देहरादूनः बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा जहां देशभर में बुलंद हो रहा है, वहीं इस मुहिम को धरातल पर साकार करने की दिशा में देहरादून स्थित सवाल सामाजिक संस्था इसे बखूबी निभा रहा है. घरेलू हिंसा जैसे मामलों पर काम करने के बाद सवाल फाउंडेशन की संचालक लक्ष्मी बिष्ट गरीब व निम्न तबके की बेटियों को निःशुल्क उच्च शिक्षा देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की ओर कदम बड़ा रही हैं.
करियर बनाने के लिए महंगी शिक्षा व कोचिंग का खर्चा ना उठा सकने वाली बालिकाएं आज सवाल फाउंडेशन के जरिए अलग-अलग क्षेत्रों का तकनीकी ज्ञान लेकर अपने भविष्य को सुधारने में जुटी हैं. नारी सशक्तिकरण दिशा को आगे बढ़ाते हुए सवाल सामाजिक फाउंडेशन आज उत्तराखंड के आपदाग्रस्त क्षेत्रों सहित मैदानी जिलों से आने वाली लगभग 250 से 300 बालिकाओं को उनके जरूरत के मुताबिक अलग अलग कैरियर से जुड़े एडवांस शिक्षा देने के साथ ही उन्हें जरूरत के मुताबिक किताब व घर से आने-जाने का खर्चा उठा रहा है.
उधर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को साकार करने की दिशा में सवाल फाउंडेशन से जुड़े तकनीकी शिक्षक भी आज इस सामाजिक कार्य में खुद का हाथ बढ़ाते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. निःशुल्क रूप से बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली लक्ष्मी बिष्ट का मानना है कि अगर बेटियां युवावस्था में सही दिशा में चलकर आत्म निर्भर बन जाएं, तो वे आगे जाकर घरेलू हिंसा या अन्य सामाजिक शोषण शिकार होने से बच सकेंगी.
इसी विषय पर मंथन करने के बाद उन्होंने सवाल फाउंडेशन के जरिए गरीब तबके की बालिकाओं को उनके करियर से जुड़ी कोचिंग व शिक्षा निशुल्क देने का बीड़ा उठाया है, जिसे वह आगे भी जारी रखेंगे.
आगे बढ़ने को तैयार उत्तराखंड के पहाड़ से लेकर मैदान तक की बेटियां आज इस सामाजिक संस्था से अपना भविष्य संवार रही हैं. शिक्षा के महत्व को समझते हुए अपने सपनों को साकार करने का संकल्प मन में संजोय हुए कहती हैं कि बेटियां आज आधुनिक समाज का अहम हिस्सा बनकर किसी भी दिशा में आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं.
संस्था के संचालक लक्ष्मी बिष्ट की मानें तो बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की इस मुहिम में आने वाला खर्चा वह अपने संस्था से जुड़े 11 सदस्यों द्वारा निजी तौर पर वहन किया जाता है. फ़िलहाल संस्था किसी सरकारी व ग़ैरसरकारी संस्थानों से कोई धनराशि नहीं लेती हैं.
लक्ष्मी बिष्ट के अनुसार पिछले डेढ़ साल में उनके संस्था से निशुल्क कोचिंग शिक्षा पाकर 15 आए 20 होनहार छात्राएं बैंक, प्राइवेट सेक्टर व टीचिंग क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन अपने पैरों पर खड़े हो चुकी हैं. ऐसे में उनका प्रयास हैं ज्यादा से ज्यादा बेटियां आगे बढ़ समाज मे अपना एक अलग मुकाम बनाएं