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स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जूझ रही भिलकोट की जनता, आंदोलन की दी चेतावनी

भिलकोट स्थित प्राथमिक स्वस्थ केंद्र में पिछले आठ माह से चिकित्सकों की तैनाती नहीं है. जिसके चलते स्थानीय लोग लंबे समय से स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं. यहां की 15 हजार की जनसंख्या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद एक मात्र फार्मासिस्ट पर निर्भर है. वहीं, अब एक सप्ताह के भीतर अस्पताल में डॉक्टरों की तैनाती ना होने पर गुस्साएं ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी है.

स्वास्थ सुविधाओं के लिए जूझ रही भिलकोट कि जनता.
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Published : Aug 30, 2019, 5:09 PM IST

बागेश्वर: जिले के दूरस्थ क्षेत्र घेटी भिलकोट के स्थानीय लोग लंबे समय से स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं. यहां की 15 हजार की जनसंख्या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद एक मात्र फार्मासिस्ट पर निर्भर है. वहीं, अस्पताल में टिटनेस और रैबीज के इंजेक्शन भी उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में ग्रामीणों को इलाज कराने के लिए 20 किमी दूर स्थित बैजनाथ स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है. जिसके चलते गुस्साएं ग्रामीणों ने एक सप्ताह के भीतर अस्पताल में डॉक्टरों की तैनाती ना होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

बता दें कि भिलकोट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले आठ माह से चिकित्सकों की तैनाती नहीं है. निवर्तमान ग्राम प्रधान लक्ष्मण राम ने बताया कि मामले को लेकर कई बार मुख्य चिकित्साधिकारी से लिखित और मौखिक शिकायत की गई है. साथ ही बीडीसी बैठक में भी यह मुद्दा रखा गया था.

स्वास्थ सुविधाओं के लिए जूझ रही भिलकोट कि जनता.

लेकिन आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. साथ ही उन्होंने प्रशासन पर ग्रामीणों की अनदेखी का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने बताया कि यदि एक सप्ताह में चिकित्सक की तैनाती नहीं की गई तो ग्रामीण धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे.

ये भी पढ़े: मसूरी में डेयर डेविल्स गर्ल को किया सम्मानित, हौंसलों से फतह किया था एवरेस्ट

वहीं, चिकित्सालय में तैनात फार्मासिस्ट कैलाश कोहली ने बताया कि मामले पर विभाग को लिखित सूचना भेजी गई है. अस्पताल में आने वाले मरीजों को संभव इलाज दिया जा रहा हैं. उधर मामले को लेकर जिलाधिकारी रंजना राजगुरु ने कहा कि ग्रामीणों की समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा.

बागेश्वर: जिले के दूरस्थ क्षेत्र घेटी भिलकोट के स्थानीय लोग लंबे समय से स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं. यहां की 15 हजार की जनसंख्या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद एक मात्र फार्मासिस्ट पर निर्भर है. वहीं, अस्पताल में टिटनेस और रैबीज के इंजेक्शन भी उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में ग्रामीणों को इलाज कराने के लिए 20 किमी दूर स्थित बैजनाथ स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है. जिसके चलते गुस्साएं ग्रामीणों ने एक सप्ताह के भीतर अस्पताल में डॉक्टरों की तैनाती ना होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

बता दें कि भिलकोट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले आठ माह से चिकित्सकों की तैनाती नहीं है. निवर्तमान ग्राम प्रधान लक्ष्मण राम ने बताया कि मामले को लेकर कई बार मुख्य चिकित्साधिकारी से लिखित और मौखिक शिकायत की गई है. साथ ही बीडीसी बैठक में भी यह मुद्दा रखा गया था.

स्वास्थ सुविधाओं के लिए जूझ रही भिलकोट कि जनता.

लेकिन आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. साथ ही उन्होंने प्रशासन पर ग्रामीणों की अनदेखी का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने बताया कि यदि एक सप्ताह में चिकित्सक की तैनाती नहीं की गई तो ग्रामीण धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे.

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वहीं, चिकित्सालय में तैनात फार्मासिस्ट कैलाश कोहली ने बताया कि मामले पर विभाग को लिखित सूचना भेजी गई है. अस्पताल में आने वाले मरीजों को संभव इलाज दिया जा रहा हैं. उधर मामले को लेकर जिलाधिकारी रंजना राजगुरु ने कहा कि ग्रामीणों की समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा.

Intro:
एंकर- बागेश्वर जिले के दूरस्थ क्षेत्र घेटी भिलकोट की जनता स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी से हलकान हैं। लगभग 15 हजार की जनसंख्या एक फार्मासिस्ट पर निर्भर हैं। अस्पताल में टिटनेस, रैबीज के इंजेक्शन भी उपलब्ध नही हैं। वहीं प्रार्थमिक स्वस्थ केन्द्र घेटी में पिछले आठ माह से चिकित्सक नहीं है। चिकित्सक नहीं होने से ग्रामीण 20 किमी दूर स्वास्थ्य केंद्र बैजनाथ आने को मजबूर हैं। एक सप्ताह के भीतर डॉक्टर नहीं आने पर ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी है।

वीओ- सरकार के हवाई दावे ग्रामीण क्षेत्रो की जमीनी हकीकत देखकर महसूस किए जा सकते हैं। सरकार पलायन रोकने के लिए कई कागजी अभियान संचालित कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों से कोसों दूर नजर आ रही है। विकासखण्ड गरुड़ से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय घेटी पिछले आठ माह से चिकित्सक विहीन है। स्वास्थ्य विभाग ग्रामीणों की समस्याओं के प्रति किस प्रकार संवेदनशील है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि पिछले आठ माह से घेटी चिकित्सालय में चिकित्सक नही है। निवर्तमान ग्राम प्रधान लक्ष्मण राम ने बताया कि कई बार मुख्य चिकित्साधिकारी बागेश्वर को लिखित व मौखिक शिकायत की गई थी, पूर्व में बीडीसी बैठक में भी यह मुद्दा रखा गया था, लेकिन कोई सुनने को तैयार नही हैं। कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आए दिन जंगली जानवरों का आतंक बना रहता हैं अनहोनी होने पर अस्पताल में टिटनेस, रैबीज के इंजेक्शन नही मिलते हैं। उन्होंने शासन प्रशासन पर ग्रामीणों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए आक्रोश वक्त किया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह में चिकित्सक की तैनाती नही की जाती है तो धरना प्रदर्शन किया जाएगा। कहा कि यदि सरकार टिटनेस, रैबीज के लिए बजट का रोना रोती है तो ग्रामीणों से चन्दा एकत्र कर टिटनेस, रैबीज इंजेक्शन रखने के लिए फ्रिज खरीदा जाएगा। निवर्तमान ज्येष्ठ प्रमुख प्रकाश कोहली ने कहा कि सरकार पलायन रोकने के महज दावे करने तक सीमित रही है। ग्रामीण सुविधाओं के अभाव में पलायन को मजबूर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों को देखने वाला कोई नही है। चिकित्सालय में तैनात कैलाश कोहली ने बताया कि विभाग को लिखित सूचना भेजी गई हैं, अस्पताल में आने वाले मरीजों को हर सम्भव इलाज दिया जा रहा हैं। इधर जिलाधिकारी रंजना राजगुरु का कहना हैं कि ग्रामीणों की समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा।

बाईट 01- आईशा मिश्रा, ग्रामीण महिला,
बाईट 02- कमला देवी, ग्रामीण महिला।
बाईट 03- लक्ष्मण राम, निवर्तमान ग्राम प्रधान घेटी।
बाईट 04- प्रकाश कोहली, निवर्तमान ज्येष्ठ प्रमुख।
बाईट 05- कैलाश कोहली, फार्मासिस्ट प्रार्थमिक स्वास्थ्य केंद्र घेटी।Body:वीओ- सरकार के हवाई दावे ग्रामीण क्षेत्रो की जमीनी हकीकत देखकर महसूस किए जा सकते हैं। सरकार पलायन रोकने के लिए कई कागजी अभियान संचालित कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों से कोसों दूर नजर आ रही है। विकासखण्ड गरुड़ से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय घेटी पिछले आठ माह से चिकित्सक विहीन है। स्वास्थ्य विभाग ग्रामीणों की समस्याओं के प्रति किस प्रकार संवेदनशील है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि पिछले आठ माह से घेटी चिकित्सालय में चिकित्सक नही है। निवर्तमान ग्राम प्रधान लक्ष्मण राम ने बताया कि कई बार मुख्य चिकित्साधिकारी बागेश्वर को लिखित व मौखिक शिकायत की गई थी, पूर्व में बीडीसी बैठक में भी यह मुद्दा रखा गया था, लेकिन कोई सुनने को तैयार नही हैं। कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आए दिन जंगली जानवरों का आतंक बना रहता हैं अनहोनी होने पर अस्पताल में टिटनेस, रैबीज के इंजेक्शन नही मिलते हैं। उन्होंने शासन प्रशासन पर ग्रामीणों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए आक्रोश वक्त किया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह में चिकित्सक की तैनाती नही की जाती है तो धरना प्रदर्शन किया जाएगा। कहा कि यदि सरकार टिटनेस, रैबीज के लिए बजट का रोना रोती है तो ग्रामीणों से चन्दा एकत्र कर टिटनेस, रैबीज इंजेक्शन रखने के लिए फ्रिज खरीदा जाएगा। निवर्तमान ज्येष्ठ प्रमुख प्रकाश कोहली ने कहा कि सरकार पलायन रोकने के महज दावे करने तक सीमित रही है। ग्रामीण सुविधाओं के अभाव में पलायन को मजबूर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों को देखने वाला कोई नही है। चिकित्सालय में तैनात कैलाश कोहली ने बताया कि विभाग को लिखित सूचना भेजी गई हैं, अस्पताल में आने वाले मरीजों को हर सम्भव इलाज दिया जा रहा हैं। इधर जिलाधिकारी रंजना राजगुरु का कहना हैं कि ग्रामीणों की समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा।

बाईट 01- आईशा मिश्रा, ग्रामीण महिला,
बाईट 02- कमला देवी, ग्रामीण महिला।
बाईट 03- लक्ष्मण राम, निवर्तमान ग्राम प्रधान घेटी।
बाईट 04- प्रकाश कोहली, निवर्तमान ज्येष्ठ प्रमुख।
बाईट 05- कैलाश कोहली, फार्मासिस्ट प्रार्थमिक स्वास्थ्य केंद्र घेटी।Conclusion:
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