बागेश्वरः राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बुधवार को नियमित रोटा वायरस टीकाकरण अभियान का शुभारम्भ किया गया. इसका उद्घाटन जिलाधिकारी, विधायक तथा पालिका अध्यक्ष ने बच्चों को ड्रॉप पिला कर किया.
वहीं मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि रोटा वायरस वैक्सीन बच्चों को जन्म के डेढ़, ढाई और साढ़े तीन माह में पिलाना जरूरी होता है. प्रत्येक खुराक में बच्चों को वैक्सीन की पांच बूंद दवा पिलाई जाती हैं. दस्त की रोकथाम में यह टीका काफी कामयाब है.
बता दें कि भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के लगभग 9 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु डायरिया के कारण हो जाती है. दस्त की बीमारी के मामलों में 40 फीसदी रोटा वायरस के कारण ही होता है. बच्चों को बचाने के लिए रोटावायरस वैक्सीन को शामिल किया गया है. दस्त में एंटीबायोटिक दवाएं काम नहीं करती हैं. इसका बचाव रोटावायरस वैक्सीन से होता है. इसकी खुराक बच्चों के 06, 10 और 14 सप्ताह की उम्र में दी जानी होती है.
वहीं जिलाधिकारी ने बताया कि रोटा वायरस के कारण बच्चों में डायरिया की बीमारी हो जाती है. जिससे बच्चों में कुपोषण, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी हो जाती है और बच्चों की मौत हो जाती है.
आकंड़ों के मुताबिक रोटा वायरस इतना खतरनाक होता है कि इससे प्रतिवर्ष देश के 78 हजार बच्चों की मृत्यु उनके जीवन के पांचवें साल में हो जाती है. जिसमें 59 हजार बच्चों की मौत जन्म के पहले साल में ही हो जाती है. पोलियो के बाद यह पहली वैक्सीन है जिसे बच्चों को बूंद के रूप में पिलाया जाता है.