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त्रिवेंद्र सरकार में गढ़वाल मंडल हुआ पराया, प्राइवेट कंपनियां चलाएंगी GMVN के होटल

अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि लंबे समय से घाटे में चल रहे  गेस्ट हाउस और होटलों को चिन्हित कर पीपीपी मोड पर देने का फैसला लिया जा चुका है.

प्राइवेट कंपनियों के हाथों में जीएमवीएन
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Published : Jul 3, 2019, 10:15 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार के अधीन आने वाले गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटलों को आखिरकार पीपीपी मोड पर देने का फैसला ले लिया गया है. बुधवार को देहरादून स्थित जीएमवीएन मुख्यालय में नई कार्यकारिणी बोर्ड की पहली सयुक्त निदेशक मंडल बैठक में 23 बिंदुओं पर चर्चा की गई. जिसमें जीएमवीएन के सबसे अधिक घाटे में चलने वाले 7 होटलों को उबारने के लिए पीपीपी मोड पर देने सहित अन्य कई महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय लिया गया. हालांकि आने वाले दिनों में वित्तीय घाटे से गुजरने वाले अन्य होटलों और अतिथि गृहों को भी निजी कंपनी के हाथों में दिया जा सकता है.

प्राइवेट कंपनियों के हाथों में जीएमवीएन

शुरुआती तौर पर सबसे अधिक घाटे वाले 7 होटलों को पीपीपी मोड देने का फैसला

गढ़वाल मंडल के अंतर्गत जीएमजीएम के अधीन आने वाले 92 होटल व गेस्ट हाउस हैं. लंबे समय से जीएमवीएन की लचर कार्यशैली के चलते वर्षो से गढ़वाल मंडल के ज्यादातर होटल व गेस्ट हाउस घाटे में चल रहे हैं. लगातार हो रहे राजस्व घाटे पर विराम लगाने के के लिए जीएमवीएन के वर्तमान अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ की अध्यक्षता में बुधवार को मंडल बैठक की गई. जिसमें 7 सबसे ज्यादा घाटे वाले होटलों को निजी कंपनियों को देने का फैसला किया गया.

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वहीं इस संबंध में वर्तमान गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि लंबे समय से घाटे में चल रहे गेस्ट हाउस और होटलों को चिन्हित कर पीपीपी मोड पर देने का फैसला लिया जा चुका है. उन्होंने बताया कि अन्य होटल व अतिथि गृहों को वित्तीय घाटे से उबारने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं इसके लिए बोर्ड लगातार चिंतन मनन कर रहा है.

घाटे से उबरने के लिए होटलों को पीपीपी मोड पर देना मजबूरी

लंबे समय से गढ़वाल मंडल विकास निगम वर्षों से घाटे में चल रहा था. जिसके कारण होटल और गेस्ट हाउसों को निजी कंपनी के हाथों में देने की कवायद चल रही थी. जो कि आखिरकार पूरी हो गई है. जीएमवीएन की लचर कार्यशैली के चलते ये व्यवसायिक भवन घाटे के दौर से गुजर रहे थे. जिसके कारण यहां काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन का भुगतान भी नहीं किया गया है. जीएमवीएम अध्यक्ष ने माना कि वर्तमान में गढ़वाल मंडल विकास निगम में 900 कर्मचारी कार्यरत हैं. जो कि रिटायरमेंट के कगार पर हैं. ऐसे में वित्तीय घाटे के चलते उनको सभी तरह के भुगतान दे पाना संभव नहीं हैं.

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उन्होंने कहा कि लगातार घाटे से उबरने के लिए व्यवसायिक भवनों को निजी हाथों में देना मजबूरी हो गई है. जीएमवीएन अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ ने माना कि व्यवसायिक भवनों को पीपीपी मोड पर देने से जहां एक तरफ राजस्व से उबरा जा सकेगा. वहीं इससे स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार के अधीन आने वाले गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटलों को आखिरकार पीपीपी मोड पर देने का फैसला ले लिया गया है. बुधवार को देहरादून स्थित जीएमवीएन मुख्यालय में नई कार्यकारिणी बोर्ड की पहली सयुक्त निदेशक मंडल बैठक में 23 बिंदुओं पर चर्चा की गई. जिसमें जीएमवीएन के सबसे अधिक घाटे में चलने वाले 7 होटलों को उबारने के लिए पीपीपी मोड पर देने सहित अन्य कई महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय लिया गया. हालांकि आने वाले दिनों में वित्तीय घाटे से गुजरने वाले अन्य होटलों और अतिथि गृहों को भी निजी कंपनी के हाथों में दिया जा सकता है.

प्राइवेट कंपनियों के हाथों में जीएमवीएन

शुरुआती तौर पर सबसे अधिक घाटे वाले 7 होटलों को पीपीपी मोड देने का फैसला

गढ़वाल मंडल के अंतर्गत जीएमजीएम के अधीन आने वाले 92 होटल व गेस्ट हाउस हैं. लंबे समय से जीएमवीएन की लचर कार्यशैली के चलते वर्षो से गढ़वाल मंडल के ज्यादातर होटल व गेस्ट हाउस घाटे में चल रहे हैं. लगातार हो रहे राजस्व घाटे पर विराम लगाने के के लिए जीएमवीएन के वर्तमान अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ की अध्यक्षता में बुधवार को मंडल बैठक की गई. जिसमें 7 सबसे ज्यादा घाटे वाले होटलों को निजी कंपनियों को देने का फैसला किया गया.

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वहीं इस संबंध में वर्तमान गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि लंबे समय से घाटे में चल रहे गेस्ट हाउस और होटलों को चिन्हित कर पीपीपी मोड पर देने का फैसला लिया जा चुका है. उन्होंने बताया कि अन्य होटल व अतिथि गृहों को वित्तीय घाटे से उबारने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं इसके लिए बोर्ड लगातार चिंतन मनन कर रहा है.

घाटे से उबरने के लिए होटलों को पीपीपी मोड पर देना मजबूरी

लंबे समय से गढ़वाल मंडल विकास निगम वर्षों से घाटे में चल रहा था. जिसके कारण होटल और गेस्ट हाउसों को निजी कंपनी के हाथों में देने की कवायद चल रही थी. जो कि आखिरकार पूरी हो गई है. जीएमवीएन की लचर कार्यशैली के चलते ये व्यवसायिक भवन घाटे के दौर से गुजर रहे थे. जिसके कारण यहां काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन का भुगतान भी नहीं किया गया है. जीएमवीएम अध्यक्ष ने माना कि वर्तमान में गढ़वाल मंडल विकास निगम में 900 कर्मचारी कार्यरत हैं. जो कि रिटायरमेंट के कगार पर हैं. ऐसे में वित्तीय घाटे के चलते उनको सभी तरह के भुगतान दे पाना संभव नहीं हैं.

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उन्होंने कहा कि लगातार घाटे से उबरने के लिए व्यवसायिक भवनों को निजी हाथों में देना मजबूरी हो गई है. जीएमवीएन अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ ने माना कि व्यवसायिक भवनों को पीपीपी मोड पर देने से जहां एक तरफ राजस्व से उबरा जा सकेगा. वहीं इससे स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.

Intro:summary_ गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटलों को प्राइवेट कंपनियों के हाथों में देने का फैसला, जीएमवीएन बोर्ड बैठक में लिया गया निर्णय, घाटे के चलते होटल पीपीपी मोड पर देने के कवायद...

त्रिवेंद्र सरकार में अब गढ़वाल मंडल भी हुई पराई

देहरादून: उत्तराखंड सरकार के अधीन आने वाले गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटलों को आखिरकार प्राइवेट कंपनियों के हाथों देने का फैसला ले लिया गया है, बुधवार देहरादून स्थित जीएमवीएन मुख्यालय में नई कार्यकारिणी बोर्ड की पहली सयुक्त निदेशक मंडल बैठक में 23 बिंदुओं पर चर्चा की गई जिसमें मुख्यतः जीएमवीएन सबसे अधिक घाटे पर चलने वाले 7 होटलों होटलों को उभारने के लिए पीपीपी मोड पर देने सहित अन्य कई महत्वपूर्ण विषयों में निर्णय लिया गया। हालांकि आने वाले दिनों में वित्तीय घाटे से गुजरने वाले होटल और अतिथि गृह को भी निजी कंपनी की हाथों में दिया जा सकता हैं।




Body:शुरुआती तौर पर सबसे अधिक घाटे वाले 7 होटलों को पीपीपी मोड देने का फ़ैसला-

गढ़वाल मंडल के अंतर्गत जीएमजीएम के अधीन आने वाले 92 होटल व गेस्ट हाउस जैसे व्यवसायिक भवन आते हैं..ऐसे में लंबे समय से जीएमवीएन की लचर कार्यशैली के चलते वर्षो से गढ़वाल मंडल के ज्यादातर होटल व गेस्टहाउस घाटे पर चल रहे हैं। लगातार हो रहे राजस्व घाटे पर विराम लगाने के दृष्टिगत आखिरकार जीएमवीएन के वर्तमान अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ की अध्यक्षता में बुद्धवार हुई 123 वीं निदेशक मंडल बैठक शुरुआती तौर पर 7 सबसे ज्यादा घाटे वाले होटलों को निजी कंपनी के संचालन करने का निर्णय लिया गया।

वही इस संबंध में वर्तमान गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रामगढ़ ने जानकारी देते हुए बताया कि लंबे समय से घाटे पर चल रहे गेस्ट हाउस और होटलों में से सबसे अधिक घाटे पर चलने वाले होटल गेस्ट हाउस को चिन्हित कर पीपीपी मोड पर देने का फैसला बोर्ड मीटिंग में हो चुका है इसके साथ ही अन्य होटल अतिथि गृहों को वित्तीय राजस्व के घाटे से उभारने के लिए क्या क्या उपाय किए जाएं इसके लिए लगातार चिंतन मनन कर कार्यवाही प्रचलित है।

बाइट -महावीर सिंह रांगड़ ,अध्यक्ष,गढ़वाल मंडल विकास निगम


Conclusion:घाटे से उबरने के लिए होटलों को पीपीपी मोड पर देना मजबूरी

गढ़वाल मंडल विकास निगम के वर्षों से घाटे में चल रहे होटल और गेस्ट हाउसों को निजी कंपनी के हाथों पर देने की कवायद लंबे समय से चल रही थी जिसे आखिरकार पूरा कर लिया गया है.. जीएमवीएन की लचर कार्यशैली के चलते यह व्यवसायिक भवन घाटे के दौर से गुजर रहे हैं जिसके चलते यहां कार्यरत कर्मचारियों के वेतन भुगतान भी वर्षों से बाधित होता आया है।
वही गढ़वाल मंडल के होटल गेस्ट हाउस कोको घाटे से उबारने के फैसले के दृष्टिगत जीएमवीएम अध्यक्ष ने माना कि वर्तमान में गढ़वाल मंडल विकास निगम में 900 कर्मचारी कार्यरत हैं जो धीरे धीरे रिटायरमेंट की कगार पर पहुंच रहे हैं, वित्तीय घाटे के चलते उनको सभी तरह के भुगतान देना मुश्किल भरा कार्य है, ऐसे में लगातार घाटे से उबरने के लिए व्यवसायिक भवनों को निजी हाथों में देना मजबूरी हो गई है। जीएमवीएन अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ ने माना कि व्यवसायिक भवनों को पीपीपी मोड पर देने से जहां एक तरफ राजस्व के घाटे से उड़ा जा सकेगा वही निजी कंपनियों द्वारा संचालित होने वाले व्यवसायिक भवनों में स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसके अलावा पीपीपी मोड पर देने की प्राथमिकता पहले स्थानीय लोगों को दी जाएगी।

बाइट -महावीर सिंह रांगड़ ,अध्यक्ष,गढ़वाल मंडल विकास निगम

बहराल त्रिवेंद्र सरकार में अब गढ़वाल मंडल विकास निगम भी निजी कंपनियों के हाथों में सौंपने के चलते पराई होने के कगार पर नजर आ रही है जबकि पिछले कुछ वर्षो से उत्तराखंड में चारधाम यात्रा और पर्यटक सीजन के चरम पर पहुंचने के चलते गढ़वाल मंडल विकास निगम कुछ हद तक घाटे से उबरने में सफल रहा है.


pls note_input_महोदय, यह किरण कांत शर्मा का मोजो मोबाइल हैं,जिसे मैं (परमजीत सिंह )इसे इस्तेमाल कर रहा हूं। मेरा मोजो मोबाइल खराब हो गया हैं, ऐसे मेरी स्टोरी इस मोजो से भेजी जा रही हैं.. ID 7200628


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