बागेश्वर: तीन साल पहले रामगंगा घाटी में आई आपदा के जख्म अभी भी हरे हैं. रामगंगा नदी के ऊपर दो जिलों (बागेश्वर और पिथौरागढ़) को जोड़ने वाला झूला पुल तीन साल पहले आपदा की भेंढ चढ़ गया है, जो आज तक नहीं बना है. झूला पुल टूटने के बाद दोनों जिलों के ग्रामीण ट्राली के सहारे नदी को पार करते हैं, जो काफी जोखिम भरा है.
दरअसल, इस पुल को बनाने के जिम्मा लोक निर्माण विभाग के पास है, लेकिन बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले के लोक निर्माण विभाग में तालमेल नहीं होने के कारण ये पुल नहीं बन पा रहा है. जिसका खामायिजा दोनों जिलों के ग्रामीणों को भुगतान पड़ रहा है. आपको जानकर ताज्जुब होगी कि सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत कोशियारी का गांव नाचनी चेता बगड़ के लोग भी इसी ट्राली से सहारे नदी को पार करते हैं. बावजूद इसके लोनिवि विभाग ने इस पुल को बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए हैं.
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पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने कहा कि पुल नहीं बनने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. क्षेत्रीय विधायक बलवंत सिंह भौर्याल इसके लिए जिम्मेदार है. विधायक भौर्याल की सरकार में कमजोर पकड़ होने के कारण आपदा के तीन साल बाद भी ये पुल नहीं बन पाया है.