चमोली: विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी 14 दिन का क्वारंटाइन टाइम पूरा करने के बाद अपने तीन सहयोगियों के साथ जोशीमठ पहुंचे हैं. बदरीनाथ धाम के रावल मंदिर समिति के विश्राम गृह में रुके हुए हैं.
बदरीनाथ धाम के रावल केरल से ऋषिकेश पहुंचे थे. जिसके बाद उन्हें कोरोना और लॉकडाउन के चलते ऋषिकेश में ही क्वारंटाइन किया गया था. जिसकी वजह से बदरी विशाल के कपाट खुलने की तारीख को बदला गया था. अब 15 मई को भगवान बदरी विशाल के कपाट खोले जाएंगे.
बदरीनाथ धाम के रावल की दो रिपोर्ट नेगेटिव आई है. जिसके बाद धार्मिक परंपराओं के निर्वहन के लिए रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी अपने सहयोगियों के साथ जोशीमठ पहुंचे हैं. अब बदरी विशाल के कपाट खुलने पर रावल पूजा-अर्चना करेंगे.
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उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि 13 मई को रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ रात्रि विश्राम हेतु योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचेंगे. 14 मई की शाम आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी, श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी एवं गाडू घड़ा कलश के साथ बदरीनाथ धाम पहुंचेंगे. जहां 15 मई को सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर शुभ मुहूर्त पर बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे.
कोरोना संकट को देखते हुए उत्तराखंड में चारधाम यात्रा पर रोक है. कपाट खुलने के दौरान प्रक्रिया से जुड़े कुछ लोगों को ही मंदिर परिसर में मौजूद रहने की अनुमति है. मंदिर के कपाट खोलते हुए मां लक्ष्मी की मूर्ति को भगवान बदरी विशाल से अलग किया जाता है, जो मुख्य पुजारी रावल करते हैं. साथ ही मुख्य पुजारी ही भगवान बद्री विशाल के मूर्ति को स्पर्श कर सकता है.