देहरादून: एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के जवाबी हमले में भारतीय वायुसेना के मिग-21 ने पाक के F-16 को मार गिराया. ये कोई पहला मौका नहीं है जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान को सबक सिखाया हो. इससे पहले भी 1947, 1965, 1971 और 1999 की लड़़ाई में भारतीय वायुसेना ने अपना लोहा मनवाया है. जिसमें 1965 और 1971 के युद्ध में देहरादून के तीन जांबाजों के किस्से खूब सुनने को मिलते हैं. जिन्हें भारत सरकार ने वीर चक्र से सम्मानित किया.
जब विंग कमांडर सुरपति ने उड़ाए पाकिस्तानी सेना के टैंक
विंग कमांडर सुरपति भट्टाचार्य पश्चिमी सेक्टर में फाइटर स्क्वाड्रन के फ्लाइंग कमांडर थे. 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान उन्होंने 12 सितंबर 1965 को स्क्वाड्रन की कमान संभाली थी. इस दौरान वो दुश्मन के टैंक, बख्तरबंद वाहनों और पाक सेना की एकाग्रता को नष्ट करने में सफल रहे. इसके चलते 12 सितंबर 1965 को उन्हें वीर चक्र से नवाजा गया.
कलीकुंडा हवाई क्षेत्र में पायलट सुबोध ने दिखाया अपना पराक्रम
वहीं विंग कमांडर सुबोध चन्द ममंगाई ने भी 10 फरवरी 1962 को वायुसेना में कमीशन हासिल की. इसके बाद 1965 युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने कलीकुंडा हवाई क्षेत्र में 6 फाइटर प्लेन से हमला किया. इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए जांबाज सुबोध ने उनको मुंहतोड़ जवाब दिया. उनके इस अद्मय साहस और पराक्रम के चलते उन्हें 7 सितंबर 1965 को वीर चक्र से सम्मानित किया गया.
फ्लाइट लेफ्टिनेंट विनोद ने 1971 में दिखाया पराक्रम
वहीं फ्लाइट लेफ्टिनेंट विनोद कुमार नेब ने 4 दिसंबर 1971 को कुर्मी एयर फील्ड पर हवाई हमला किया. इस दौरान उन्होंने दुश्मन के कई फाइटर जहाजों को नेस्तोनाबूत कर दिया. उनकी इस वीरता के लिए 1972 में उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया.
इन तीनों जवानों की बहादूरी के किस्से लोगों तक पहुंचाने के लिए दून रेलवे स्टेशन पर एक शिलापट्ट लगा है. जिसको देखकर हर देशवासी फक्र महसूस करता है.