देहरादून: उत्तराखंड सरकार के अधीन आने वाले गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटलों को आखिरकार पीपीपी मोड पर देने का फैसला ले लिया गया है. बुधवार को देहरादून स्थित जीएमवीएन मुख्यालय में नई कार्यकारिणी बोर्ड की पहली सयुक्त निदेशक मंडल बैठक में 23 बिंदुओं पर चर्चा की गई. जिसमें जीएमवीएन के सबसे अधिक घाटे में चलने वाले 7 होटलों को उबारने के लिए पीपीपी मोड पर देने सहित अन्य कई महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय लिया गया. हालांकि आने वाले दिनों में वित्तीय घाटे से गुजरने वाले अन्य होटलों और अतिथि गृहों को भी निजी कंपनी के हाथों में दिया जा सकता है.
शुरुआती तौर पर सबसे अधिक घाटे वाले 7 होटलों को पीपीपी मोड देने का फैसला
गढ़वाल मंडल के अंतर्गत जीएमजीएम के अधीन आने वाले 92 होटल व गेस्ट हाउस हैं. लंबे समय से जीएमवीएन की लचर कार्यशैली के चलते वर्षो से गढ़वाल मंडल के ज्यादातर होटल व गेस्ट हाउस घाटे में चल रहे हैं. लगातार हो रहे राजस्व घाटे पर विराम लगाने के के लिए जीएमवीएन के वर्तमान अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ की अध्यक्षता में बुधवार को मंडल बैठक की गई. जिसमें 7 सबसे ज्यादा घाटे वाले होटलों को निजी कंपनियों को देने का फैसला किया गया.
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वहीं इस संबंध में वर्तमान गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि लंबे समय से घाटे में चल रहे गेस्ट हाउस और होटलों को चिन्हित कर पीपीपी मोड पर देने का फैसला लिया जा चुका है. उन्होंने बताया कि अन्य होटल व अतिथि गृहों को वित्तीय घाटे से उबारने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं इसके लिए बोर्ड लगातार चिंतन मनन कर रहा है.
घाटे से उबरने के लिए होटलों को पीपीपी मोड पर देना मजबूरी
लंबे समय से गढ़वाल मंडल विकास निगम वर्षों से घाटे में चल रहा था. जिसके कारण होटल और गेस्ट हाउसों को निजी कंपनी के हाथों में देने की कवायद चल रही थी. जो कि आखिरकार पूरी हो गई है. जीएमवीएन की लचर कार्यशैली के चलते ये व्यवसायिक भवन घाटे के दौर से गुजर रहे थे. जिसके कारण यहां काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन का भुगतान भी नहीं किया गया है. जीएमवीएम अध्यक्ष ने माना कि वर्तमान में गढ़वाल मंडल विकास निगम में 900 कर्मचारी कार्यरत हैं. जो कि रिटायरमेंट के कगार पर हैं. ऐसे में वित्तीय घाटे के चलते उनको सभी तरह के भुगतान दे पाना संभव नहीं हैं.
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उन्होंने कहा कि लगातार घाटे से उबरने के लिए व्यवसायिक भवनों को निजी हाथों में देना मजबूरी हो गई है. जीएमवीएन अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ ने माना कि व्यवसायिक भवनों को पीपीपी मोड पर देने से जहां एक तरफ राजस्व से उबरा जा सकेगा. वहीं इससे स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.