बागेश्वर: जिले में पहली बार कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग शुरू हो गई है. कम समय में अधिक आय देने वाला कड़कनाथ मुर्गा भारत का एकमात्र काले मांस वाला मुर्गा है. यह मुर्गा जल्द ही बाजार में लोगों को दिखाई देगा. इससे पशुपालकों की अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है.
बागेश्वर जिले में पहली बार युवा व्यवसायी मयंक खेतवाल ने कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग शुरू कर दी है. उनके यहां लगभग तीन सौ कड़कनाथ मुर्गे तैयार हो रहे हैं. मयंक का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने इसके बारे में नेट से जानकारी ली तो अपने पिता नरेन्द्र खेतवाल से इस बारे में चर्चा की. इस बारे में उन्होंने जानकारी जुटाई तो उन्हें पता चला कि इस मुर्गे के खान-पान में कोई ज्यादा खर्च नहीं आता है. यह हरा चारा, बचा हुआ खाना, बाजरा चरी बड़े ही चाव से खाते हैं.
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कड़कनाथ और दूसरे मुर्गे की तुलना करें तो एक किलो का मुर्गा तैयार करने में लगभग 100 रुपये तक खर्च आता है. बाजार में 150 रुपया किलो मिलता हैं. वहीं कड़कनाथ मुर्गे को अगर बाग में पाल रहे हैं, तो कोई खर्चा नहीं है. एक किलो तैयार करने में 250 रुपये लगेंगे. इस पर होटल के नीचे ही मुर्गियों के लिए शेड बनाकर कड़कनाथ मुर्गियों की फार्मिंग शुरू कर दी. अपने पुत्र मयंक के काम से नरेन्द्र खेतवाल भी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि युवाओं को स्वरोजगार के लिए कड़कनाथ मुर्गे पालना काफी मुफिद रहेगा. दूसरे मुर्गो के मुकाबले कड़कनाथ मुर्गा चार से पांच महीने में तैयार हो जाता है. बाजार में यह 1200-1500 रुपये में बिक जाता है. कड़कनाथ मुर्गा पालना काश्तकारों के लिए फायदे का सौदा है.
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वहीं, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी का कहना है कि काश्तकार, पशुपालक कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग को तैयार हो रहे हैं. यहां का क्लाइमेट बिल्कुल इनके लिए मुफीद है. जल्द ही इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे. कड़कनाथ मुर्गे का मांस कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोगियों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है. कड़कनाथ के मांस में 25 से 27 प्रतिशत प्रोटीन होता है लगभग एक प्रतिशत चर्बी होती है.
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गौरतलब है कि कड़कनाथ मुर्गा चिकन प्रमुख रुप से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ब्रीड है. यह मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले का मुर्गा है, लेकिन अब यह मुर्गा देश के कई हिस्सों जैसे कि तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में पाया जाने लगा है. कड़कनाथ का रखरखाव अन्य मुर्गों के मुकाबले आसान होता है. शोध के अनुसार इसके मीट में सफेद चिकन के मुकाबले कोलेस्ट्राल का स्तर कम होता है और अमीनो एसिड का स्तर ज्यादा होता है.