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देवभूमि की राजनीति पर हावी रहा है वंशवाद, इस चुनाव में भी कई दिग्गजों के बेटे आजमा रहे भाग्य

देशभर में लोकसभा चुनाव का माहौल चरम पर है और ऐसे में एक बार फिर वंशवाद की राजनीति की चर्चा चारों ओर जोरों से हो रही है. उत्तराखंड में भी वंशवाद की राजनीति का अपना लंबा सियासी इतिहास है. इस कड़ी में सबसे बात करते हैं कांग्रेस नेता ब्रह्मदत्त के पुत्र नवप्रभात की...

वंशवाद की राजनीति.
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Published : Mar 28, 2019, 10:49 AM IST

देहरादून: देश में वंशवाद की राजनीति की परंपरा से उत्तराखंड भी अछूता नहीं रहा है. आजादी के बाद से ही उत्तराखंड मूल के कई कद्दावर नेता केंद्र और यूपी सरकार में अहम पदों पर रहे. जिसके बाद उनके नाते रिश्तेदार भी उत्तरप्रदेश से लेकर उत्तराखंड की मौजूदा सियासत में सक्रिय हैं और मंत्री, विधायक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं. वंशवाद की राजनीति धीरे-धीरे देवभूमि में भी पैर पसार रही है. यही कारण है कि कांग्रेस और बीजेपी जैसे संगठनों में जमीन से जुड़े नेता मेधा होने के बावजूद भी आगे बढ़ने से वंचित रह जाते हैं. देवभूमि उत्तराखंड में राजनीति के वशंवाद से जुड़े कुछ कनेक्शन से ईटीवी भारत आपको रूबरू करवा रहा है.


देशभर में लोकसभा चुनाव का माहौल चरम पर है और ऐसे में एक बार फिर वंशवाद की राजनीति की चर्चा चारों ओर जोरों से हो रही है. उत्तराखंड में भी वंशवाद की राजनीति का अपना लंबा सियासी इतिहास है. इस कड़ी में सबसे बात करते हैं कांग्रेस नेता ब्रह्मदत्त के पुत्र नवप्रभात की...

प्रीतम सिंह बढ़ा आगे बढ़ा रहे राजनीतिक विरासत
कांग्रेसी नेता ब्रह्मदत्त इंदिरा गांधी के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहे. जिसके बाद उनके पुत्र नवप्रभात यूपी और उत्तराखंड की राजनीति में कई बार विधायक और कांग्रेस सरकार में मंत्री बने. बात अगर जौनसार बाबर पिछड़ा जनजातीय क्षेत्र की करें तो प्रीतम सिंह वर्षों से यहां की जनता की अगुवाई कर रहे हैं. प्रीतम सिंह कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता रहे गुलाब सिंह के बेटे हैं. प्रीतम सिंह यूपी से लेकर उत्तराखंड में कई बड़े पदों पर रह चुके हैं. हाल फिलहाल में प्रीतम सिंह उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव में टिहरी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं. इतना ही नहीं प्रीतम सिंह के भाई वर्तमान में देहरादून के जिला पंचायत केअध्यक्ष हैं.

बहुगुणा परिवार की तीसरी पीढ़ी राजनीति की जोर आजमाइश में लगी
इसी कड़ी में अगला नाम आता है हेमवती नंदन बहुगुणा के पुत्र विजय बहुगुणा का. हेमवती नंदन बहुगुणा इंदिरा गांधी के सबसे करीबी नेताओं में एक माने जाते थे. बहुगुणा इंदिरा सरकार में मंत्री के साथ-साथ यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे. उनके पुत्र विजय बहुगुणा उत्तराखंड में पूर्व में रही कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे. साथ यूपी सियासत में सक्रिय राजनीति में विजय बहुगुणा की बहन रीता बहुगुणा जोशी मौजूदा समय में यूपी में सत्ताधारी बीजेपी पार्टी में कैबिनेट मंत्री हैं. इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कांग्रेस पार्टी से किनारा कर बीजेपी का हाथ थामा. जिसके एवज में उनके छोटे बेटे सौरभ को सितारगंज से बीजेपी का टिकट दिया गया. मौजूदा समय में सौरभ बहुगुणा बीजेपी विधायक हैं. विजय बहुगुणा कांग्रेस में रहते हुए अपने बड़े बेटे साकेत बहुगुणा को टिहरी लोकसभा से एक उपचुनाव सहित दो बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान उतारा चुके हैं. हालांकि दोनों ही चुनाव में साकेत को हार का सामना करना पड़ा था.

पंत ने भी परिवार को बढ़ाया आगे
गोविंद बल्लभ पंत ये नाम चाहे यूपी हो या उत्तराखंड किसी के लिए भी अनजान नहीं है. तेज तर्रार राजनीतिज्ञ गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे. उनके वंशज के रूप में केसी पंत नैनीताल से सांसद रहने के साथ ही केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा केसी पंत की पत्नी इला पंत भी नैनीताल से सांसद रहीं. उत्तरकाशी से ताल्लुक रखने वाले बर्फियांलाल जुवांठा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. जिसके बाद पिता के आशीर्वाद से उनके पुत्र राजेश जुवांठा भी पुरोला विधानसभा से विधायक रह चुके हैं.


हरदा ने भी राजनीति में नहीं किया 'पर्दा'
कांग्रेसी नेता गोविंद सिंह मेहरा के पुत्र करण मेहरा भी उत्तराखंड के पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बता दें कि गोविंद सिंह मेहरा पूर्व सीएम हरीश रावत के ससुर हैं. गोविंद सिंह मेहरा पूर्व की यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. उनके पुत्र करण मेहरा उत्तराखंड में दो बार विधायक के साथ मौजूदा समय में रानीखेत विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हैं. इसके साथ ही जिक्र आता है रेणुका रावत का. रेणुका पूर्व सीएम हरीश रावत की पत्नी हैं. वे साल 2014 में हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि उन्हें बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व सीएम रह चुके रमेश पोखरियाल निशंक ने शिकस्त दी थी.

'मेजर' ने भी परिवार को चुनावी मैदान में खड़ा किया
इस दौर में बात अगर वशंवाद की और भाजपा के मेजर जरनल का जिक्र न हो तो बात अधूरी रह जाती है. इन दिनों गढ़वाल सीट से सांसद और पूर्व सीएम भुवन चंद खंडूड़ी और उनके बेटे मनीष खंडूड़ी की चर्चाएं जोरों पर हैं. भुवन चंद खंडूरी केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं. साथ ही वे दो बार राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. उनके पुत्र मनीष खंडूड़ी ने हाल में ही कांग्रेस ज्वाइन की है. मनीष पौड़ी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं तो वहीं उनकी बहन रितु खंडूरी भी यमकेश्वर विधानसभा से भाजपा की विधायक हैं.


यशपाल आर्य ने भी पुत्र के लिए मांगी 'संजीव'नी
भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा सीट से मौजूदा समय में विधायक हैं. यशपाल आर्य पूर्व में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहने के बाद वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस को छोड़ भाजपा में आए थे. जिसके बाद उन्होंने अपने बेटे संजीव आर्य को भी बीजेपी से टिकट दिलवाया था. वर्तमान में उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा से बीजेपी के विधायक हैं. पूर्व में कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री व मौजूदा समय में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने अपने कार्यकाल के दौरान अपने बेटे सुमित को हल्द्वानी से मेयर का चुनाव लड़वाया. हालांकि इस चुनाव में सुमित को हार का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं इससे पहले इंदिरा हृदयेश के स्वर्गीय पति हृदेश कुमार भी अपनी बहू को हल्द्वानी नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ चुके हैं. उत्तराखंड में पूर्व की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सुरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी भी मौजूदा समय में कोटद्वार मेयर पद पर काबिज हैं तो वहीं मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत भी पौड़ी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं.


प्रदेश में वर्षों से चली आ रही परिवारवाद की राजनीति को लेकर सियासत की जानकारी रखने वाले भी मानते हैं कि वंशवाद की राजनीति से जमीनी स्तर से जुड़े कार्यकर्ताओं को खासा नुकसान पहुंचता हैं. संगठन के लिए खून पसीना बहाने वाले युवा, नेता मेधा होने के बाद भी उन पदों तक नहीं पहुंच पाते जहां नेताओं के नाते रिश्तेदार पहुंच जाते हैं. बहरहाल बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों पार्टियों के राजनेता अपने-अपने नाते रिश्तेदारों को राजनीति में आगे करने में लगे हैं. जिसके कारण दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के सैकड़ों कार्यकर्ता वर्षों से खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

देहरादून: देश में वंशवाद की राजनीति की परंपरा से उत्तराखंड भी अछूता नहीं रहा है. आजादी के बाद से ही उत्तराखंड मूल के कई कद्दावर नेता केंद्र और यूपी सरकार में अहम पदों पर रहे. जिसके बाद उनके नाते रिश्तेदार भी उत्तरप्रदेश से लेकर उत्तराखंड की मौजूदा सियासत में सक्रिय हैं और मंत्री, विधायक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं. वंशवाद की राजनीति धीरे-धीरे देवभूमि में भी पैर पसार रही है. यही कारण है कि कांग्रेस और बीजेपी जैसे संगठनों में जमीन से जुड़े नेता मेधा होने के बावजूद भी आगे बढ़ने से वंचित रह जाते हैं. देवभूमि उत्तराखंड में राजनीति के वशंवाद से जुड़े कुछ कनेक्शन से ईटीवी भारत आपको रूबरू करवा रहा है.


देशभर में लोकसभा चुनाव का माहौल चरम पर है और ऐसे में एक बार फिर वंशवाद की राजनीति की चर्चा चारों ओर जोरों से हो रही है. उत्तराखंड में भी वंशवाद की राजनीति का अपना लंबा सियासी इतिहास है. इस कड़ी में सबसे बात करते हैं कांग्रेस नेता ब्रह्मदत्त के पुत्र नवप्रभात की...

प्रीतम सिंह बढ़ा आगे बढ़ा रहे राजनीतिक विरासत
कांग्रेसी नेता ब्रह्मदत्त इंदिरा गांधी के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहे. जिसके बाद उनके पुत्र नवप्रभात यूपी और उत्तराखंड की राजनीति में कई बार विधायक और कांग्रेस सरकार में मंत्री बने. बात अगर जौनसार बाबर पिछड़ा जनजातीय क्षेत्र की करें तो प्रीतम सिंह वर्षों से यहां की जनता की अगुवाई कर रहे हैं. प्रीतम सिंह कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता रहे गुलाब सिंह के बेटे हैं. प्रीतम सिंह यूपी से लेकर उत्तराखंड में कई बड़े पदों पर रह चुके हैं. हाल फिलहाल में प्रीतम सिंह उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव में टिहरी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं. इतना ही नहीं प्रीतम सिंह के भाई वर्तमान में देहरादून के जिला पंचायत केअध्यक्ष हैं.

बहुगुणा परिवार की तीसरी पीढ़ी राजनीति की जोर आजमाइश में लगी
इसी कड़ी में अगला नाम आता है हेमवती नंदन बहुगुणा के पुत्र विजय बहुगुणा का. हेमवती नंदन बहुगुणा इंदिरा गांधी के सबसे करीबी नेताओं में एक माने जाते थे. बहुगुणा इंदिरा सरकार में मंत्री के साथ-साथ यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे. उनके पुत्र विजय बहुगुणा उत्तराखंड में पूर्व में रही कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे. साथ यूपी सियासत में सक्रिय राजनीति में विजय बहुगुणा की बहन रीता बहुगुणा जोशी मौजूदा समय में यूपी में सत्ताधारी बीजेपी पार्टी में कैबिनेट मंत्री हैं. इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कांग्रेस पार्टी से किनारा कर बीजेपी का हाथ थामा. जिसके एवज में उनके छोटे बेटे सौरभ को सितारगंज से बीजेपी का टिकट दिया गया. मौजूदा समय में सौरभ बहुगुणा बीजेपी विधायक हैं. विजय बहुगुणा कांग्रेस में रहते हुए अपने बड़े बेटे साकेत बहुगुणा को टिहरी लोकसभा से एक उपचुनाव सहित दो बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान उतारा चुके हैं. हालांकि दोनों ही चुनाव में साकेत को हार का सामना करना पड़ा था.

पंत ने भी परिवार को बढ़ाया आगे
गोविंद बल्लभ पंत ये नाम चाहे यूपी हो या उत्तराखंड किसी के लिए भी अनजान नहीं है. तेज तर्रार राजनीतिज्ञ गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे. उनके वंशज के रूप में केसी पंत नैनीताल से सांसद रहने के साथ ही केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा केसी पंत की पत्नी इला पंत भी नैनीताल से सांसद रहीं. उत्तरकाशी से ताल्लुक रखने वाले बर्फियांलाल जुवांठा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. जिसके बाद पिता के आशीर्वाद से उनके पुत्र राजेश जुवांठा भी पुरोला विधानसभा से विधायक रह चुके हैं.


हरदा ने भी राजनीति में नहीं किया 'पर्दा'
कांग्रेसी नेता गोविंद सिंह मेहरा के पुत्र करण मेहरा भी उत्तराखंड के पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बता दें कि गोविंद सिंह मेहरा पूर्व सीएम हरीश रावत के ससुर हैं. गोविंद सिंह मेहरा पूर्व की यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. उनके पुत्र करण मेहरा उत्तराखंड में दो बार विधायक के साथ मौजूदा समय में रानीखेत विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हैं. इसके साथ ही जिक्र आता है रेणुका रावत का. रेणुका पूर्व सीएम हरीश रावत की पत्नी हैं. वे साल 2014 में हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि उन्हें बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व सीएम रह चुके रमेश पोखरियाल निशंक ने शिकस्त दी थी.

'मेजर' ने भी परिवार को चुनावी मैदान में खड़ा किया
इस दौर में बात अगर वशंवाद की और भाजपा के मेजर जरनल का जिक्र न हो तो बात अधूरी रह जाती है. इन दिनों गढ़वाल सीट से सांसद और पूर्व सीएम भुवन चंद खंडूड़ी और उनके बेटे मनीष खंडूड़ी की चर्चाएं जोरों पर हैं. भुवन चंद खंडूरी केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं. साथ ही वे दो बार राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. उनके पुत्र मनीष खंडूड़ी ने हाल में ही कांग्रेस ज्वाइन की है. मनीष पौड़ी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं तो वहीं उनकी बहन रितु खंडूरी भी यमकेश्वर विधानसभा से भाजपा की विधायक हैं.


यशपाल आर्य ने भी पुत्र के लिए मांगी 'संजीव'नी
भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा सीट से मौजूदा समय में विधायक हैं. यशपाल आर्य पूर्व में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहने के बाद वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस को छोड़ भाजपा में आए थे. जिसके बाद उन्होंने अपने बेटे संजीव आर्य को भी बीजेपी से टिकट दिलवाया था. वर्तमान में उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा से बीजेपी के विधायक हैं. पूर्व में कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री व मौजूदा समय में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने अपने कार्यकाल के दौरान अपने बेटे सुमित को हल्द्वानी से मेयर का चुनाव लड़वाया. हालांकि इस चुनाव में सुमित को हार का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं इससे पहले इंदिरा हृदयेश के स्वर्गीय पति हृदेश कुमार भी अपनी बहू को हल्द्वानी नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ चुके हैं. उत्तराखंड में पूर्व की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सुरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी भी मौजूदा समय में कोटद्वार मेयर पद पर काबिज हैं तो वहीं मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत भी पौड़ी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं.


प्रदेश में वर्षों से चली आ रही परिवारवाद की राजनीति को लेकर सियासत की जानकारी रखने वाले भी मानते हैं कि वंशवाद की राजनीति से जमीनी स्तर से जुड़े कार्यकर्ताओं को खासा नुकसान पहुंचता हैं. संगठन के लिए खून पसीना बहाने वाले युवा, नेता मेधा होने के बाद भी उन पदों तक नहीं पहुंच पाते जहां नेताओं के नाते रिश्तेदार पहुंच जाते हैं. बहरहाल बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों पार्टियों के राजनेता अपने-अपने नाते रिश्तेदारों को राजनीति में आगे करने में लगे हैं. जिसके कारण दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के सैकड़ों कार्यकर्ता वर्षों से खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

Intro:Pls note desk -इस स्टोरी में भेजी गई PTC अपडेट करने का कष्ट करें। देहरादून-देश मे वंशवाद की राजनीति परंपरा से उत्तराखंड भी अछूता नहीं है। देश की आजादी के बाद उत्तराखंड मूल के कई कद्दावर नेता केंद्र व यूपी सरकार में मुख्यमंत्री सहित कैबिनेट मंत्री रहे, जिसके बाद उनके वंशज भी उत्तरप्रदेश के बाद से उत्तराखंड की मौजूदा सियासत में सक्रिय होने के साथ मंत्री व विधायक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान रहे। वंशवाद की राजनीति उत्तराखंड में भी हावी होने के चलते हैं कांग्रेस व बीजेपी पार्टी संगठनों में वर्षों से दरी बिछाने से लेकर जमीनी स्तर पर राजनीति पकड़ रखने के साथ ही सियासत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दर्जनों पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता आगे बढ़ने से वंचित रहे हैं। देश में मौजूदा वक्त लोकसभा चुनाव का माहौल चरम पर है और ऐसे में एक बार फिर वंशवाद राजनीति की चर्चा चारों तरफ जोरों पर हो रही है हालांकि यह चर्चा चुनावी मौसम के दौरान ही होती हैं। लिहाजा देश सहित वंशवाद की राजनीति का उत्तराखंड में कनेक्शन किस तरह से सामने दिखता है चलिए हम आपको बताते हैं.


Body:एक नजर डालते हैं उत्तराखंड की वंशवाद राजनीतिक सफर पर कांग्रेस नेता ब्रह्मदत्त के पुत्र नवप्रभात देश में पूर्व में रही कांग्रेस सरकार की पूर्व स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कार्यकाल के दौरान रहे केंद्रीय मंत्री रहे स्वर्गीय ब्रह्मदत्त के पुत्र नवप्रभात यूपी यूपी के बाद उत्तराखंड राजनीति में कई बार विधायक और कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं। गुलाब सिंह के पुत्र प्रीतम सिंह उधर देहरादून के पर्वतीय क्षेत्रों जौनसार बाबर पिछड़ा जनजातीय क्षेत्र से वर्षों से केंद्र व राज्य की कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता व मंत्री रहे स्वर्गीय गुलाब सिंह के बेटे प्रीतम सिंह उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड में कांग्रेस के लगातार विधायक चुनने के साथ ही पूर्व मैं राही प्रदेश कांग्रेस सरकार में केबिनेट मंत्री रह चुके हैं हाल फिलहाल में उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव में टिहरी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुना मैदान पर है। इतना ही नहीं प्रीतम सिंह के भाई वर्तमान में जिला पंचायत देहरादून के अध्यक्ष हैं। हेमवती नंदन बहुगुणा पुत्र विजय बहुगुणा देश में पूर्व में रही कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के कार्यकाल में उनके सबसे नजदीक माने जाने वाले कांग्रेस नेता स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा यूपी में मुख्यमंत्री रहे। हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे विजय बहुगुणा उत्तराखंड में पूर्व में रही कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे। साथ इससे पहले से यूपी सियासत में सक्रिय राजनीति में विजय बहुगुणा की बहन रीता बहुगुणा जोशी मौजूदा समय में यूपी में सत्ताधारी बीजेपी पार्टी में कैबिनेट मंत्री है। इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कांग्रेस पार्टी से किनारा कर बीजेपी का हाथ थामने के बाद उनके छोटे बेटे सौरभ को उत्तराखंड के सितारगंज से बीजेपी का टिकट दिलवाया, मौजूदा समय में सौरभ बहुगुणा बीजेपी विधायक हैं। हालांकि से पहले कांग्रेस में रहते हुए विजय बहुगुणा ने अपने बड़े बेटे साकेत बहुगुणा को टिहरी लोकसभा से एक उपचुनाव सहित दो बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान उतारा था। हालांकि दोनों ही चुनाव में साकेत को हार का सामना करना पड़ा। गोविंद बल्लभ पंत पुत्र केसी पंत उत्तराखंड अल्मोड़ा मूल के स्वर्गीय गोविंद बल्लभ पंत अपनी सक्रिय राजनीति के दौरान देश आजाद होने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ऐसे में उनके वंशज के रूप में केसी पंत नैनीताल से सांसद रहने के साथ ही केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा केसी पंत की पत्नी इला पंत भी नैनीताल से सांसद रह चुकी है। बर्फीयालाल जुवांठा के पुत्र राजेश जुवांठा उत्तराखंड के उत्तरकाशी से ताल्लुक रखने वाले बर्फियांलाल जुवांठा पूर्व में उत्तरप्रदेश में रही समाजवादी पार्टी सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं , ऐसे उनके बेटे राजेश जुवांठा उत्तराखंड पुरोला विधानसभा से पूर्व विधायक चुके हैं। गोविंद सिंह मेहरा के पुत्र करण मेहरा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ससुर गोविंद सिंह मेहरा पूर्व में रही यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं, साथ उनके बाद उनके बेटे करण मेहरा उत्तराखंड में दो बार विधायक के साथ में मौजूदा समय में रानीखेत विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हैं। हरीश रावत की पत्नी रेणुका देवी रावत उत्तराखंड कांग्रेसी नेता हरीश रावत पूर्व में रही केंद्र की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहने के साथ-साथ वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे। ऐसे वर्ष 2014 में हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप हरीश रावत की पत्नी रेणुका देवी रावत ने चुनाव लड़ा था हालांकि उस वक्त हो बीजेपी के कद्दावर नेता व पूर्व उत्तराखंड मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से भारी मतों से हार गई थी। भुवन चंद खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी व बेटा मनीष खंडूरी उत्तराखंड के पौड़ी जनपद से ताल्लुक रखने वाले सेनानिवृत मेजर जनरल भुवनचंद्र खंडूरी पूर्व में रही केंद्र की भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहने के साथ-साथ उत्तराखंड के दो बार मुख्यमंत्री भी रहे, मौजूदा समय में वह पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद होने के साथ उनकी बेटी रितु खंडूरी भी यमकेश्वर विधानसभा से भाजपा की विधायक हैं। इतना ही नहीं दूसरी तरफ भुवन चंद खंडूरी के पुत्र मनीष जो हाल-फिलहाल ही कांग्रेस पार्टी से जुड़े। अब मनीष पौड़ी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतर कर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। यशपाल आर्य के पुत्र संजीव आर्य उत्तराखंड में मौजूदा भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा सीट से मौजूदा समय में विधायक हैं। यशपाल आर्य पूर्व में उत्तराखंड कांग्रेस सरकार में मंत्री रहने के बाद वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी को छोड़ भाजपा में आए और उसके बाद उन्होंने अपने साथ ही बेटे संजीव आर्य को भी बीजेपी से टिकट दिलवाया । वर्तमान में उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा से बीजेपी के विधायक है। इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हृदयेश उत्तराखंड में पूर्व में रही कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री व मौजूदा समय में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने अपने कार्यकाल के दौरान अपने बेटे सुमित हृदेश को हल्द्वानी से मेयर का चुनाव लड़वाया, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं इससे पहले इंदिरा हृदयेश के स्वर्गीय पति हृदेश कुमार बहु पूर्व में हल्द्वानी नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ चुके हैं। उत्तराखंड में पूर्व में रहे कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी मौजूदा समय में कोटद्वार मेयर पद पर काबिज है। उत्तराखंड में मौजूदा समय में भाजपा सरकार ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत वर्तमान समय में पौड़ी जिला पंचायत अध्यक्ष है।


Conclusion: उत्तराखंड में वर्षों से चली आ रही परिवारवाद बढ़ावा राजनीति को लेकर सियासत की जानकारी रखने वाले भी मानते हैं कि वंशवाद की राजनीति से उत्तराखंड में पार्टी संगठनों में 30 से 40 वर्षों से दरी बिछाने से लेकर जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत कर राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों पर वंशवाद की राजनीति हावी पड़ी है ,और काबिलियत रखने के बावजूद पार्टी -संगठनों के दर्जनों वरिष्ठ कार्यकर्ता आगे बढ़ने से पिछड़ते आए हैं। बाइक -भागीरथी शर्मा, राजनीतिक जानकार बाइट- प्रदीप कुकरेती, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी बहरहाल बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों पार्टियों के राजनेताओं द्वारा अपने परिवारवाद के लोगों को सक्रिय राजनीति में बदस्तूर आगे बढ़ाने के चलते, दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के सैकड़ों कार्यकर्ता वर्षों से खुद को ठगा महसूस करते आए हैं। अपडेट- PTC
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