बागेश्वर: जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (District Education and Training Institute) में गतिविधि सप्ताह के प्रथम चरण में राजकीय इंटर कॉलेज कन्यालीकोट में अनुभव आधारित विज्ञान कार्यशाला (Bageshwar Science Workshop) और विज्ञान उत्सव का समापन हुआ. विज्ञानोत्सव कार्यशाला में विज्ञान को किताबी ज्ञान की बजाय खेल खेल में विज्ञान के अपने अनुभव से सीखने पर जोर दिया गया.
विज्ञान कार्यशाला में प्रतिभागी बच्चों ने 40 मॉडल प्रदर्शित किए. इन मॉडल को देखने के लिए आसपास के विद्यालयों के बच्चों की भारी भीड़ उमड़ी. बच्चों ने तीन दिन तक सीखे हुए अपने वैज्ञानिक अनुभवों को साझा किया. विज्ञान पर आधारित 40 विभिन्न प्रकार के साइंस मॉडल बनाए. बाल विज्ञान खोजशाला के वैज्ञानिक आशुतोष उपाध्याय ने कहा कि आज विज्ञान की शिक्षा भाषा के मकड़जाल में फंस गई है. हमें लगता है कि भाषा के जरिए विज्ञान सीखना ही विज्ञान है. लेकिन भाषा से विज्ञान नहीं सीखा जा सकता है. हमें विज्ञान खेल-खेल में करके ही सीखना होगा. डाइट प्राचार्य डा. शैलेंद्र सिंह धपोला ने कहा कि विज्ञान को अनुभव से सीखा जा सकता है. पुस्तकों में लिखा हुआ विज्ञान, विज्ञान का अंतिम उत्पाद है. हमें बच्चों को उस प्रक्रिया से गुजारना होगा जिस प्रक्रिया से विज्ञान उत्पन्न होता है.पढ़ें-मैदानी क्षेत्रों में पाला और शीतलहर लोगों की बढ़ा सकता है परेशानी, येलो अलर्ट जारी
सुलेख प्रतियोगिता में कन्या माजरी का रहा अच्छा प्रदर्शन: उधर डोईवाला ब्लॉक माजरी ग्रांट के राजकीय प्राथमिक स्कूल कन्या माजरी के बच्चों ने इस बार राज्य स्तरीय सुलेख प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन किया. हिंदी और अंग्रेजी की सुलेख प्रतियोगिता में कक्षा 5 की छात्रा पायल ने पहला स्थान प्राप्त किया है. यह प्रतियोगिता रुद्रपुर जिले में आयोजित की गई थी जिसमें 13 जिलों के स्कूलों से आये छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया था. वहीं अध्यापक दलीप सिंह ने बताया कि उन्होंने और उनके साथी टीचर ललित गोस्वामी ने बच्चों के भविष्य और बेहतर वातावरण के लिए अपनी सैलरी से एक लाख 70 हजार रुपये स्कूल की साफ-सफाई और स्कूल की पुरानी बिल्डिंग की मरम्मत में लगाए हैं. साथ ही बच्चों में पढ़ाई के साथ ही खेल प्रतिभा के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जाता है.