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मनरेगा में टेंडर प्रक्रिया से प्रधान हैं नाराज, सीएम के ई-संवाद का किया बहिष्कार - Village head Chamoli news

चमोली जिले में अधिकांश विकास खंडों में ग्राम प्रधानों ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ई-संवाद का कहीं पूर्ण रूप से तो कहीं आंशिक रूप से बहिष्कार किया. प्रधानों का कहना है कि प्रदेश सरकार ग्राम पंचायतों को कमजोर करने का कार्य कर रही है. प्रधान मनरेगा में टेंडर प्रक्रिया से नाराज हैं.

Gram pradhan boycott E-samwad of CM
सीएम के ई-संवाद का किया बहिष्कार
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Published : Jul 14, 2020, 8:47 AM IST

चमोली: उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को प्रधानों के साथ ई-संवाद कार्यक्रम रखा था. इसका चमोली जिले की पोखरी, जोशीमठ, थराली, नारायणबगड़, गैरसैंण, प्रयाग, देवाल, दशोली और घाट विकास खंडों में कहीं पूर्ण रूप से तो कहीं आंशिक रूप से बहिष्कार किया गया. प्रधान संगठन जोशीमठ के ब्लॉक अध्यक्ष अनूप नेगी, पोखरी के धीरेंद्र सिंह राणा और थराली के डॉक्टर जगमोहन सिंह रावत का कहना है कि सरकार ग्राम पंचायतों को कमजोर करने पर तुली हुई है. ग्राम प्रधानों के सारे अधिकार कम कर नौकरशाही को बढ़ावा दे रही है. मनरेगा में टेंडर प्रक्रिया कर अपने चहेते दुकानदारों को सामग्री सप्लाई का काम देना चाह रही है. इसलिए प्रधानों ने इसका बहिष्कार किया.

प्रधानों की यह मांग भी है कि मनरेगा कार्य दिवस 300 दिन किया जाए. ग्राम पंचायतों का सोशल ऑडिट सरकारी कर्मचारियों से ही करवाया जाए ना कि प्राइवेट संस्थाओं से. साथ ही प्रधानों को ₹15,000 मानदेय व ₹5,000 की पेंशन दी जाए. इसको लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने का समय भी मांगा था लेकिन सीएम ने उन्हें मिलने का समय नहीं दिया.

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वहीं दशोली के ब्लॉक अध्यक्ष नैन सिंह कुंवर का कहना है कि एक ओर प्रधानों पर प्रवासियों के लिए रोजगार की व्यवस्था करने का दबाव बनाया जा रहा है, वहीं प्रधानमंत्री के जल जीवन मिशन को प्राइवेट एनजीओ को ठेके पर दिया जा रहा है. जबकि पूर्व में गांव में स्वजल के माध्यम से पेयजल से संबंधित जो भी कार्य होते थे उन्हें प्रधान ही संचालित करते थे. यदि जल जीवन मिशन का कार्य ग्राम पंचायतों को मिलता है तो प्रवासियों को रोजगार की व्यवस्था हो सकती है.

चमोली: उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को प्रधानों के साथ ई-संवाद कार्यक्रम रखा था. इसका चमोली जिले की पोखरी, जोशीमठ, थराली, नारायणबगड़, गैरसैंण, प्रयाग, देवाल, दशोली और घाट विकास खंडों में कहीं पूर्ण रूप से तो कहीं आंशिक रूप से बहिष्कार किया गया. प्रधान संगठन जोशीमठ के ब्लॉक अध्यक्ष अनूप नेगी, पोखरी के धीरेंद्र सिंह राणा और थराली के डॉक्टर जगमोहन सिंह रावत का कहना है कि सरकार ग्राम पंचायतों को कमजोर करने पर तुली हुई है. ग्राम प्रधानों के सारे अधिकार कम कर नौकरशाही को बढ़ावा दे रही है. मनरेगा में टेंडर प्रक्रिया कर अपने चहेते दुकानदारों को सामग्री सप्लाई का काम देना चाह रही है. इसलिए प्रधानों ने इसका बहिष्कार किया.

प्रधानों की यह मांग भी है कि मनरेगा कार्य दिवस 300 दिन किया जाए. ग्राम पंचायतों का सोशल ऑडिट सरकारी कर्मचारियों से ही करवाया जाए ना कि प्राइवेट संस्थाओं से. साथ ही प्रधानों को ₹15,000 मानदेय व ₹5,000 की पेंशन दी जाए. इसको लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने का समय भी मांगा था लेकिन सीएम ने उन्हें मिलने का समय नहीं दिया.

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वहीं दशोली के ब्लॉक अध्यक्ष नैन सिंह कुंवर का कहना है कि एक ओर प्रधानों पर प्रवासियों के लिए रोजगार की व्यवस्था करने का दबाव बनाया जा रहा है, वहीं प्रधानमंत्री के जल जीवन मिशन को प्राइवेट एनजीओ को ठेके पर दिया जा रहा है. जबकि पूर्व में गांव में स्वजल के माध्यम से पेयजल से संबंधित जो भी कार्य होते थे उन्हें प्रधान ही संचालित करते थे. यदि जल जीवन मिशन का कार्य ग्राम पंचायतों को मिलता है तो प्रवासियों को रोजगार की व्यवस्था हो सकती है.

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