखिरी सोमवार पर बोल बम से गूंजे शिवालय, जलाभिषेक को उमड़ी भीड़ - चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ
चमोली के रुद्रनाथ मंदिर समेत अन्य शिव मंदिरों में आज सावन के आखिरी सोमवार पर भोले के भक्त शिव का जलाभिषेक करने के लिए उमड़े. राज्य के अलग-अलग हिस्सों से भक्त भगवान रुद्रनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे थे.
चमोली: सावन मास के अंतिम सोमवार को मंदिरों में शिवलिग का जलाभिषेक करने वालों का दिनभर तांता लगा रहा. श्रद्धालु कतारों में खड़े होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते नजर आए. शहर के अन्य मंदिरों की तरह चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ में भी शिव भक्तों की खासी तादाद दिखी. राज्य के अलग-अलग हिस्सों से भक्त भगवान रुद्रनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे.
कोरोना की वजह से पंच केदारों में भगवान केदारनाथ को छोड़कर बाकी के चार केदार तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मदमहेश्वर और कल्पेश्वर में भक्तों को जाने की अनुमति है. ये चारों मंदिरों में भक्त भगवान के दर्शन कर सकते हैं. सुबह से ही शहर के अलग-अलग शिवालयों में भक्तों का आना शुरू हो गया था. शिवलिंग पर जल चढ़ाने व पूजा-पाठ करने का क्रम देर शाम तक जारी रहा. सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव के जयघोष के बीच जलाभिषेक किया. मंदिरों से लेकर घरों तक दिन भर श्रद्धा की बयार बहती रही.
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चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ: पंचकेदारों में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ हैं, जहां भगवान शिव की मुखाकृति के दर्शन होते हैं. इसे पितरों का तारण करने वाला श्रेष्ठ तीर्थ माना जाता है. कहा जाता है कि रुद्रनाथ तीर्थ में ही देवर्षि नारद ने भगवान शंकर को कनखल (हरिद्वार) में दक्ष प्रजापति द्वारा यज्ञ कराने के दौरान देवी सती के दाह की सूचना दी थी.
भगवान रुद्रनाथ यहां गुफा में विराजते हैं. रुद्रनाथ पहुंचने के लिए पहला मार्ग गोपेश्वर के ग्राम ग्वाड़-देवलधार, किन्नखोली-किन महादेव होते हुए, दूसरा मार्ग मण्डल चट्टी-अत्रि अनुसूइया आश्रम होते हुए, तीसरा मार्ग गोपेश्वर सगर ज्यूरागली-पण्डार होते हुए, चौथा मार्ग ग्राम देवर मौनाख्य- नौलाख्य पर्वत पंडार खर्क होते हुए जाता है.