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देहरादून में मौजूद हैं 4 सिद्ध पीठ, प्राचीन लक्ष्मण सिद्ध मंदिर में हर मन्नत होती है पूरी - देहरादून लक्ष्मण सिद्ध मंदिर

विश्व के 84 सिद्ध पीठों में से चार सिद्ध पीठ उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी मौजूद है. जिसमें लक्ष्मण सिद्ध, कालू सिद्ध, मानक सिद्ध और मांडू सिद्ध मंदिर शामिल है.

लक्ष्मण सिद्ध मंदिर
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Published : Mar 11, 2019, 5:41 AM IST

Updated : Mar 11, 2019, 11:44 AM IST

देहरादून: देवभूमि में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जहां आकर लोगों के मन के शांति मिलती है. विश्व के 84 सिद्ध पीठों में से चार सिद्ध पीठ उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी मौजूद हैं, जिसमें लक्ष्मण सिद्ध, कालू सिद्ध, मानक सिद्ध और मांडू सिद्ध मंदिर शामिल है. वहीं लक्ष्मण सिद्ध मंदिर का अपना अलग ही इतिहास है और ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें जरूर पूरी होती है.

लक्ष्मण सिद्ध मंदिर.

देहरादून से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्मण सिद्ध मंदिर हरे भरे जंगलों के बीच बसा है. ये मंदिर अपने धार्मिक महत्व के लिए तो जाना ही जाता है. साथ ही हरे भरे जंगलों के बीच बसे होने के चलते यहां आने वाले हर श्रद्धालुओं को अलगही शांति का एहसास होता है. लक्ष्मण सिद्ध मंदिर की खास बात ये है कि यहां आज भी मंदिर में भेंट के रूप में गुड़, घी, दही और चना ही चढ़ाया जाता है. पौराणिक काल में मिठाई की जगह ज्यादातर गुड़ का इस्तेमाल होता था. इसलिए इस मंदिर में प्राचीन काल से लेकर अब तक गुड़ का प्रसाद ही चढ़ाया जाता है.

पढ़ें:राहुल गांधी के देहरादून दौरे को लेकर पौड़ी के कार्यकर्ताओं में उत्साह

वहीं मंदिर का इतिहास बताते हुए मंदिर के पुरोहित ने बताया कि त्रेता युग में भगवान श्री राम और लक्ष्मण ने रावण का वध करने के बाद ब्रहमहत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए इसी स्थान पर तपस्या की थी. यही कारण है कि इस स्थान को लक्ष्मण सिद्ध मंदिर का नाम दिया गया है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते है और सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नतें यहां जरूर पूरी होती है. साथ ही उन्होंने बताया कि मनोकामना पूरी होने के बाद हर श्रद्धालु प्रत्येक रविवार मंदिर में भंडारे का आयोजन करता है.

देहरादून: देवभूमि में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जहां आकर लोगों के मन के शांति मिलती है. विश्व के 84 सिद्ध पीठों में से चार सिद्ध पीठ उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी मौजूद हैं, जिसमें लक्ष्मण सिद्ध, कालू सिद्ध, मानक सिद्ध और मांडू सिद्ध मंदिर शामिल है. वहीं लक्ष्मण सिद्ध मंदिर का अपना अलग ही इतिहास है और ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें जरूर पूरी होती है.

लक्ष्मण सिद्ध मंदिर.

देहरादून से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्मण सिद्ध मंदिर हरे भरे जंगलों के बीच बसा है. ये मंदिर अपने धार्मिक महत्व के लिए तो जाना ही जाता है. साथ ही हरे भरे जंगलों के बीच बसे होने के चलते यहां आने वाले हर श्रद्धालुओं को अलगही शांति का एहसास होता है. लक्ष्मण सिद्ध मंदिर की खास बात ये है कि यहां आज भी मंदिर में भेंट के रूप में गुड़, घी, दही और चना ही चढ़ाया जाता है. पौराणिक काल में मिठाई की जगह ज्यादातर गुड़ का इस्तेमाल होता था. इसलिए इस मंदिर में प्राचीन काल से लेकर अब तक गुड़ का प्रसाद ही चढ़ाया जाता है.

पढ़ें:राहुल गांधी के देहरादून दौरे को लेकर पौड़ी के कार्यकर्ताओं में उत्साह

वहीं मंदिर का इतिहास बताते हुए मंदिर के पुरोहित ने बताया कि त्रेता युग में भगवान श्री राम और लक्ष्मण ने रावण का वध करने के बाद ब्रहमहत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए इसी स्थान पर तपस्या की थी. यही कारण है कि इस स्थान को लक्ष्मण सिद्ध मंदिर का नाम दिया गया है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते है और सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नतें यहां जरूर पूरी होती है. साथ ही उन्होंने बताया कि मनोकामना पूरी होने के बाद हर श्रद्धालु प्रत्येक रविवार मंदिर में भंडारे का आयोजन करता है.

Intro:देहरादून- प्रदेश की राजधानी देहरादून आस्था के लिहाज से भी बेहद ही खास है । यहां विश्व के 84 सिद्ध पीठों में से चार सिद्ध पीठ मौजूद है। जिसमें लक्ष्मण सिद्ध ,कालू सिद्ध, मानक सिद्ध और मांडू सहित मंदिर शामिल है। इन चारों सिद्ध पीठों की बात करें तो इन चारों ही सिद्धपीठों का अपना अलग ही इतिहास है और ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई भक्तो की हर मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती है ।

बात करें देहरादून से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्मण सिद्ध मंदिर की तो हरे भरे जंगलों के बीच बसा ये मंदिर अपने धार्मिक महत्व के लिए तो जाना ही जाता है ।साथ ही हरे भरे जंगलों के बीच होने के चलते यहां आने वाले हर श्रद्धालुओ को एक अलग ही मन की शांति का एहसास जरूर होता है ।


Body:वहीं प्राचीन लक्ष्मण सिद्ध मंदिर के इतिहास की बात करें तो त्रेता युग में भगवान श्री राम और लक्ष्मण ने रावण का वध करने के पश्चात ब्रहमहत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए इसी स्थान पर आकर तपस्या की थी । यही कारण है कि इस स्थान को लक्ष्मण सिद्ध मंदिर का नाम दिया गया है। मंदिर का इतिहास बताते हुए मंदिर के पुरोहित बताते हैं इस मंदिर से सालों से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है । दूर दूर से यहां पहुचने वाले हर श्रद्धालु की सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना यहां जरूर पूर्ण होती है । यही कारण है कि अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर हर श्रद्धालु प्रत्येक रविवार को मंदिर में भंडारे का आयोजन करता है।

बाइट- पुरोहित लक्ष्मण सिद्ध मंदिर देहरादून

बाइट- श्रद्धालु

Opening and Closing PTC Attached




Conclusion:वहीं राजधानी देहरादून स्थित प्रसिद्ध लक्ष्मण सिद्ध मंदिर की एक ओर विशेषता है । बता दें कि यहां आज भी मंदिर में भेंट के रूप में गुड़ , घी, दही और चना ही चढ़ाया जाता है । क्योंकि पौराणिक काल में मिठाई की जगह ज्यादातर गुड़ का ही इस्तेमाल होता था इसलिए इस मंदिर में प्राचीन काल से लेकर अब तक गुड का प्रसाद ही चढ़ाया जाता है। वर्तमान में भी गुड़ का प्रसाद ही आशीर्वाद के रूप में यहां भक्तों को दिया जाता है
Last Updated : Mar 11, 2019, 11:44 AM IST
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