देहरादूनः शहर में यातायात नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ रहीं हैं. खास तौर पर दोपहिया वाहन चालक जिनके लिए हेलमेट अनिवार्य किया गया है, फिलहाल उसका कोई अता-पता नहीं है. बता दें कि देश के अन्य राज्यों की तर्ज पर बीते वर्ष उच्च न्यायालय नैनीताल ने प्रदेश में भी दोपहिया वाहन चालक और पिछली सवारी के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया गया था.
राजधानी देहरादून में दोपहिया वाहन चलाते समय दोनों सवारियों के हेलमेट पहनने को लेकर कई जागरूकता अभियान भी चलाए गये. इसके अलावा यातायात नियमों का पालन न करने वाले दोपहिया वाहन चालकों के चालान भी किये गए. ऐसे में पुलिस के इस अभियान का खौफ कुछ महीनों तक ही राजधानी में आया.
लेकिन जैसे-जैसे पुलिस चेकिंग अभियान की रफ्तार धीमी पड़ी, वैसे-वैसे ही दो पहिया पर पीछे बैठने वालों ने हेलमेट पहनना बन्द कर दिया.
आलम ये है कि अब राजधानी में दोपहिया वाहनों में महज 2 प्रतिशत लोग ही पिछली सीट में हेलमेट पहने हुए आपको नजर आ रहे हैं. इस संबंध में जब देहरादून के एसपी ट्रैफिक प्रकाश चंद्र आर्य से बात की तो वो खुद इस बात को स्वीकारते नजर आये कि इन दिनों यातयात पुलिस की ओर से चलाए जाने वाले चेकिंग अभियान में कुछ कमी जरूर आई है.
उन्होंने कहा कि यातायात पुलिस लगातार ट्रैफिक नियमों का पालन न करने वाले वाहन चालकों का चालान कर रही है, लेकिन शहर में जाम की समस्या भी आम है. ऐसे में कई बार सीपीयू को ट्रैफिक कंट्रोल करने के काम में भी लगना पड़ता है. जिसके चलते चालान कार्रवाई कुछ कम हुई है.
बहरहाल, जब कभी भी कोई नया नियम लागू होता है.
उस नए नियम के अनुपालन पर कड़ी नजर तो जरूर रखी जाती है, लेकिन यहां सवाल यह है कि आखिर कुछ महीने बीत जाने के बाद ही जिम्मेदार महकमा अपनी जिम्मेदारी को क्यों भूलने लगता है.
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इसमें कोई शक नहीं कि दोपहिया वाहन चलाते समय दोनों सवारियां हेलमेट पहने यह सुनिश्चित करना खुद वाहन चालक की भी जिम्मेदारी है. लेकिन इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि लोगों को यातयात नियमों का पालन करवना महकमे की ही जिम्मेदारी है.