देहरादून: देश में वंशवाद की राजनीति की परंपरा से उत्तराखंड भी अछूता नहीं रहा है. आजादी के बाद से ही उत्तराखंड मूल के कई कद्दावर नेता केंद्र और यूपी सरकार में अहम पदों पर रहे. जिसके बाद उनके नाते रिश्तेदार भी उत्तरप्रदेश से लेकर उत्तराखंड की मौजूदा सियासत में सक्रिय हैं और मंत्री, विधायक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं. वंशवाद की राजनीति धीरे-धीरे देवभूमि में भी पैर पसार रही है. यही कारण है कि कांग्रेस और बीजेपी जैसे संगठनों में जमीन से जुड़े नेता मेधा होने के बावजूद भी आगे बढ़ने से वंचित रह जाते हैं. देवभूमि उत्तराखंड में राजनीति के वशंवाद से जुड़े कुछ कनेक्शन से ईटीवी भारत आपको रूबरू करवा रहा है.
देशभर में लोकसभा चुनाव का माहौल चरम पर है और ऐसे में एक बार फिर वंशवाद की राजनीति की चर्चा चारों ओर जोरों से हो रही है. उत्तराखंड में भी वंशवाद की राजनीति का अपना लंबा सियासी इतिहास है. इस कड़ी में सबसे बात करते हैं कांग्रेस नेता ब्रह्मदत्त के पुत्र नवप्रभात की...
प्रीतम सिंह बढ़ा आगे बढ़ा रहे राजनीतिक विरासत
कांग्रेसी नेता ब्रह्मदत्त इंदिरा गांधी के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहे. जिसके बाद उनके पुत्र नवप्रभात यूपी और उत्तराखंड की राजनीति में कई बार विधायक और कांग्रेस सरकार में मंत्री बने. बात अगर जौनसार बाबर पिछड़ा जनजातीय क्षेत्र की करें तो प्रीतम सिंह वर्षों से यहां की जनता की अगुवाई कर रहे हैं. प्रीतम सिंह कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता रहे गुलाब सिंह के बेटे हैं. प्रीतम सिंह यूपी से लेकर उत्तराखंड में कई बड़े पदों पर रह चुके हैं. हाल फिलहाल में प्रीतम सिंह उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव में टिहरी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं. इतना ही नहीं प्रीतम सिंह के भाई वर्तमान में देहरादून के जिला पंचायत केअध्यक्ष हैं.
बहुगुणा परिवार की तीसरी पीढ़ी राजनीति की जोर आजमाइश में लगी
इसी कड़ी में अगला नाम आता है हेमवती नंदन बहुगुणा के पुत्र विजय बहुगुणा का. हेमवती नंदन बहुगुणा इंदिरा गांधी के सबसे करीबी नेताओं में एक माने जाते थे. बहुगुणा इंदिरा सरकार में मंत्री के साथ-साथ यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे. उनके पुत्र विजय बहुगुणा उत्तराखंड में पूर्व में रही कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे. साथ यूपी सियासत में सक्रिय राजनीति में विजय बहुगुणा की बहन रीता बहुगुणा जोशी मौजूदा समय में यूपी में सत्ताधारी बीजेपी पार्टी में कैबिनेट मंत्री हैं. इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कांग्रेस पार्टी से किनारा कर बीजेपी का हाथ थामा. जिसके एवज में उनके छोटे बेटे सौरभ को सितारगंज से बीजेपी का टिकट दिया गया. मौजूदा समय में सौरभ बहुगुणा बीजेपी विधायक हैं. विजय बहुगुणा कांग्रेस में रहते हुए अपने बड़े बेटे साकेत बहुगुणा को टिहरी लोकसभा से एक उपचुनाव सहित दो बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान उतारा चुके हैं. हालांकि दोनों ही चुनाव में साकेत को हार का सामना करना पड़ा था.
पंत ने भी परिवार को बढ़ाया आगे
गोविंद बल्लभ पंत ये नाम चाहे यूपी हो या उत्तराखंड किसी के लिए भी अनजान नहीं है. तेज तर्रार राजनीतिज्ञ गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे. उनके वंशज के रूप में केसी पंत नैनीताल से सांसद रहने के साथ ही केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा केसी पंत की पत्नी इला पंत भी नैनीताल से सांसद रहीं. उत्तरकाशी से ताल्लुक रखने वाले बर्फियांलाल जुवांठा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. जिसके बाद पिता के आशीर्वाद से उनके पुत्र राजेश जुवांठा भी पुरोला विधानसभा से विधायक रह चुके हैं.
हरदा ने भी राजनीति में नहीं किया 'पर्दा'
कांग्रेसी नेता गोविंद सिंह मेहरा के पुत्र करण मेहरा भी उत्तराखंड के पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बता दें कि गोविंद सिंह मेहरा पूर्व सीएम हरीश रावत के ससुर हैं. गोविंद सिंह मेहरा पूर्व की यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. उनके पुत्र करण मेहरा उत्तराखंड में दो बार विधायक के साथ मौजूदा समय में रानीखेत विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हैं. इसके साथ ही जिक्र आता है रेणुका रावत का. रेणुका पूर्व सीएम हरीश रावत की पत्नी हैं. वे साल 2014 में हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि उन्हें बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व सीएम रह चुके रमेश पोखरियाल निशंक ने शिकस्त दी थी.
'मेजर' ने भी परिवार को चुनावी मैदान में खड़ा किया
इस दौर में बात अगर वशंवाद की और भाजपा के मेजर जरनल का जिक्र न हो तो बात अधूरी रह जाती है. इन दिनों गढ़वाल सीट से सांसद और पूर्व सीएम भुवन चंद खंडूड़ी और उनके बेटे मनीष खंडूड़ी की चर्चाएं जोरों पर हैं. भुवन चंद खंडूरी केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं. साथ ही वे दो बार राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. उनके पुत्र मनीष खंडूड़ी ने हाल में ही कांग्रेस ज्वाइन की है. मनीष पौड़ी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं तो वहीं उनकी बहन रितु खंडूरी भी यमकेश्वर विधानसभा से भाजपा की विधायक हैं.
यशपाल आर्य ने भी पुत्र के लिए मांगी 'संजीव'नी
भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा सीट से मौजूदा समय में विधायक हैं. यशपाल आर्य पूर्व में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहने के बाद वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस को छोड़ भाजपा में आए थे. जिसके बाद उन्होंने अपने बेटे संजीव आर्य को भी बीजेपी से टिकट दिलवाया था. वर्तमान में उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा से बीजेपी के विधायक हैं. पूर्व में कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री व मौजूदा समय में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने अपने कार्यकाल के दौरान अपने बेटे सुमित को हल्द्वानी से मेयर का चुनाव लड़वाया. हालांकि इस चुनाव में सुमित को हार का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं इससे पहले इंदिरा हृदयेश के स्वर्गीय पति हृदेश कुमार भी अपनी बहू को हल्द्वानी नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ चुके हैं. उत्तराखंड में पूर्व की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सुरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी भी मौजूदा समय में कोटद्वार मेयर पद पर काबिज हैं तो वहीं मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत भी पौड़ी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं.
प्रदेश में वर्षों से चली आ रही परिवारवाद की राजनीति को लेकर सियासत की जानकारी रखने वाले भी मानते हैं कि वंशवाद की राजनीति से जमीनी स्तर से जुड़े कार्यकर्ताओं को खासा नुकसान पहुंचता हैं. संगठन के लिए खून पसीना बहाने वाले युवा, नेता मेधा होने के बाद भी उन पदों तक नहीं पहुंच पाते जहां नेताओं के नाते रिश्तेदार पहुंच जाते हैं. बहरहाल बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों पार्टियों के राजनेता अपने-अपने नाते रिश्तेदारों को राजनीति में आगे करने में लगे हैं. जिसके कारण दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के सैकड़ों कार्यकर्ता वर्षों से खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.