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'मणिपुर में क्या हुआ…', सुप्रीम कोर्ट ने ‘अरे-कटिका’ समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल करने की याचिका खारिज की - SUPREME COURT

सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों में अनुसूचित जातियों की लिस्ट में एक समुदाय को शामिल करने की याचिका खारिज कर दी.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (IANS)
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By Sumit Saxena

Published : Feb 21, 2025, 7:41 PM IST

Updated : Feb 21, 2025, 9:30 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश के सभी राज्यों में अनुसूचित जातियों की लिस्ट में एक समुदाय को शामिल करने की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आप जानते हैं कि मणिपुर में क्या हुआ था. मामले की सुनवाई जस्टिस बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने की. पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि ऐसी याचिका कैसे मान्य है?

पीठ ने कहा, "यह मुद्दा सु्प्रीम कोर्ट के कई फैसलों से समाप्त हो चुका है... हम इसमें कोई बदलाव भी नहीं कर सकते. हम इसमें अल्पविराम भी नहीं जोड़ सकते..." यह महसूस करते हुए कि पीठ इस मामले पर विचार करने के लिए उत्सुक नहीं है, याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से आग्रह किया कि उसे याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए और फिर याचिकाकर्ता हाई कोर्ट के समक्ष जाएगा.

'कुछ भी नहीं बदला जा सकता'
इस पर पीठ ने कहा, "हाई कोर्ट के पास भी कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. यह केवल संसद ही कर सकती है. यह पूरी तरह से तय है. कुछ भी नहीं बदला जा सकता..." जस्टिस गवई ने कहा, "आप जानते हैं कि मणिपुर में क्या हुआ...." मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने याचिकाकर्ता अरे-काटिका (खटिक) संघ को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी, जिसे अधिवक्ता सुनील प्रकाश शर्मा के माध्यम से दायर किया गया था.

याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में कहा गया है कि अरे-काटिका (खटिक) समुदाय हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और गुजरात सहित कई राज्यों में अनुसूचित जाति की कैटेगरी में सूचीबद्ध है. याचिका में जोर दिया गया है कि शेष राज्यों में, समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कैटेगरी में सूचीबद्ध किया गया है.

यह भी पढ़ें- अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री की तरह हर मामले में फैसला नहीं ले सकेंगी रेखा गुप्ता, नहीं होंगी ये पांच पावर्स

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश के सभी राज्यों में अनुसूचित जातियों की लिस्ट में एक समुदाय को शामिल करने की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आप जानते हैं कि मणिपुर में क्या हुआ था. मामले की सुनवाई जस्टिस बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने की. पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि ऐसी याचिका कैसे मान्य है?

पीठ ने कहा, "यह मुद्दा सु्प्रीम कोर्ट के कई फैसलों से समाप्त हो चुका है... हम इसमें कोई बदलाव भी नहीं कर सकते. हम इसमें अल्पविराम भी नहीं जोड़ सकते..." यह महसूस करते हुए कि पीठ इस मामले पर विचार करने के लिए उत्सुक नहीं है, याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से आग्रह किया कि उसे याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए और फिर याचिकाकर्ता हाई कोर्ट के समक्ष जाएगा.

'कुछ भी नहीं बदला जा सकता'
इस पर पीठ ने कहा, "हाई कोर्ट के पास भी कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. यह केवल संसद ही कर सकती है. यह पूरी तरह से तय है. कुछ भी नहीं बदला जा सकता..." जस्टिस गवई ने कहा, "आप जानते हैं कि मणिपुर में क्या हुआ...." मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने याचिकाकर्ता अरे-काटिका (खटिक) संघ को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी, जिसे अधिवक्ता सुनील प्रकाश शर्मा के माध्यम से दायर किया गया था.

याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में कहा गया है कि अरे-काटिका (खटिक) समुदाय हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और गुजरात सहित कई राज्यों में अनुसूचित जाति की कैटेगरी में सूचीबद्ध है. याचिका में जोर दिया गया है कि शेष राज्यों में, समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कैटेगरी में सूचीबद्ध किया गया है.

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Last Updated : Feb 21, 2025, 9:30 PM IST
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