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राजभवन में बिखरी बसंत की बहार, फूलों की 103 प्रजातियां देख खिल उठा मन - उत्तराखंड न्यूज

हर साल की तरह इस बार भी राजभवन परिसर में बसंत उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. राज्यपाल ने कहा कि फूलों का मनुष्य के जीवन में अलग ही महत्व है. बात चाहें किसी भी शुभ कार्य की हो या फिर मनुष्य के जीवन की अंतिम यात्रा की, हर मौके पर फूलों की जरूरत होती है.

बसंत की बहार
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Published : Mar 8, 2019, 7:15 PM IST

देहरादूनः राजभवन में बसंत उत्सव का शुक्रवार से आगाज हो गया. फूलों के इस पारंपरिक उत्सव में लगभग 103 प्रजातियों की प्रदर्शनी यहां देखने को मिलेंगी. इस अवसर पर प्रदेशवासियों के लिए कल से यानी शनिवार और रविवार के दिन राजभवन के द्वार खुले रहेंगे. हर साल की तरह इस बार भी राजभवन परिसर में बसंत उत्सव का आयोजन किया जा रहा है.

हर साल की तरह इस बार भी राजभवन परिसर में बसंत उत्सव का आयोजन किया जा रहा है.

इस मौके पर प्रदेश के स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी, वहीं बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता सहित विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाएगा. शुक्रवार से शुरू होने जा रहे दो दिवसीय बसंत उत्सव को लेकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने बताया कि बसंतोत्सव के माध्यम से हर साल सूबे के काश्तकारों के जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने का प्रयास किया जाता है.

वहीं, मनुष्य के जीवन में फूलों के महत्व को समझाते हुए राज्यपाल ने कहा कि फूलों का मनुष्य के जीवन में अलग ही महत्व है. बात चाहें किसी भी शुभ कार्य की हो या फिर मनुष्य के जीवन की अंतिम यात्रा की, हर मौके पर फूलों की जरूरत होती है.

गौरतलब है कि राजभवन में बसंत उत्सव की परंपरा साल 2003 में शुरू हुई थी. पुष्प प्रदर्शनी के रूप में शुरू हुआ यह आयोजन आज एक सांस्कृतिक व आर्थिक महोत्सव का रूप ले चुका है. बसंत उत्सव केवल फूलों की प्रदर्शनी मात्र नहीं रह गई है, बल्कि सूबे में फ्लोरीकल्चर की संभावना का एक दर्पण भी है.

देहरादूनः राजभवन में बसंत उत्सव का शुक्रवार से आगाज हो गया. फूलों के इस पारंपरिक उत्सव में लगभग 103 प्रजातियों की प्रदर्शनी यहां देखने को मिलेंगी. इस अवसर पर प्रदेशवासियों के लिए कल से यानी शनिवार और रविवार के दिन राजभवन के द्वार खुले रहेंगे. हर साल की तरह इस बार भी राजभवन परिसर में बसंत उत्सव का आयोजन किया जा रहा है.

हर साल की तरह इस बार भी राजभवन परिसर में बसंत उत्सव का आयोजन किया जा रहा है.

इस मौके पर प्रदेश के स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी, वहीं बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता सहित विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाएगा. शुक्रवार से शुरू होने जा रहे दो दिवसीय बसंत उत्सव को लेकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने बताया कि बसंतोत्सव के माध्यम से हर साल सूबे के काश्तकारों के जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने का प्रयास किया जाता है.

वहीं, मनुष्य के जीवन में फूलों के महत्व को समझाते हुए राज्यपाल ने कहा कि फूलों का मनुष्य के जीवन में अलग ही महत्व है. बात चाहें किसी भी शुभ कार्य की हो या फिर मनुष्य के जीवन की अंतिम यात्रा की, हर मौके पर फूलों की जरूरत होती है.

गौरतलब है कि राजभवन में बसंत उत्सव की परंपरा साल 2003 में शुरू हुई थी. पुष्प प्रदर्शनी के रूप में शुरू हुआ यह आयोजन आज एक सांस्कृतिक व आर्थिक महोत्सव का रूप ले चुका है. बसंत उत्सव केवल फूलों की प्रदर्शनी मात्र नहीं रह गई है, बल्कि सूबे में फ्लोरीकल्चर की संभावना का एक दर्पण भी है.

Intro:देहरादून- प्रदेश वासियों के लिए कल से यानी शनिवार और रविवार के दिन राजभवन के द्वार खुले रहेंगे। दरअसल हर साल की तरह इस बार भी राजभवन परिसर में बसंत उत्सव का आयोजन किया जा रहा है । इस दौरान फूलों की लगभग 103 प्रजातियों की प्रदर्शनी यहां लगाई जाएगी। साथ ही साथ इस मौके पर प्रदेश के स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। वहीं बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता समेत विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाएगा।




Body:शुक्रवार यानी कल से शुरू होने जा रहे दो दिवसीय बसंत उत्सव को लेकर संबंध मीडिया से मुखातिब होते हुए राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने जानकारी देते हुए बताया कि बसंतोत्सव के माध्यम से हर साल सूबे के काश्तकारों के जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने का प्रयास किया जाता है। वहीं मनुष्य के जीवन मे फूलों के महत्व को समझाते हुए राज्यपाल का कहना था कि फूलों का किसी भी मनुष्य के जीवन में अलग ही महत्व है। बात चाहे किसी भी शुभ कार्य की हो या फिर मनुष्य के जीवन की अंतिम यात्रा की हर मौके पर फूलों की जरूरत होती है।

बाइट- बेबी रानी मौर्य महामहिम राज्यपाल उत्तराखंड


Conclusion:गौरतलब है कि राजभवन में बसंत उत्सव की परंपरा साल 2003 में शुरू हुई थी। पुष्प प्रदर्शनी के रूप में शुरू हुआ यह आयोजन आज एक सांस्कृतिक व आर्थिक महोत्सव का रूप ले चुका है। बसंत उत्सव केबल फूलों की प्रदर्शनी मात्र नहीं रह गई है बल्कि सूबे में फ्लोरीकल्चर की संभावना का एक दर्पण भी है।
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