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बागेश्वर: एक शिक्षक के सहारे चल रहा हाईस्कूल, अधर में 45 बच्चों का भविष्य - shortage of teachers in schools

बागेश्वर के झूनी गांव स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पिछले 5 साल से एक ही शिक्षक है. सरकार की इस उदासीनता से अभिभावक ही नहीं बच्चे भी अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं.

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Published : Aug 30, 2021, 12:34 PM IST

बागेश्वर: कपकोट ब्लॉक के दूरस्थ गांव झूनी में स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पिछले 5 साल से एक ही शिक्षक है. बता दें कि, 2015-16 में जूनियर हाईस्कूल का उच्चीकरण कर हाईस्कूल बनाया गया था. लेकिन यह विद्यालय पिछले 5 साल से केवल एक शिक्षक के सहारे चल रहा है.

विद्यालय में 70-75 बच्चों पर केवल दो शिक्षक हैं. एक जूनियर में व एक हाईस्कूल में. हाईस्कूल में यहां पर 40-45 बच्चे हैं. खलझूनी व झूनी दो गांव के 70-75 बच्चे यहां स्कूल पढ़ने आते हैं. ये अध्यापक भी मुख्य विषयों जैसे विज्ञान, अंग्रेजी के नहीं हिंदी विषय के हैं. सरकार की इस उदासीनता से अभिभावक ही नहीं बच्चे भी अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं. कोरोना काल में लगे लॉकडाउन व नेटवर्क न होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पहले ही पूरी तरह से बंद हो चुकी है. अब स्कूल खुलने के बाद अध्यापकों की कमी के कारण सभी परेशान हैं.

एक शिक्षक के सहारे चल रहा हाईस्कूल.

पढ़ें: नैनीताल जिले में नीदरलैंड के सेब का होगा उत्पादन, मात्र एक साल में फल देगा पेड़

वहीं, बच्चों व अभिभावकों का कहना है कि ये अध्यापक भी रेगुलर स्कूल नहीं आ पाते हैं. जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों का नजरिया भी ग्रामीण विद्यालयों के प्रति निराशाजनक है. ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों का अच्छी शिक्षा प्राप्त करना अभी भी दिवास्वप्न है. सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है. विशेषकर गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षकों की कमी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में आड़े आ रही हैं. ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति भी दयनीय है.

बागेश्वर: कपकोट ब्लॉक के दूरस्थ गांव झूनी में स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पिछले 5 साल से एक ही शिक्षक है. बता दें कि, 2015-16 में जूनियर हाईस्कूल का उच्चीकरण कर हाईस्कूल बनाया गया था. लेकिन यह विद्यालय पिछले 5 साल से केवल एक शिक्षक के सहारे चल रहा है.

विद्यालय में 70-75 बच्चों पर केवल दो शिक्षक हैं. एक जूनियर में व एक हाईस्कूल में. हाईस्कूल में यहां पर 40-45 बच्चे हैं. खलझूनी व झूनी दो गांव के 70-75 बच्चे यहां स्कूल पढ़ने आते हैं. ये अध्यापक भी मुख्य विषयों जैसे विज्ञान, अंग्रेजी के नहीं हिंदी विषय के हैं. सरकार की इस उदासीनता से अभिभावक ही नहीं बच्चे भी अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं. कोरोना काल में लगे लॉकडाउन व नेटवर्क न होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पहले ही पूरी तरह से बंद हो चुकी है. अब स्कूल खुलने के बाद अध्यापकों की कमी के कारण सभी परेशान हैं.

एक शिक्षक के सहारे चल रहा हाईस्कूल.

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वहीं, बच्चों व अभिभावकों का कहना है कि ये अध्यापक भी रेगुलर स्कूल नहीं आ पाते हैं. जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों का नजरिया भी ग्रामीण विद्यालयों के प्रति निराशाजनक है. ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों का अच्छी शिक्षा प्राप्त करना अभी भी दिवास्वप्न है. सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है. विशेषकर गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षकों की कमी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में आड़े आ रही हैं. ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति भी दयनीय है.

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